प्रेम और भरोसे से हारी हिंसाः बस्तर की जिन वादियों में कभी गूंजती थी बंदूकें, अब वहां गूंज रही शहनाई
छत्तीसगढ़ के धुर नक्सल प्रभावित बस्तर में कभी बंदूकों की आवाजें गूजती थी, वहां अब शहनाई की धुन सुनाई पड़ रही हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मौजूदगी में आत्मसमर्पित नक्सलियों ने की गृहस्थ जीवन की शुरूआत

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के घने जंगलों में माओवादी हिंसा की जगह अब प्रेम और विश्वास की नई इबारत लिखी जा रही है। माओवादी हिंसा का रास्ता छोड़कर विकास की मुख्य धारा से जुड़ने वाले महेश-हेमला और मड़कम-रव्वा ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के समक्ष परिणय सूत्र में आबद्ध होकर वैवाहिक जीवन की नई शुरूआत की है। मुख्यमंत्री ने परिणय सूत्र में आबद्ध दोनों नवदम्पत्तियों को बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं देते हुए उनके सुखमय जीवन की कामना की। यह कहानी सुकमा जिले की बदलती तस्वीर है, जहां कभी बन्दूकें गूंजती थी, अब वहां शहनाईयां गूंज रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय 13 जनवरी को 206 करोड़ रूपए से अधिक विकास कार्यों की सौगात देने के लिए सुकमा के मिनी स्टेडियम में पहुंचे थे। लगभग सात माह पहले नक्सल हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण करने वाले मौसम महेश और हेमला, मड़कम पाण्डू और रव्वा भीमे ने जिला प्रशासन सुकमा से आग्रह किया था कि वह मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मौजूदगी में परिणय सूत्र में आबद्ध होकर नये जीवन की शुरूआत करना चाहते हैं।
जिला प्रशासन ने उन चारों को भरोसा दिलाया था कि मुख्मयंत्री श्री साय का जब भी सुकमा में आगमन होगा, उस दिन मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत उनका विवाह विधिविधान से सम्पन्न कराया जाएगा। आज 13 जनवरी को मुख्यमंत्री के सुकमा प्रवास के दौरान वहां के मिनी स्टेडियम में इन चारों आत्मसमर्पितों का विधि-विधान से विवाह मुख्यमंत्री की मौजूदगी में सम्पन्न हुआ, जिसके साक्षी वहां मौजूद हजारों-हजार लोग बने। सभी ने नवदम्पत्तियों को आशीर्वाद दिया और उनके सुखद वैवाहिक जीवन की कामना की। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को रोजगार, मकान और पुनर्वास के लिए आर्थिक सहायता मिल रही है। यह कहानी न केवल प्रेम की जीत की है, बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति की सफलता का प्रतीक है। परिणय सूत्र में आबद्ध होकर इन चारों युवक-युवतियों ने यह साबित कर दिया है कि प्यार, विश्वास और सहानुभूति से नफरत और हिंसा को हराया जा सकता है।
9 और 6 साल तक लाल आतंक से जुड़े रहे
गगनपल्ली गांव के रहने वाले मौसम महेश और डुब्बामरका की रहने वाली हेमला मुन्नी तथा कन्हाईपाड़ निवासी मड़कम पाण्डू और सल्लातोंग की रव्वा भीमे ये चारों पहले नक्सली संगठन से जुड़े हुए थे। छत्तीसगढ़ सरकार की नीतियों से प्रभावित होकर इन चारों ने जून 2024 में नक्सल हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण कर दिया था। मौसम महेश लगभग बारह साल तक नक्सल संगठन से जुड़े रहे। मड़कम पाण्डू और हेमला मुन्नी 9 साल तक तथा रव्वा भीमे 6 साल तक नक्सल संगठन और उसकी गतिविधियों से जुड़ी रहीं।
हिंसा का बेहद अफसोसः महेश-मड़कम
परिणय सूत्र में आबद्ध होने के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आशीर्वाद प्राप्त करके हुए महेश-हेमला और मड़कम-रव्वा ने बताया कि उन्हें रास्ता भटकने और हिंसा में संलिप्त रहने का बेहद अफसोस है। छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति और नियद नेल्ला नार योजना से प्रभावित होकर वे चारों विकास और शांति की मुख्य धारा में शामिल होने का फैसला लिया। उनका कहना था कि सरकार की जनहितैषी नीतियों से प्रभावित होकर विभिन्न नक्सल संगठनों से जुड़े कई युवा साथी आत्मसमर्पण कर चुके हैं और कई साथी आत्मसमर्पण करने का मन बना चुके हैं। उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने और समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर दिया है।
’कैंसर है माओवादी, जड़ पर प्रहार जरूरी’’
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का कहना है कि माओवाद एक कैंसर की तरह है। कैंसर को समाप्त करना है तो इसकी जड़ पर प्रहार करना जरूरी होता है। माओवादी बस्तर के कुछ इलाकों में जोंक की तरह चिपक गये थे और यहां के स्थानीय लोगों को डरा-धमका कर शोषण कर रहे थे। ये स्थल उनके सबसे सुरक्षित पनाहगाह थे। हमने माओवादियों की मांद में घुसकर उन पर हमले का निर्णय लिया। हमारे सुरक्षाबलों के जवानों के अदम्य साहस से हमने इन माओवादियों का मुकाबला किया और उनको धूल चटाई। बीते एक साल में विभिन्न मुठभेड़ों में हमारे सुरक्षाबलों ने 230 से अधिक माओवादियों को मार गिराया है।
सुरक्षा नेटवर्क का विस्तार
सुनियोजित रणनीति के तहत विष्णु देव साय की सरकार ने माओवाद प्रभावित इलाकों में कैंपों का विस्तार किया और सुरक्षा का नेटवर्क विस्तृत किया। अब माओवादी बहुत सीमित इलाके में सिमट गये हैं और बौखलाहट में हैं। इसके चलते वे कायराना हरकत कर रहे हैं। माओवादियों द्वारा जवानों के काफिले पर आईईडी ब्लास्ट की घटना में जो जवान शहीद हुए, वे बस्तर के माटीपुत्र ही थे। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा है कि हम सब पुनः संकल्प लेते हैं कि माओवाद को जड़ से नष्ट करेंगे। हमारे शहीद जवानों की शहादत का बदला लेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम कैंपों के माध्यम से लोगों को सुरक्षा दिलाने के साथ ही विकास के लिए भी काम कर रहे हैं। इसके लिए हमने कैंप के पांच किमी की परिधि में आने वाले गांवों के विकास के लिए नियद नेल्ला नार योजना आरंभ की जिसके माध्यम से सभी बुनियादी सुविधाएं इन ग्रामीण क्षेत्रों में उपलब्ध कराई जा रही है। जो माओवादी अपने लिए सबसे अच्छे हथियार, संचार के नये उपकरण का इस्तेमाल करते हैं उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों को इतने दहशत में रखा कि यहां के लोग टेलीविजन से भी दूर रहे।
नक्सल कमांडर के गांव में 78 साल बाद पहुंची बिजली
नक्सल कमांडर का गांव पूवर्ती विकास के मामले में कई बरस पिछड़ा हुआ था। लोगों ने बिजली नहीं देखी थी, टेलीविजन नहीं देखा। अब पूवर्ती गांव सोलर लाइट से रौशन है। आजादी के 78 साल बाद पहली बार दूरदर्शन लोगों ने देखा। यह लोगों के लिए चमत्कार की तरह था। ग्राम सालातोंग में 78 साल बाद बिजली आई है। बिजली के आने से यहां विकास का उजाला भी तेजी से फैला है। अब यहां के बच्चे अच्छी तरह से पढ़ाई कर पाएंगे। विकास की मुख्य धारा में शामिल हो पाएंगे। लोगों को आवागमन के लिए राहत हो, इसके लिए यहां पर हक्कुम मेल चलाई जा रही है। इन बसों के चलते लोगों का जीवन आसान हो गया है। स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचना आसान हो गया है। इस योजना के माध्यम से पहली बार लोगों के आधार कार्ड बने, आयुष्मान कार्ड बने और किसान क्रेडिट कार्ड भी बने।
सुकमा में 205 करोड़ के विकास कार्यों का लोकार्पण
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि माओवादी हिंसा ने बस्तर संभाग के साथ ही सुकमा जिले को भी हिंसा की आग में झोंक दिया था। इससे सुकमा जिले का विकास बुरी तरह प्रभावित हुआ था। लेकिन एक साल में हमारी सरकार ने सुकमा जिले के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये और इस पर तेजी से क्रियान्वयन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इसी कड़ी में हमने यहां 205 करोड़ रुपए के 137 कार्यों का लोकार्पण-भूमिपूजन किया है। इन कार्यों में 39 करोड़ रुपए की राशि के 82 कार्यों का लोकार्पण एवं 166 करोड़ रुपए के 55 कार्यों का भूमिपूजन शामिल है। इन कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण कार्य सुकमा नगरपालिका में 83 करोड़ रुपए की लागत से जल प्रदाय योजना का भूमिपूजन है। इसके साथ ही 14 करोड़ रुपए की राशि से केरलापाल से पोंगाभेज्जी मार्ग के निर्माण का भूमिपूजन भी हमने किया। उन्होंने कहा कि सुकमा में खेल अधोसंरचना बेहतर हो, इसके लिए 11 करोड़ रुपए की लागत से हम स्पोर्ट्स कांप्लेक्स बनाने जा रहे हैं। इसका भी हमने भूमिपूजन किया है।