Raipur Weather Update: रायपुर में झमाझम बारिश, आकाशीय बिजली गिरने से 27 बकरियों की मौत, महासमुंद-गरियाबंद में ऑरेंज अलर्ट जरी, घर से निकलने से पहले जरूर देखें CG वेदर अपडेट
Raipur Weather Update: रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मानसून सक्रिय हो गया है। बंगाल की खाड़ी में बने लो-प्रेशर सिस्टम का असर प्रदेश में दिखने लगा है।

Raipur Weather Update: रायपुर। छत्तीसगढ़ में एक बार फिर मानसून सक्रिय हो गया है। बंगाल की खाड़ी में बने लो-प्रेशर सिस्टम का असर प्रदेश में दिखने लगा है। राजधानी रायपुर समेत कई जिलों में रात से बारिश का दौर जारी है। रायपुर में देर रात से लगातार बूंदाबांदी हो रही है, वहीं बलौदा बाजार में तेज पानी गिरा है। बारिश ने गर्मी और उमस से परेशान लोगों को राहत दी है, लेकिन इसके साथ ही कई जिलों के लिए मौसम विभाग ने अलर्ट जारी किया है।
इन जिलों में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट
मौसम विभाग के मुताबिक, आज महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव और नारायणपुर जिलों में भारी बारिश की संभावना है। इन जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
वहीं, सरगुजा, बस्तर, बीजापुर, दंतेवाड़ा और रायपुर सहित 19 जिलों में मध्यम से भारी बारिश के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है। यानी अगले 24 घंटे इन जिलों के लोगों को बारिश से सावधान रहने की जरूरत है।
आकाशीय बिजली से 27 बकरियों की मौत
बारिश के साथ-साथ आकाशीय बिजली गिरने से नुकसान की खबर भी सामने आई है। रायपुर के नवापारा क्षेत्र से लगे पारागांव में आकाशीय बिजली गिरने से 27 बकरियां-बकरे मौके पर ही मारे गए। सभी मवेशी महानदी किनारे चर रहे थे, तभी यह हादसा हुआ। घटना में 7 बकरियां घायल भी हुई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि तेज बारिश के दौरान मवेशी अचानक गिर पड़े और जब पास जाकर देखा तो पता चला कि बिजली गिरने से उनकी मौत हो गई थी।
कहां कितनी बारिश दर्ज हुई?
- पिछले 24 घंटों में कई जिलों में अच्छी बारिश दर्ज की गई है।
- मैनपुर में सबसे अधिक 60 मिमी बारिश दर्ज की गई।
- बलरामपुर में अब तक 1473.7 मिमी पानी बरसा है, जो सामान्य से 53% ज्यादा है।
- वहीं बेमेतरा में केवल 495.1 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य से 51% कम है।
- बस्तर, राजनांदगांव और रायगढ़ जिलों में बारिश सामान्य के आसपास रही है।
- अब तक प्रदेश में कुल 1078.8 मिमी बारिश हो चुकी है।
बिजली गिरती क्यों है?
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, जब बादलों में मौजूद पानी की बूंदें और बर्फ के कण हवा से टकराते हैं, तो उनमें बिजली जैसा चार्ज पैदा होता है। कुछ बादलों में पॉजिटिव चार्ज और कुछ में नेगेटिव चार्ज इकट्ठा हो जाता है। जब ये दोनों तरह के बादल आपस में टकराते हैं तो आकाशीय बिजली बनती है। आमतौर पर यह बिजली बादलों के भीतर ही रहती है, लेकिन कभी-कभी इतनी तेज होती है कि धरती तक पहुंच जाती है।
बिजली को धरती तक आने के लिए कंडक्टर की जरूरत होती है। पेड़, पानी, धातु के सामान और बिजली के खंभे इसके लिए सबसे आसान रास्ता बन जाते हैं। यही वजह है कि इनके पास खड़े लोगों या जानवरों के चपेट में आने का खतरा रहता है।
लोगों के लिए सलाह
बारिश और बिजली कड़कने के दौरान खुले मैदान, पेड़ या पानी के पास खड़े न हों। मोबाइल या धातु के सामान का इस्तेमाल करने से बचें। सुरक्षित जगह जैसे घर या पक्के भवन में शरण लें। मवेशियों को भी सुरक्षित स्थान पर बांधकर रखें।
