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छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाके में पद्धति से होने लगी धान की खेती, विष्णुदेव सरकार किसानों के लिए शुरू की कल्याणकारी योजनाएं

CM Vishnudeo: छत्तीसगढ़ में किसानों की खुशहाली का एक नया दौर आ गया है। यह खुशहाली का दौर आया है मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में किसान हितैषी योजनाओं एवं निर्णयों के बेहतर क्रियान्वयन से, जिसका परिणाम है कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है और वे खुशहाल हो रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के नक्सल इलाके में पद्धति से होने लगी धान की खेती, विष्णुदेव सरकार किसानों के लिए शुरू की कल्याणकारी योजनाएं
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By Sandeep Kumar

रायपुर। छत्तीसगढ़ में किसानों की खुशहाली का एक नया दौर आ गया है। यह खुशहाली का दौर आया है मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में किसान हितैषी योजनाओं एवं निर्णयों के बेहतर क्रियान्वयन से, जिसका परिणाम है कि किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है और वे खुशहाल हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रमुख रूप से कृषि कार्य ही लोगों के आर्थिक जीवन का आधार है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में संचालित हो रहे किसान हितैषी योजनाओं से बालोद जिले के किसान लाभान्वित हो रहे हैं और अपनी आर्थिक स्थिति भी मजबूत कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में किसान हितैषी निर्णयों से आर्थिक लाभ मिल रहा है, जिससे किसानों को खेती-किसानी करने में आसानी हो रही हैं। प्रदेश के किसान खुशहाल हो रहें हैं। छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और प्रदेश में धान की अच्छी फसल होती है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किसानों से धान खरीदी की जाती है। खरीफ वर्ष 2023-24 में समर्थन मूल्य पर 24 लाख 72 हजार किसानों से 144.92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी की गई है। बालोद जिले के अधिकतर किसान प्रमुख रूप से कृषि कार्य करते हैं, उनके आर्थिक जीवन का आधार कृषि है। किसान प्रमुख रूप से धान की खेती करते हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन किसानों की खुशहाली का नया दौर शुरू हुआ है। बालोद विकासखण्ड के ग्राम कोहंगाटोला के किसान डोमन लाल साहू ने बताया कि वे लगभग 05 एकड़ में धान की खेती करते हैं। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के शासन में विगत खरीफ वर्ष का धान उसने 21 क्विंटल प्रति एकड़ के मान से विक्रय किया जिसका उन्हें 3100 रूपये की दर से राशि प्राप्त हुआ है इसके साथ ही उसे 02 साल का बकाया बोनस भी प्राप्त हुआ है। उसने इन पैसों का उपयोग करके अपने बनाये हुए पक्का आवास के कर्ज को पूरी तरह चुकाया और बचे हुए पैसों को अपने बच्चों की शादी के लिए जमा किया है। उसने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के किसान हितैषी योजना की सराहना करते हुए अपने जैसे किसानों के लिए अत्यंत मददगार बताया है।

बालोद विकासखण्ड के ही ग्राम रेवती नवागांव के किसान तुलाराम नागवंशी ने बताया कि अब उन्हें धान विक्रय का सही दाम मिला है। इसका उपयोग उन्होंने अपने निर्माणाधीन मकान में किया है इसके साथ ही उन्होंने अपने खेत में सिंचाई हेतु एक बोर खनन भी कराया है। किसान नागवंशी ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के किसान हितैषी योजनाओं की सराहना करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री साय किसानों के उत्थान के लिए बेहतर काम कर रहे हैं इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में काफी ज्यादा सुधार आया है। अब समय पर हमें खेती-किसानी के लिए आवश्यक खाद व उर्वरक सोसायटी से मिल रहा है। इसके साथ ही हमें कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा समय-समय पर तकनीकी मार्गदर्शन भी प्राप्त हो रहा है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में संचालित योजनाएं एवं निर्णय किसानों की खुशहाली का नया दौर प्रशस्त कर रही है।

किसानों को 6052 करोड़ का कर्ज मिला

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर राज्य के अधिक से अधिक किसानों को अल्पकालीन कृषि ऋण वितरण किया जा रहा है। प्रदेश में किसानों को अब तक राज्य सहकारी बैंकों के द्वारा 2058 सहकारी समितियों के माध्यम से 6052 करोड़ 24 लाख रूपए का अल्पकालीन कृषि ऋण प्रदान किया गया है। इस वर्ष राज्य सरकार द्वारा किसानों को 7300 करोड़ रूपए ऋण वितरण का लक्ष्य रखा गया है। अब तक वितरित कुल राशि लक्ष्य का लगभग 83 प्रतिशत है। किसानों को उनके मांग और रकबे के अनुरूप अल्पकालीन कृषि ऋण प्रदान किया जा रहा है। जबकि पिछले वर्ष आज की स्थिति में 5 हजार 880 करोड़ रूपए के अल्पकालीन कृषि ऋण वितरित किए गए थे। गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा किसानों को खेती-किसानी की प्रारंभिक जरूरतों को पूरा करने तथा खेती-किसानी में सहूलियत प्रदान करने के उद्देश्य से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना प्रारंभ किए गए थे। इसके अलावा किसानों को साहूकारों के चंगुलों से बचाना इसका एक प्रमुख उद्देश्य था। वर्तमान समय में इस योजना के माध्यम से प्रदेश के लाखों किसान इससे लाभान्वित हो रहे हैं। इससे किसानों को प्रारंभिक जरूरतों के लिए न सिर्फ राहत मिली है, बल्कि फसलों के उत्पाद में लगातार वृद्धि भी हो रही है।

किसानों को सुगमता से मिल रहा खाद-बीज

11.14 लाख मीट्रिक टन खाद और 8.81 लाख क्विंटल बीज का वितरण

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निर्देश पर प्रदेश के किसानों को उनकी मांग के अनुरूप सुगमता के साथ प्रमाणित खाद-बीज का वितरण किया जा रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा इन पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है। प्रदेश के किसानों को अब तक 11.14 लाख मीट्रिक टन खाद जो लक्ष्य का 81 प्रतिशत वितरित हो चुका है। इसी प्रकार किसानों को 8.81 लाख क्विंटल प्रमाणित बीज का वितरण किया जा चुका है, जो लक्ष्य का 90 प्रतिशत है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश में मानसून के साथ शुरू हुए खेती-किसानी में बोनी का रकबा भी निरंतर बढ़ते जा रहा है। प्रदेश में मानसूनी काफी अच्छी स्थिति है। राज्य में अब तक 43.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र याने 89 प्रतिशत क्षेत्र में विभिन्न फसलों की बोनी हो चुकी है। राज्य सरकार द्वारा इस खरीफ सीजन में 48.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों की बोनी का लक्ष्य रखा गया है।

अब तक 11.14 लाख मीट्रिक टन खाद का वितरण

प्रदेश में चालू खरीफ सीजन के लिए किसानों को विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों का वितरण जारी है। 05 अगस्त 2024 की स्थिति में किसानों को 11 लाख 14 हजार मीट्रिक टन से अधिक उर्वरक का वितरण किया जा चुका हैं, जो लक्ष्य का 81 प्रतिशत है। वितरित किए गए उर्वरक में 5 लाख 36 हजार 84 मीट्रिक टन यूरिया, 2 लाख 49 हजार 740 मीट्रिक टन डीएपी, एक लाख 38 हजार 652 मीट्रिक टन एनपीके, 47 हजार 741 मीट्रिक टन पोटाश तथा एक लाख 42 हजार 83 मीट्रिक टन सुपर फास्फेट का वितरण शामिल है। चालू खरीफ सीजन के लिए राज्य में सहकारिता एवं निजी क्षेत्र के माध्यम से किसानों को 13 लाख 68 हजार मीट्रिक टन खाद वितरण का लक्ष्य निर्धारित है, जिसके विरूद्ध अब तक 14 लाख 72 हजार मीट्रिक टन का भण्डारण करा लिया गया है। भण्डारण के विरूद्ध 11.14 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया जा चुका है। किसानों को सुगमता पूर्वक खाद का वितरण सोसायटी और निजी विक्रेताओं द्वारा किया जा रहा है। किसानों को किसी प्रकार से परेशानी का सामना नहीं करना पड़ रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा खाद-बीज वितरण पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

24.72 लाख किसानों के खाते में 32 हजार करोड़

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गारंटी छत्तीसगढ़ की जनता के लिए विश्वास, विकास और बदलाव की गारंटी बन चुकी है। छत्तीसगढ़ सरकार की किसान कल्याण की नीतियों से खेती में किसानों का मुनाफा बढ़ा है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में कई अहम निर्णय लिए गए हैं, जिनसे किसान परिवार अधिक सशक्त और फसल उगाने से लेकर उसे बेचे जाने तक की प्रक्रिया बेहद आसान हुई है। सरकार के परिवर्तनकारी फैसलों से छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र ऐसा राज्य बन गया है, जहां किसानों को उनके धान का उच्चतम मूल्य मिल रहा है। कृषक उन्नति योजना के जरिए छत्तीसगढ़ के किसानों को 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान की खरीद की गारंटी दी जा रही है। इस फैसले से किसानों में उत्साह दिख रहा है। किसानों से अपना वादा निभाते हुए छत्तीसगढ़ में की विष्णु देव साय की सरकार ने 25 दिसंबर 2023 को सुशासन दिवस के अवसर पर 13 लाख किसानों के बैंक खातों में पिछले दो वर्ष का लंबित धान बोनस का 3,716 करोड़ रुपये का भुगतान किया। किसानों को मिल रहे प्रोत्साहन का ही परिणाम है कि वर्ष 2023-24 में 24.75 लाख किसानों से समर्थन मूल्य पर 144.92 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा गया, जिसके एवज में उन्हें 31,913 करोड़ रुपये का भुगतान कियागया। 12 जनवरी, 2024 को धान के मूल्य की अंतर राशि के रूप में 24.75 लाख किसानों को 13,320 करोड़ रुपये का अतिरिक्त भुगतान भी किया गया।

कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन करने का निर्णय भी लिया गया, जिसके लागू होने से अब अन्य प्रदेश के मंडी बोर्ड अथवा समिति के एकल पंजीयन अथवा अनुज्ञप्तिधारी, व्यापारी एवं प्रसंस्करणकर्ता भारत सरकार द्वारा संचालित ई-नाम पोर्टल के माध्यम से अधिसूचित कृषि उपज की खरीदी-बिक्री बिना पंजीयन के कर सकेंगे, इससे छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों और विक्रेताओं को अधिकतम मूल्य मिल सकेगा। छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन के अनुसार मंडी फीस के स्थान पर अब मंडी फीस तथा कृषक कल्याण शुल्क शब्द जोड़ा जाएगा। इसके साथ ही कृषक कल्याणकारी गतिविधियों के लिए मंडी बोर्ड अपनी वार्षिक आय की 10 प्रतिशत राशि छत्तीसगढ़ राज्य कृषक कल्याण निधि में जमा करेगा। खेतों में काम करने वाले मजदूरों की समस्याओं को दूर करते हुए छत्तीसगढ़ की सरकार द्वारा दीनदयाल उपाध्याय भूमिहीन कृषि मजदूर योजना संचालित करने का निर्णय लिया गया है, जिसमें भूमिहीन कृषि मजदूरों को सालाना 10,000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जायेगी, इस योजना के लिए सरकार ने वर्ष 2024-2025 के बजट में 500 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, इसके साथ ही सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि किसानों को गुणवत्तापूर्ण खाद, बीजों का वितरण भी समय के भीतर ही हो सके।

540 हेक्टेयर में श्री पद्धति से धान की बोनी

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में भी किसान श्री पद्धति को अपनाने लगे हैं। परंपरागत रूप से धान की बोनी के मुकाबले दोगुने उत्पादन और लागत में कमी इस पद्धति की खासियत है। चालू खरीफ मौसम में जिला प्रशासन और कृषि विभाग के संयुक्त प्रयास से 540 हेक्टेयर में धान की बोनी की गई है। जिले के अन्य किसानों को भी इस पद्धति को अपनाने के लिए जागरूक किया जा रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ’’श्री पद्धति’’ से बोआई करने पर न केवल पानी की कम आवश्यकता पड़ती है साथ ही इस पद्धति से खेती करने में फसल में रोग भी लगने की संभावना भी कम रहती है। इसके अलावा ’’श्री पद्धति’’ के बोनी में उर्वरक और रासायनिक दवाओं, कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसकी जगह ’’ग्रीन मन्योर’’ (हरी खाद) का उपयोग किया गया है। ’’श्री पद्धति’’ से खेती करने पर लगभग दो से ढाई गुना अधिक उत्पादन होगा। इसके लिए किसानों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है। इस पद्धति से खेती के लिए जिले के विकासखंड गीदम, और दंतेवाड़ा क्षेत्र के किसानों द्वारा अधिक रूचि दिखाई जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि ’’श्री पद्धति’’ बोआई के अन्य लाभ में कम बीज से अधिक उत्पादन भी शामिल है।

इसके अलावा धान की खेती करने में लागत भी कम आती है। परंपरागत खेती में एक हेक्टेयर में जहां 50 से 60 किलो बीज की जरूरत पड़ती है, वहीं ’’श्री पद्धति’’ से धान की खेती में बीज जरूरत महज 5 से 6 किलो की ही होती है। ऐसे में किसानों को कम बीज में अधिक उत्पादन मिलेगा। जिला प्रशासन की पहल पर जिले में 600 हेक्टयर में श्री पद्धति से धान की बोनी का लक्ष्य रखा गया है इसके साथ ही 1200 हेक्टेयर रकबे में ग्रीन मैन्योर (हरी खाद) तैयार कर उत्पादकता को बढ़ाने दिशा में कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में बारिश की स्थिति जिले में अच्छी होने के चलते किसानों को ’’श्री पद्धति’’ से खेती के लिए अनुकूल अवसर मिला है। इस संबंध में कृषि विभाग द्वारा किसानों को खेती की तैयारी से लेकर पौधों की रोपाई की पूरी जानकारी दी जा रही है। साथ ही खरपतवार नियंत्रण के बारे में भी बताया जा रहा है। पिछले वर्ष तक जिले में महज एक सौ पचास हेक्टेयर में ही ’’श्री पद्धति’’ से किसान धान की खेती करते थे। जबकि इस वर्ष श्री पद्धति से धान की खेती का रकबा बढ़ाया गया है।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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