पर्यटकों का स्वर्ग बनता छत्तीसगढ़ः प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को मजबूत कर रही सरकार की पर्यटन नीतियां
पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने वाली छत्तीसगढ़ सरकार पर्यटकों की सुविधा को लेकर काफी गंभीर हो गई है। बस्तर से लेकर सरगुजा तक इस पर काफी काम किए जा रहे हैं।

रायपुर। छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक सुंदरता, समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सरकार की पर्यटन नीतियां इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरने में मदद कर रही हैं। राज्य सरकार पर्यटकों और निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने हेतु कई नई योजनाओं पर कार्य कर रही है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए किए जा रहे प्रयासों का बेहतरीन उदाहरण पर्यटन स्थलों पर देखने को मिल रहा है।
सरकार और जिला प्रशासन की पहल से जशपुर, सरगुजा, सूरजपुर और बस्तर जिले के कई अनदेखे और दुर्लभ वाटरफॉल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर मूलभूत सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है। इन जगहों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क, मिनी गार्डन, दुकानों, पेयजल, शौचालय और बैठने की व्यवस्था जैसी सुविधाएं पर्यटकों के लिए उपलब्ध कराई जा रही है। वाटरफॉल की प्राकृतिक सुंदरता सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। वीडियो मेकर्स और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स ने इस स्थल की मनमोहक तस्वीरों और वीडियो को साझा कर इन वाटरफाल को और भी लोकप्रिय बना दिया है।
प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों का स्वर्ग गगनई जलाशय
छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिला प्राकृतिक सौंदर्य और पर्यटन स्थलों से समृद्ध है। यहां की पहाड़ियां, नदी-नाले और जंगल, प्रकृति प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। इन्हीं आकर्षणों में से एक है गगनई जलाशय, जो जिला मुख्यालय गौरेला से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह जलाशय प्रकृति की गोद में स्थित एक ऐसा स्थान है, जहां पर्यटक नौकायन, पिकनिक और साहसिक गतिविधियों का आनंद उठा सकते हैं। गगनई जलाशय अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। चारों ओर हरियाली से घिरा यह स्थान हर किसी को सुकून प्रदान करता है। जलाशय का मुख्य आकर्षण है नौकायन (बोटिंग), जो पर्यटकों को खास अनुभव प्रदान करता है। इसके साथ ही यहाँ का सनसेट पॉइंट बेहद लोकप्रिय है। झील में डूबते सूरज की लालिमा और चारों ओर पहाड़ों का दृश्य यहां आने वाले हर पर्यटक का दिल जीत लेता है। झील का यह मनोरम दृश्य ऐसा प्रतीत होता है जैसे प्रकृति ने अपनी कलाकृति को निखार कर यहां सजाया हो।
गगनई जलाशय में पर्यटकों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा गया है। वन विभाग द्वारा बनाए गए सर्व-सुविधायुक्त कमरे और कैंटीन मुख्य आकर्षण हैं। पर्यटक अपने परिवार के साथ यहां रुककर शांत और सुकून भरे पलों का आनंद ले सकते हैं। गगनई जलाशय सिर्फ प्राकृतिक सौंदर्य तक सीमित नहीं है। नाइट कैम्पिंग, ट्रेकिंग, और पक्षीदर्शन जैसी साहसिक गतिविधियों का भी यहां आयोजन होता है। पर्यटकों के लिए बनाए गए सेल्फी पॉइंट और स्कूल-कॉलेज के बच्चों के लिए नवाचार कैंप इस स्थान की खासियत को और बढ़ाते हैं।
यह नेचर कैंप भालुओं के आवास वाले जंगल के करीब स्थित है। यहां वन विभाग द्वारा पर्यावरण चेतना केंद्र स्थापित किया गया है, जो भालुओं के संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता के लिए महत्वपूर्ण है। कभी-कभी भालुओं के दर्शन भी पर्यटकों को रोमांचित कर देते हैं। गगनई नेचर कैंप पूरे साल पर्यटकों से गुलजार रहता है। स्थानीय लोग और बाहरी पर्यटक इसे पिकनिक के लिए उपयुक्त स्थान मानते हैं। शांत जलवायु, मनोरम दृश्य, और सुविधाओं के कारण यह राज्य के सबसे आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक है। गगनई जलाशय केवल एक पर्यटन स्थल नहीं है, बल्कि यह प्रकृति, रोमांच और सुकून का संगम है। यह स्थान उन सभी के लिए आदर्श है, जो प्रकृति के करीब आकर शांति और आनंद का अनुभव करना चाहते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर मनमोहक रकसगंडा वॉटरफॉल
छत्तीसगढ़ राज्य के सूरजपुर जिले का रकसगंडा वॉटरफॉल प्राकृतिक सुंदरता का एक ऐसा अद्भुत उदाहरण है, जो हर किसी को अपने आकर्षण से मोहित कर लेता है। जिला मुख्यालय सूरजपुर से लगभग 120 किलोमीटर की दूरी पर, ओडगी विकासखंड के नवगई गांव में स्थित यह जलप्रपात रेण नदी पर बना हुआ है। यह क्षेत्र मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है, जहां प्रकृति ने अपनी कलात्मक छवि प्रस्तुत की है। रकसगंडा वॉटरफॉल न केवल एक पर्यटन स्थल है, बल्कि यह स्थान प्रकृति प्रेमियों और उन लोगों के लिए आदर्श है, जो अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी से कुछ पल सुकून के तलाश में रहते हैं। घने वनों और जलप्रपात की मधुर ध्वनि के बीच बिताए गए पल हर किसी के लिए यादगार बन जाते हैं। करीब 50 फीट की ऊंचाई से गिरता जल, जब पत्थरों के समूह के बीच से बहता है, तो उसकी कलकल ध्वनि और मनमोहक दृश्य एक अद्वितीय अनुभव कराते हैं। घने जंगलों के बीच स्थित यह वॉटरफॉल न केवल पर्यटकों के लिए एक शानदार पिकनिक स्थल है, बल्कि उनकी आत्मा को शांति और सुकून भी प्रदान करता है।
रकसगंडा वॉटरफॉल की खासियत इसके आसपास की अद्भुत भू-आकृति है। यहां विभिन्न संरचनाओं में फैले विशाल पत्थरों का समूह देखने लायक है। इन पत्थरों के बीच से बहती रेण नदी की धारा ऐसा प्रतीत कराती है मानो प्रकृति ने खुद इसे अपनी कलाकारी से सजाया हो। ठंड के मौसम में यह स्थान और भी आकर्षक हो जाता है, जब यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पिकनिक मनाने और प्रकृति के करीब समय बिताने पहुंचते हैं। त्यौहारों, छुट्टियों एवं नए साल के अवसर पर रकसगंडा वॉटरफॉल पर्यटकों से गुलजार रहता है। दूर-दूर से लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ यहां के मनोरम दृश्यों का आनंद लेने आते हैं। यहां की प्राकृतिक सुंदरता, शांत वातावरण और बहते पानी की मधुर ध्वनि हर किसी को सुकून का एहसास कराती है।
जलप्रपात रमदहा बना सैलानियों का पसंदीदा स्थल
छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से में स्थित रमदहा जलप्रपात अपनी अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यह जलप्रपात मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के जनकपुर ब्लॉक से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बहरासी वन परिक्षेत्र में बनास नदी की गोद में बसा यह स्थल हर साल लाखों सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इस जलप्रपात से लगभग 100 फीट की ऊँचाई से गिरते पानी का मनमोहक दृश्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। चारों ओर फैले घने जंगल, हरियाली, और शांत वातावरण रमदहा जलप्रपात एक मनमोहक पिकनिक स्थल है।
ठंड और बरसात के मौसम में इसकी सुंदरता अपने चरम पर होती है। तेज धारा, झरने की गूंज, और पानी की धुंध का नजारा प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग से कम नहीं है। राज्य की राजधानी रायपुर से लगभग 350 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस जलप्रपात तक सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है। रमदहा की अनूठी सुंदरता केवल छत्तीसगढ़ के सैलानियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से भी पर्यटक यहाँ बड़ी संख्या में पहुँचते हैं। दिसंबर और जनवरी में यह स्थल पिकनिक मनाने वालों का प्रमुख केंद्र है। हर दिन यहाँ आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़ रही है। रमदहा जलप्रपात न केवल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
प्राकृतिक खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध दुड़मा वाटरफॉल
छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। इसी विरासत का अनमोल रत्न है ‘दुड़मा वाटरफॉल,’ जो अब न केवल स्थानीय लोगों के बीच बल्कि राज्यभर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केंद्र बन गया है। प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर यह जलप्रपात जिला मुख्यालय सुकमा से लगभग 28 किलोमीटर दूर छिंदगढ़ विकासखंड के ग्राम पंचायत चिपुरपाल में स्थित है। छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक संपदा में दुड़मा वाटरफॉल ने एक नई पहचान बनाई है। यह स्थल न केवल राज्य के पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि स्थानीय लोगों के रोजगार और आजीविका का भी साधन बन रहा है। पर्यटकों के उत्साह और सरकार की पहल से यह स्पष्ट है कि दुड़मा वाटरफॉल छत्तीसगढ़ के पर्यटन मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थल बन चुका है। दुड़मा वाटरफॉल के चारों ओर का हरा-भरा जंगल और ठंडी हवाएं इसे और भी खास बनाती हैं।
यहाँ की शांतिपूर्ण और सुरम्य वातावरण पर्यटकों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है। यह जलप्रपात हर उम्र के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है, चाहे वह प्रकृति प्रेमी हों या एडवेंचर के शौकीन। दुड़मा वाटरफॉल को बेहतर बनाने के लिए जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। यहाँ आने वाले पर्यटकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए मूलभूत ढांचे को और मजबूत किया गया है। इसके अलावा, पर्यटन विभाग भविष्य में और अधिक सुविधाओं को जोड़ने की योजना बना रहा है। दुड़मा में पिकनिक मनाने पहुंचे मडियम सोड़ी ने कहा, मैंने इस जगह की खूबसूरती के बारे में सुना था, लेकिन यहाँ आकर इसकी प्राकृतिक छटा को देखकर मन प्रसन्न हो गया। यह जगह परिवार के साथ समय बिताने के लिए शानदार है। वहीं, दंतेवाड़ा जिले से आए मनसा बघेल ने बताया, मुझे दुड़मा की जानकारी सोशल मीडिया के माध्यम से मिली। मैंने अपने दोस्तों को यहाँ चलने के लिए कहा और हम सभी ने यहाँ आकर खूब आनंद लिया।