Raipur Collector: कबाड़ के फ्लैक्स का अनूठा उपयोग, ITI में बनाए जा रहे बैग, कवर और बच्चों के बैठने की आसानी, जिला प्रशासन ने आईटीआई को रोजगार से जोड़ा...
Raipur Collector: राजधानी रायपुर में हर महीने बड़ी संख्या में कबाड़ में फेंके जा रहे फ्लैक्स का ऐसा भी उपयोग किया जा सकता है, सुनकर आप चौंक जाएंगे। आईटीआई में बेकार पड़े फ्लैक्स से अब बैग, कंप्यूटर, टीवी, बोतल कवर के साथ ही आंगनबाड़ी में बच्चों के बैठने के लिए खूबसूरत आसनी बनाई जा रही हैं। जिला प्रशासन ने प्रोजेक्ट रचना इसका नाम दिया है। इसके अलावे आईटीआई में इसी तरह के दो और प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं, जिनका नाम प्रोजेक्ट तेजस और प्रोजेक्ट पर्यटन साथी नाम दिया गया है।

Raipur Collector: रायपुर। राजधानी होने की वजह से रायपुर, नवा रायपुर में बड़ी संख्या में फ्लैक्स लगाए जाते हैं। इनमें कारपोरेट फ्लैक्स होते हैं और राजनीतिक भी। मगर कार्यक्रम खतम होने या कैंपेनिंग समाप्त होने के बाद इन फ्लैक्सों का कोई उपयोग नहीं होता। बूढ़ा पारा के पास स्मार्ट सिटी दफ्तर के मैदान में हजारों की संख्या में फ्लैक्ट डंप होकर सड़ते रहते थे।
इंडोर स्टेडियम का निरीक्षण करने पहुंचे रायपुर के कलेक्टर डॉ0 गौरव सिंह की इस पर नजर पड़ी। उन्होंने इसका उपयोग करने के लिए रायपुर के आईटीआई के प्रिंसिपल से बात की। आईटीआई के प्राचार्य मेजर नरेंद्र उपध्याय आर्मी से रिटायर होकर आईटीआई ज्वाईन किए हैं। उपध्याय को भी फ्लैक्स के सार्थक उपयोग का आइडिया पसंद आया।
वेस्ट फ्लैक्स से बेस्ट चीजें बनाने के काम को कलेक्टर ने नाम दिया गया प्रोजेक्ट रचना। प्राचार्य मेजर नरेंद्र उपध्याय ने बताया कि वेस्ट फ्लैक्स से आईटीआई में कई तरह की उपयोगी चीजें बनाई जा रही हैं। खासतौर से बैग और विभिन्न बस्तुओं के कवर। कंप्यूटर, टीवी से लेकर बोतल तक के कवर इस बेकार पड़े फ्लैक्स से बनाए जा रहे। यही नहीं, आंगनबाड़ियों में बच्चों के लिए खूबसूरत आसनी भी बन रही हैं। फ्लैक्स से जो लोहे निकल रहे, उसका भी आईटीआई के स्टडेंट यूज कर ले रहे हैं। लोहे को काटकर छोटे-छोटे ब्लैकबोर्ड बनाने पर काम किया जा रहा है। तीन बाई छह के फ्रेम बनाकर फ्लैक्स के पीछे साइड सफेद कलर को ब्लैक पेंट कर बढ़ियां ब्लैकबोर्ड बन जा रहा।
आईटीआई को प्लेसमेंट से जोड़ा
रायपुर जिला प्रशासन ने आईटीआई को प्लेसमेंट से जोड़ दिया है। छत्तीसगढ़ में टूरिज्म पर बड़ा काम हो रहा है। आने वाले समय में बस्तर से लेकर कई जगहों पर टूरिस्टों की संख्या बढ़ेगी। इसको देखते आईटीआई में प्रोजेक्ट पर्यटन साथी शुरू किया गया है। आसपास के युवाओं को सलेक्ट कर उन्हें गाइड की ट्रेनिंग दी जा रही कि किसी तरह वे पर्यटकों को सैर करा सकेंगे।
ऑपरेशन तेजस
रायपुर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में सीआरपीएफ के जवानों को एसी, कूलर और बिजली से संबंधित ट्रेनिंग दी जा रही है। बस्तर में तैनाती के दौरान कई बार एसी, कूलर या बिजली के सिस्टम खराब हो जाते हैं। जंगलों में रिपेयरिंग करने वाले जल्दी मिलते नहीं। फिर संवेदनशील इलाके में किसी को भी नहीं बुलाया जा सकता। इसी को देखते रायपुर आईटीआई में प्रोजेक्ट तेजस शुरू किया गया है। ताकि, जवान अपने जरूरत के काम खुद कर सकें।
