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Pithampur Kaleshwarnath Mandir: बांझपन और शारीरिक कष्ट से मुक्ति दिलाता है यह शिव मंदिर, जानिए इस मंदिर की चमत्कारी शक्तियां

Pithampur Kaleshwarnath Mandir: छत्तीसगढ़ का ऐसा शिव मंदिर जिसके जलहरी के जल पीने से दूर होती हैं बांझपन और शारीरिक समस्याएं। यह मंदिर जांजगीर चांपा जिले में हसदेव नदी के किनारे पीथमपुर नामक गांव में बसा हुआ है। जिसे कलेश्वर महादेव मंदिर कहते हैं।

Pithampur Kaleshwarnath Mandir: बांझपन और शारीरिक कष्ट से मुक्ति दिलाता है यह शिव मंदिर, जानिए इस मंदिर की चमत्कारी शक्तियां
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By Chirag Sahu

Pithampur Kaleshwarnath Mandir: छत्तीसगढ़ का ऐसा शिव मंदिर जिसके जलहरी के जल पीने से दूर होती हैं बांझपन और शारीरिक समस्याएं। यह मंदिर जांजगीर चांपा जिले में हसदेव नदी के किनारे पीथमपुर नामक गांव में बसा हुआ है। जिसे कलेश्वर महादेव मंदिर कहते हैं। इसे छत्तीसगढ़ के सबसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में से एक माना जाता है। यहाँ का शांत वातावरण और आसपास का ग्रामीण सौंदर्य इसे भक्तों और यात्रियों के लिए एक अनूठा आकर्षण बनाता है। मंदिर का निर्माण 1698 ईस्वी में किया गया था।

शिवलिंग की विशेषता

कलेश्वरनाथ मंदिर पारंपरिक हिंदू वास्तुकला का एक सुंदर नमूना है। इसका शिखर और मंडप पारंपरिक शैली में निर्मित हैं। ऐसा माना जाता है कि यह शिवलिंग स्वयंभू है, जिसे भक्त अत्यंत श्रद्धा के साथ पूजते हैं। मंदिर परिसर में छोटे-छोटे पूजा स्थल और बैठने की व्यवस्था भी है। सावन के महीने में, जब भक्त काँवर लेकर जल चढ़ाने आते हैं, मंदिर का परिदृश्य और भी धार्मिक हो उठता है। शिवलिंग की प्रमुख विशेषता है इसकी जलहरी, जिसके जल के सेवन से भक्तों के सारे कष्ट दूर होते हैं। इसकी दीवार पर अंकित संस्कृत शिलालेख से पता चलता है कि यह मंदिर छत्तीसगढ़ की मध्यकालीन मंदिर वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

विशाल मेले का आयोजन

भगवान महादेव की इस प्राचीन मंदिर में महाशिवरात्रि और रंग पंचमी के दिन 10 दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। इस मेले का प्रमुख आकर्षण होता है भगवान महादेव की पालकी जो पूरी तरह से चांदी से सजी हुई होती है। जिसका भ्रमण पूरे गांव में कराया जाता है। मेले का एक और आकर्षण है नागा साधु जो अपनी साधना आदि के लिए भगवान शिव की यात्रा में शामिल होते हैं।

कैसे पहुंचे मंदिर

कलेश्वरनाथ मंदिर जांजगीर चांपा जिले के पीथमपुर गांव में स्थित है। यह जांजगीर शहर से लगभग 15 किलोमीटर और निकटतम रेलवे स्टेशन चांपा से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर है। हसदेव नदी के किनारे बसे होने के कारण, मंदिर का परिवेश बेहद रमणीय और शांत है, जो इसे एक आदर्श तीर्थस्थल बनाता है। यहाँ आने वाले यात्री न केवल आध्यात्मिक शांति पाते हैं, बल्कि नदी के किनारे टहलते हुए प्रकृति की सुंदरता का भी आनंद ले सकते हैं।

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