NDPS Act: क्या है एनडीपीएस एक्ट, जानिए सजा का प्रावधान?
NDPS Act: एनडीपीएस एक्ट नशे के कारोबार करने वालों के लिए सन 1985 में बनाया गया था। इसके तहत मादक पदार्थों का कारोबार करने वाले और उन्हें संरक्षण देने वालों के खिलाफ कार्यवाही और सजा का प्रावधान है। दो कैटेगरी में एनडीपीएस एक्ट में सजा दी जाती है। एनडीपीएस सेक्टर में जांच अधिकारी बिना वारंट के तलाशी ले सकता है पूछताछ कर सकता है और मामला पाए जाने पर कार्यवाही कर सकता है।
NDPS Act: एनपीजी डेस्क। एनडीपीएस एक्ट में बिलासपुर संभाग कमिश्नर महादेव कावरे ने दो आरोपियों को जेल भेजा है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ जीआरपी के अफसर व कर्मियों के द्वारा गांजा तस्करी के खेल में शामिल होकर करोड़ों रुपए कमाने को लेकर एनडीपीएस एक्ट के बारे में जानने का लोगों में कौतूहल है। एनडीपीएस के बारे में कार्यवाही व सजा की चर्चा शुरू हो गई है। हम आपको एनडीपीएस एक्ट और उसमें सजा के बारे में जानकारी देते हैं।
एनडीपीएस एक्ट दो भागों में बंटा हुआ है। पहला एनडी और दूसरा पीएस। हिंदी का मतलब नारकोटिक ड्रग और पीस का मतलब साइकोट्राफिक सबस्टांस। नारकोटिक ड्रग सीधे दिमाग पर असर करती है और इंसान की सोचने समझने की क्षमता खत्म कर देती है। नारकोटिक्स में गांजा, अफीम, डोडा,चुरा, कोका जैसे ड्रग्स आते है। पीएस के तहत आने वाले ड्रग्स मसल्स पर असर करते हैं। इसमें केमिकल मिले ड्रग्स एमडीएमए, एमडी, एल्प्राजोलम वगैरा आते हैं।
नशे के कारोबार को लगाम लगाने के लिए एनडीपीएस एक्ट बनाया गया है। नशे पर प्रभावी कार्यवाही के लिए नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो बनाया गया है। यह नशे से जुड़े मामलों में कार्यवाही के लिए देश की सबसे बड़ी एजेंसी है। इसकी स्थापना 17 मार्च 1986 को हुई थी। यह एजेंसी केंद्र सरकार की है। इसके अलावा राज्य की पुलिस और सेंट्रल एक्साइज तथा कस्टम, एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ, रेलवे में जीआरपी, आरपीएफ कार्यवाही कर सकती है। कार्रवाई के दौरान पहले राजस्व विभाग के कार्यपालिक दंडाधिकारी के सामने जब्त माल का भौतिक सत्यापन होता था। भौतिक सत्यापन में नशीले पदार्थ की मात्रा और पदार्थ कौन सा है इसका सत्यापन किया जाता था। पर अब यह भौतिक सत्यापन न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष करवाए जाने का नियम बना दिया गया है।
क्या है एनडीपीएस एक्ट
नशीले पदार्थों का व्यापार और इसका बढ़ावा रोकने के लिए देश में 1985 में कानून बनाया गया। यह कानून एनडीपीएस एक्ट के नाम से जाना जाता है। इसका फुल फॉर्म नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट है। जिसे शॉर्ट में एनडीपीएस एक्ट कहते है। इसके तहत नशीले पदार्थों को बनाने, बेचने और सेवन करने वालों पर कार्यवाही की जाती है। इसमें जरूरत के अनुसार अब तक तीन बार 1988, 2001 और 2014 में संशोधन हो चुके हैं।
बिना वारंट के जांच, पूछताछ और तलाशी लेने का है अधिकारी
एनडीपीएस एक्ट की धारा 42 के अंतर्गत जांच एजेंसियों और जांच अधिकारियों को बिना किसी वारंट के भी तलाशी लेने सब के आधार पर पूछताछ करने और मादक पदार्थ जप्त करने का अधिकार है। इसके साथ ही गिरफ्तारी कभी अधिकार है। जबकि एनडीपीएस एक्ट की धारा 41 के अंतर्गत सरकार को नशीली दवा का सेवन करने वालों के इलाज व पुनर्वास का अधिकार दिया गया है।
कैसे और कितनी सजा
एनडीपीएस एक्ट में सजा के लिए कई प्रावधान बनाए गए हैं। एनडीपीएस सेक्टर में दक्ष की मात्रा के हिसाब से तीन हिस्सों में बांटा गया है। जिसमें स्मॉल क्वांटिटी, मीडियम क्वांटिटी और कमर्शियल क्वांटिटी है। क्वांटिटी के हिसाब से धारा और सजा तय होती हैं। स्मॉल क्वांटिटी में कुकिंग 2 ग्राम से कम है और मीडियम क्वांटिटी 2 से 100 ग्राम के बीच है और 100 ग्राम से ज्यादा को कमर्शियल क्वांटिटी मानी जाती है।
2020 से पहले एनडीपीएस की धारा 67 के तहत एनसी को हिरासत में दिए गए बयान को अदालत में मान्य किया गया था। लेकिन 2020 में तूफान सिंह वर्सेस तमिलनाडु राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 67 के तहत एनसी की हिरासत में दिए गए बयान को अमान्य करार कर दिया गया। जिसका आधार यह बताया गया कि एनसीबी भी एक एजेंसी है और पुलिस की तरह काम करती है। जब पुलिस हिरासत में दिए गए बयान को अदालत में मान्य नहीं माना गया है तो एनसी की हिरासत दिए गए बयान को भी मान्य नहीं माना जाएगा।
सजा का प्रावधान
एनडीपीएस एक्ट में सजा के लिए दो धाराएं बनाई गई है जिसमें धारा 27 और 27 ए है। ड्रग्स का व्यापार करने के अलावा ड्रग्स लेना भी अपराध की श्रेणी में है। जब कोई शख्स कोकीन, मार्फिन, डायएसिटाइल जैसे ड्रग्स का सेवन करते हुए पकड़ा जाता है तब उसे पर एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 के तहत अपराध दर्ज किया जाता है। यदि यह अदालत में साबित हो जाए तो अधिकतम 1 साल तक की जेल या 20 हजार तक जुर्माना या दोनों हो सकता है।
जबकि एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 ए ड्रग्स और गांजे जैसे नशे के व्यापार के लिए बनी होती है। इस तरह के ड्रग्स का उत्पादन करने, भंडारण करने, खरीदने बेचने या सप्लाई करने के लिए जो व्यक्ति फंडिंग करता है और पैसे लगता है तथा ऐसा करने वालों को संरक्षण देता है उस पर धारा 27 ए लगाने का प्रावधान है। इस धारा में दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 10 साल तक के लिए जेल है जो अधिकतम 20 साल तक बढ़ाई जा सकती है। मिनिमम जुर्माना 1 लाख है जो 2 लाख तक के भी किया जा सकता है।