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Padmashree Hemraj Manjhi: पद्मश्री हेमराज मांझी के पास आते हैं अमेरिका से मरीज, नाड़ी वैद्य और जड़ी बूटियों के हैं जानकर...

Padmashree Hemraj Manjhi: छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में रहने वाले वैद्य हेमराज मांझी ने अपना पूरा जीवन इन्हीं जड़ी-बूटियों की खोज की और लगभग पांच दशकों से हजारों लोगों को ठीक किया है।

Padmashree Hemraj Manjhi: पद्मश्री हेमराज मांझी के पास आते हैं अमेरिका से मरीज, नाड़ी वैद्य और जड़ी बूटियों के हैं जानकर...
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By Sandeep Kumar

Padmashree Hemraj Manjhi रायपुर। आयुर्वेद में एक कहानी बताई जाती है। तक्षशिला विश्वविद्यालय में जब चरक और साथियों की गुरुकुल में शिक्षा पूरी हुई तो उनके गुरु ने अंतिम परीक्षा के लिए उन सभी को बुलाया। उनसे कहा कि ऐसे पौधे लाकर दें जिसमें औषधीय गुण हों और जिसके बारे में अब तक बताया न गया हो। सभी विद्यार्थी कुछ पौधे लेकर आये, केवल चरक कुछ नहीं लाये। जब चरक से गुरू ने पूछा कि पौधे क्यों नहीं लाए। चरक ने कहा कि मुझे सभी पौधों में कुछ न कुछ औषधीय गुण मिले, चूंकि सभी को लाना संभव नहीं था, इसलिए मैं खाली हाथ आया। गुरु जी ने कहा कि परीक्षा में केवल चरक उत्तीर्ण हुए। संसार में हर पौधे में कुछ न कुछ औषधीय गुण मौजूद हैं। यह कहानी बताती है कि जड़ी-बूटी के क्षेत्र में अनुसंधान की बड़ी गुंजाइश होती है।

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में रहने वाले वैद्य हेमराज मांझी ने अपना पूरा जीवन इन्हीं जड़ी-बूटियों की खोज की और लगभग पांच दशकों से हजारों लोगों को ठीक किया है। आम जनता की इस अहर्निश सेवा के चलते केंद्र सरकार ने इन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने का निर्णय लिया है। आज मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य अतिथि गृह पहुना में मांझी का सम्मान किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपने छत्तीसगढ़ का गौरव पूरे देश में बढ़ाया है। आपने परंपरागत जड़ी-बूटियों के माध्यम से अनेक बीमारियों में लोगों का उपचार किया है। अमेरिका जैसे देशों से भी पेशेंट आपके पास आये हैं। यह ऐसी विद्या है जिसे अगली पीढ़ी तक पहुँचाना है।

उल्लेखनीय है कि मांझी ने छोटे डोंगर में ऐसे समय में लोगों का जड़ी बूटियों से इलाज करने का निर्णय लिया जब यहां स्वास्थ्य सुविधाएं बिल्कुल नहीं थी। परिवार में किसी के वैद्य के पेशे में नहीं होने के बावजूद उन्होंने सेवाभाव के चलते यह निर्णय लिया। उनके अनुभव के चलते उनका ज्ञान बढ़ता गया और नारायणपुर के अलावा दूसरे जिलों के मरीज भी उनके पास आने लगे।

वैद्य मांझी ने इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हम तो सेवा का कार्य कर रहे थे। लोगों का उपचार कर रहे थे और खुश थे। जब पता चला कि मोदी जी ने पद्मश्री के लिए चुनने का निर्णय लिया है तो पहले तो आश्चर्य हुआ। हमें लगा कि दिल्ली में भी बैठकर मोदी जी की सरकार पूरे देश में हो रहे अच्छे कामों पर नजर बनाये हुए हैं और सेवा का काम करने वालों को सम्मानित करते जा रही है।

मांझी ने बताया कि बस्तर की वनौषधियों में जादू है। हम जंगल से अलग-अलग तरह की जड़ी-बूटी इकट्ठी करते हैं। इन्हें उचित अनुपात में मिलाते हैं और अलग-अलग तरह की बीमारियों का इस तरह से उपचार करते हैं। नाड़ी देखकर मर्ज का पता लगाते हैं और इसके मुताबिक इलाज करते हैं। कई बार जब एलोपैथी से लोग कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज के संबंध में हतोत्साहित हो जाते हैं तब वे यहां आते हैं और ईश्वर की अनुकंपा से हमारी औषधियों के कमाल से वो ठीक हो जाते हैं।

मांझी के पास हर दिन अमूमन सौ से अधिक मरीज पहुँचते हैं। कल भी असम और आंध्रप्रदेश से कुछ मरीज पहुंचे थे। मांझी यह सब मामूली शुल्क में करते हैं। जो खर्च वे लेते हैं वो दवाइयों के बनाने में लगता है। उन्होंने बताया कि वनौषधियों में उपयुक्त मात्रा में शहद, लौंग एवं अन्य मसाले डालने होते हैं। उनका खर्च हम मरीजों से लेते हैं। उन्होंने बताया कि जब तक साँसों में साँस हैं तब तक यह सेवा का काम करता रहूँगा।

मुख्यमंत्री ने मांझी से कहा कि आप सेवा का काम कर रहे हैं। ये बहुत पुण्य का काम है। आपकी विद्या से बहुत सारे लोग ठीक हो रहे हैं। आपको पद्मश्री मिलने से आपकी ख्याति और भी फैलेगी। आप आने वाली पीढ़ी को इसकी शिक्षा दें। यह बहुत मूल्यवान विद्या है इसे आपकी पीढ़ी में ही समाप्त नहीं होना चाहिए। मांझी ने कहा कि आपसे मिले सम्मान से मेरा उत्साह और बढ़ गया है। अभी नई पीढ़ी को नाड़ी से मर्ज जानना सिखा रहा हूँ अब जड़ी-बूटी के गुणों के बारे में भी बताऊंगा।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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