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OP Chaudhary: जमीनों की रजिस्ट्री में ऋण पुस्तिक की अनिवार्यता समाप्त, पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी ने लोगों को दी दिवाली की बड़ी सौगात, परेशानी से मिलेगी राहत...

OP Chaudhary: रजिस्ट्री विभाग से एक बड़ी खबर आ रही है। पंजीयन विभाग ने आम आदमी को बड़ी राहत देते हुए रजिस्ट्री में ऋण पुस्तिक की अनिवार्यता समाप्त कर दिया है। पंजीयन विभाग के आईजी पुष्पेंद्र मीणा ने मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश पर इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। बता दें, रजिस्ट्री में ऋण पुस्तिका की अनिवार्यता से आम आदमी बड़ा त्रस्त था। मुंगेली में एक किसान ने इसी ऋण पुस्तिका न होने के चलते जमीन न बेच पाने से दुखी होकर आत्महत्या कर लिया था।

OP Chaudhary: जमीनों की रजिस्ट्री में ऋण पुस्तिक की अनिवार्यता समाप्त, पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी ने लोगों को दी दिवाली की बड़ी सौगात, परेशानी से मिलेगी राहत...
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By Gopal Rao

OP Chaudhary: रायपुर। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, तेलांगना, ओड़िसा समेत देश के अधिकांश राज्यों में ऋण पुस्तिका का सिस्टम समाप्त हो चुका है। मगर छत्तीसग़ढ़ अभी भी पुराने ढर्रे पर चल रहा है। जानकारों का कहना है कि सभी चीजें जब ऑनलाइन हो गई तो फिर ऋण पुस्तिक का कोई मतलब नहीं रह जाता। बहरहाल, राजस्व विभाग ऋण पुस्तिका को समाप्त करें या न करें, पंजीयन विभाग ने अपने स्तर पर ऋण पुस्तिका को गैर जरूरी मानते हुए रजिस्ट्री में इसकी अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। पंजीयन मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश पर आईजी पंजीयन पुष्पेंद्र मीणा ने अब से कुछ देर पहले रजिस्ट्री अधिकारियों को पत्र लिख इस संबंध में दिशानिर्देश जारी किया है। पढ़िये आईजी ने आदेश में क्या लिखा है...

विषयांतर्गत लेख है कि कृषि भूमि के राजस्व अभिलेख की प्रविष्टियों का इंद्राज कर किसानों को ऋण पुस्तिका जारी की जाती है। इसके अलावा किसानों को समय समय पर दिये जाने वाले ऋण, बंधक आदि का रिकार्ड भी ऋण पुस्तिका में दर्ज किया जाता है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में राजस्व अभिलेख ऑनलाईन कर दिये गये हैं तथा भूमि पर भारित ऋण की प्रविष्टि ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से की जाती है। राजस्व अभिलेखों के गिरदावरी संबंधी रिकार्ड ऑनलाईन अद्यतन होते हैं जो ऋण पुस्तिका में अद्यतन नहीं हो पाते है।

पंजीयन अधिकारियों के द्वारा रजिस्ट्री के समय ऑनलाईन प्रविष्टियों से डाटा मिलान किया जाता है, दस्तावेज में शुल्क अवधारण के या पंजीयन के उद्देश्य से ऋण पुस्तिका की कोई विशेष प्रासंगिता नहीं होती है। पंजीयन अधिकारियों के लिए ऋण पुस्तिका के तथ्यों की सत्यता जांचने का कोई प्रावधान नही है।

प्रायः यह देखने में आया है कि भौतिक ऋण पुस्तिका की कमी अथवा अन्य कारणों से क्रेता किसानों को जमीन खरीदी बिक्री के बाद नई ऋण पुस्तिकाएं समय पर नहीं मिल पाती हैं, इससे पक्षकारो को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पडता है तथा शासन की छवि भी खराब होती है।

प्रदेश में दस्तावेजों का ऑनलाईन पंजीयन वर्ष 2017 से किया जा रहा है तथा भुईयां से किसानों को नक्शा, खसरा व बी-1 की प्रति भी ऑनलाइन प्राप्त हो रही है। विक्रेता के स्वामित्व के वेरिफिकेशन हेतु पंजीयन साफ्टवेयर का भुईया के साथ इंटीग्रेशन किया गया है जिससे पंजीयन के समय दस्तावेज में वर्णित तथ्यों का राजस्व विभाग के डाटा से ऑनलाईन मिलान होने पर पंजीयन की कार्यवाही की जाती है।

शासन द्वारा राजस्व विभाग के साफ्टवेयर में ऑटो म्यूटेशन का प्रावधान किया गया है। जिसके तहत् भूमि के पंजीयन के साथ ही स्वतः खसरे का बटांकन होकर नवीन बी-1 जनरेट हो जाता है। जिसमें क्रेता एवं विक्रेता के पास धारित भूमि की जानकारी स्वतः अद्यतन हो जाती है।

प्रदेश में भूमि के पंजीयन से लेकर अन्य कार्य ऑनलाईन हो रहे हैं, जिसके तहत् पंजीयन प्रणाली को पेपरलेस भी किया गया है। भुईयां पोर्टल पर भूमि का बी 1, खसरा एवं नक्शा आदि ऑनलाईन उपलब्ध है एवं मान्य भी है अतः अब भौतिक रूप से प्रदाय की जा रही ऋण-पुस्तिका या किसान-किताब की पंजीयन हेतु आवश्यकता नही है।

अतः दस्तावेजों के पंजीयन के लिए किसानों/पक्षकारों से ऋण पुस्तिका की मांग न की जाए। भूमि के स्वामित्व, फसल विवरण एवं पंजीयन हेतु प्रासंगिक अन्य तथ्यों की पुष्टि ऑनलाईन डाटा से अनिवार्य रूप से किया जाए।

उपरोक्त के संबंध में अधीनस्थों को निर्देशित किया जाकर, कडाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।








Gopal Rao

गोपाल राव: रायपुर में ग्रेजुएशन करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। विभिन्न मीडिया संस्थानों में डेस्क रिपोर्टिंग करने के बाद पिछले 8 सालों से NPG.NEWS से जुड़े हुए हैं। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं।

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