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Principle Posting: पोस्टिंग से पहले काउंसलिंग: 30 अप्रैल के आदेश को रद्दी की टोकरी में डाला अफसरों ने, एक बार फिर अदालती लड़ाई की सुनाई देने लगी आहट

Principle Posting: टी संवर्ग के 1335 शिक्षकों को प्रिंसिपल के पद पर पोस्टिंग देने से पहले काउंसलिंग किया जाना है। स्कूल शिक्षा विभाग ने 30 अप्रैल को इस संबंध में विस्तार से आदेश जारी किया है। काउंसलिंग के लिए डीपीआई को अधिकृत किया है। विभाग के अफसर अपने ही आदेश को नहीं मान रहे हैं। 415 शिक्षकों को काउसंलिंग से दूर रखने और बैकडोर इंट्री की उनकी कोशिशें कहीं एक बार फिर अदालती लड़ाई में ना फंस जाए। इसे लेकर अब शिक्षकों, शिक्षक संगठनों के बीच चर्चा तेज हो गई है। वाट्सएप ग्रुप में कोर्ट के जाने के विकल्प पर भी गंभीर चर्चा छिड़ गई है।

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By Radhakishan Sharma

Principle Posting: रायपुर। राज्य शासन के 30 अप्रैल 2025 के आदेश में साफ लिखा है कि टी संवर्ग के 1335 शिक्षकों को प्राचार्य के पद पर पोस्टिंग देने से पहले ओपन काउंसलिंग किया जाना है। इसके लिए डीपीआई को अधिकृत किया गया है। काउंसलिंग के लिए जो आदेश डीपीआई की ओर से जारी किया गया है उसे देखकर शिक्षक संगठनों से लेकर पदोन्नति की राह देख रहे शिक्षकों का गुस्सा फूटने लगा है। शिक्षक संगठनों के वाट्सएप ग्रुप में इसे लेकर चर्चा छिड़ गई है। गंभीर बात ये कि डीपीआई द्वारा जारी आदेश को भेदभाव मनमाना मानते हुए एक बार फिर हाई कोर्ट जाने के विकल्प पर भी चर्चा होने लगी है। शिक्षक संगठन के पदाधिकारी व शिक्षक एक बार फिर नियम कायदे कानून की किताब खंगालने लगे हैं।

जानकारों का कहना है कि डीपीआई के विवादास्पद निर्णय और कांउसलिंग के लिए किए जा रहे भेदभाव का मामला अदालत पहुंचा तो मानकर चलिए शैक्षणिक सत्र तो गुजर ही जाएगा। उन शिक्षकों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा जिनका रिटायरमेंट नजदीक है। वैसे भी अदालती लड़ाई के चलते 450 से अधिक शिक्षक प्रिंसिपल बनने का सपना संजोये रिटायर हो गए। शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो हर महीने 30 से 40 टी व ई संवर्ग के शिक्षक रिटायर हो रहे हैं।

शिक्षक संगठनों के पदाधिकारियों का कहना है कि सभी 1335 शिक्षकों को पोस्टिंग से पहले ओपन काउंसलिंग में बुलाया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने जो व्यवस्था तय की गई है उससे परे जाकर कोई काम नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो एक बार फिर न्यायालयीन विवाद का पेंच फंस सकता है। इसे लेकर भी चर्चा छिड़ी है कि सभी शिक्षकों को ओपन काउंसलिंग में आमंत्रित करने के बजाय 844 को बुलाया गया है। शेष बचे 490 शिक्षकों को काउंसलिंग से दूर रखा गया है।

प्राचार्य पदोन्नति फोरम का यह कहना है

प्राचार्य पदोन्नति फोरम के संयाेजक अनिल शुक्ला ने NPG.NEWS को बताया कि कल 18 अगस्त को प्रतिनिधि मंडल स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव व डीपीआई से मिलकर सभी शिक्षकों को काउसंलिंग में बुलाने के संबंध में ज्ञापन सौंपेगा। एनपीजी ने जब पूछा कि उनकी मांगों पर अफसरों ने ध्यान नहीं दिया तब क्या करेंगे। फोरम न्यायालय जाएगा क्या। अनिल शुक्ला ने साफ कहा कि फोरम की मंशा प्रारंभ से ही स्पष्ट रही है। जितनी जल्दी हो प्राचार्यों की पोस्टिंग हो जाए। पर हां अगर हमारी सुझाव व पूर्व के आदेश के अनुसार सभी शिक्षकों को काउंसलिंग में नहीं बुलाए और अपनी हठधर्मिता और मनमानी पर अधिकारी अड़े रहे तो न्यायालयीन विवाद का अंदेशा एक बार फिर बनेगा।

प्राचार्य पदोन्नति फोरम ने यह भी कहा

0 प्राचार्य पदोन्नति फोरम के संयोजक अनिल शुक्ला ने काउंसलिंग को लेकर साफ कहा कि सभी शिक्षकों को ओपन काउंसलिंग में बुलाया जाना चाहिए। इसमें किसी भी तरह का भेदभाव बैकडोर इंट्री की कोशिश अफसर कतई ना करे।

0 30 अप्रैल 2025 को जारी आदेश में स्पष्ट लिखा है पदस्थापना आदेश काउंसलिंग से की जाएगी। इसलिए सबको काउंसलिंग के जरिए पदस्थापना करना चाहिए। काउसंलिंग के लिए डीपीआई को अधिकृत किया गया है। यह डीपीआई की जिम्मेदारी बनती है कि राज्य सरकार के आदेश का गंभीरता के साथ पालन हो।

0 मीड सेशन के बहाने जो जहां है वहीं पर पदस्थ कर देंगे तो इससे उसकी वरिष्ठता क्रम का हनन होगा। जूनियर पास में और जूनियर दूर के स्कूल में पदस्थ हो जाएंगे।

0 जैसा कि दिखाई दे रहा है काउंसलिंग के जरिए पुरुष और महिला के बीच लिंग भेद किया गया है। विभेदीकरण ना करने स्पष्ट दिशा निर्देश है। अगर ऐसा हुआ तो यह सबसे बड़ा न्यायालयीन मुद्दा बनेगा।

0 शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के दौरान जिस तरह से मान्यता प्राप्त शिक्षक संगठनों को प्राथमिकता दी गई थी, प्राचार्य पोस्टिंग में भी दी जानी चाहिए।

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