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Railway News: भारतीय रेलवे में 11 साल बाद यूनियन चुनाव, चार पुराने और दो नए यूनियन चुनाव मैदान में

भारतीय रेलवे में 11 साल बाद हो रहे यूनियन चुनाव काे लेकर पदाधिकारियों के साथ ही कर्मचारियों में अब माहौल बनने लगा है। SECR के बिलासपुर रेलवे जोन में 42 हजार 500 कर्मचारी हैं। ये सभी यूनियन चुनाव में मतदाता की भूमिका में रहेंगे। यूनियन का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। लिहाजा मतदाता पांच साल के लिए अपना यूनियन चुनेंगे।

Railway News: भारतीय रेलवे में 11 साल बाद यूनियन चुनाव, चार पुराने और दो नए यूनियन चुनाव मैदान में
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By Sandeep Kumar

Railway News: बिलासपुर। भारतीय रेलवे में 11 साल बाद हो रहे यूनियन चुनाव काे लेकर पदाधिकारियों के साथ ही कर्मचारियों में अब माहौल बनने लगा है। SECR के बिलासपुर रेलवे जोन में 42 हजार 500 कर्मचारी हैं। ये सभी यूनियन चुनाव में मतदाता की भूमिका में रहेंगे। यूनियन का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा। लिहाजा मतदाता पांच साल के लिए अपना यूनियन चुनेंगे। इस चुनाव की खास बात ये कि बिलासपुर रेलवे जोन के अंतर्गत आने वाले मंडलों में सर्वाधिक मतदाता बिलासपुर में ही है। इसके बाद रायपुर और फिर नागपुर मंडल आता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो बिलासपुर के 27 पोलिंग बूथों में 20100, रायपुर के 11 पोलिंग बूथ में 11400 और नागपुर के 26 पाेलिंग बूथ में 11000 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। चुनाव कार्यक्रम के अनुसार मतदान के लिए 4 5 6 दिसंबर की तिथि तय की गई है।

यूनियन का चुनाव अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है। कारण भी साफ है कि एक दशक से भी अधिक समय बाद भारतीय रेलवे में यूनियन चुनाव कराए जा रहे हैं। यूनियन के नेताओं के साथ ही अलग-अलग यूनियनों ने अपनी प्रतिबद्धता के साथ अनुसार जुड़े कर्मचारी भी उत्साहित नजर आ रहे हैं। यूनियन चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के अलावा पूर्व पदाधिकारी,नेता व कर्मचारियों में अब सरगर्मी भी देखी जा रही है। चुनावी कैंपेनिंग भी शुरु हो गई है। 11 साल बाद हो रहे चुनाव में छह यूनियन के बैनर तले उम्मीदवार चुनाव मैदान में अपनी ताल ठोंक रहे हैं। पूर्व के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो दो परंपरागत प्रतिद्वंदी यूनियन के बैनर तले ही उम्मीदवार अपना भाग्य आजमाते रहे हें।

यूनियन के नेता चुनावी जीत-हार के नतीजों के अनुसार प्रभाव का प्रदर्शन भी करते रहे हैं। परोक्ष और अपरोक्ष रूप से लोकसभा से लेकर विधानसभा और स्थानीय निकाय के चुनाव में भी इनका बराबर का हस्तक्षेप रहता था। भारतीय रेलवे द्वारा लंबे समय से यूनियन चुनाव पर रोक के चलते पूर्व के यूनियन नेताओं की राजनीतिक सक्रियता भी काफी हद तक कम हो गई है। मौजूदा चुनाव के बाद एक बार फिर इनकी पूछपरख बढ़ेगी। जाहिर सी बात है इसी अंदाज में इनकी राजनीतिक सक्रियता भी बढ़ेगी और कुछ-कुछ सियासी दखलंदाजी भी।

0 यूनियन से बाहर रहने वाले कर्मचारियों पर लगी नजर

लंबे अरसे बाद हो रहे चुनाव में यूनियन के पदाधिकारियों, उम्मीदवारों व समर्थकों की नजर उन कर्मचारियों पर रहेगी जो परोक्ष रूप से यूनियन से नहीं जुड़े हैं। ऐसे कर्मचारियों से संपर्क कर अपने पक्ष में वोट डालने मशक्कत करते भी नजर आएंगे। छोटे-छोटे एसोसिशन पर भी यूनियन नेताओं और प्रमुख रणनीतिकारों की नजरें रहेंगी।

0 इनकी मौजूदगी परिणाम को कर सकते हैं प्रभावित

अर्बन बैंक चुनाव परिणाम पर नजर डालें तो एसोसिएशन ने ही सबसे ज्यादा सीटें जीतने में सफलता पाई है। एसोसिएशन की चुनाव में सक्रिय भागीदारी और झुकाव चुनाव परिणाम को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है। यूनियन नेताओं और रणनीतिकारों के अलावा उम्मीदवार भी इस दिशा में अपना काम करना शुरू कर दिया है। बहरहाल यूनियन चुनाव को लेकर बिसात बिछ चुकी है। रणनीतिकार और उम्मीदवार अपने अंदाज में मतदाताओं का नब्ज टटोलने का काम कर रहे हैं।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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