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नक्सलियों ने जिन महिलाओं के जीवन को किया बेरंग, अब वही महिलाएं हर्बल गुलाल बनाकर लोगों के जीवन में ला रही खुशहाली

नक्सल प्रभावित गांव की महिलाओं ने नक्सलियो के डर से छोड़ा गांव, पांच सालों से होली के मौके पर गुलाब बनाकर हजारों रूपए कमा रही... स्व सहायता समूह की महिलाएं बना रही होली के लिए फूलों और सब्जियों से हर्बल गुलाल...

नक्सलियों ने जिन महिलाओं के जीवन को किया बेरंग, अब वही महिलाएं हर्बल गुलाल बनाकर लोगों के जीवन में ला रही खुशहाली
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By Sandeep Kumar

रायपुर। बीजापुर जिले के नक्सल प्रभावित पंचायत भैरमगढ़ के शिविर में रहने वाली कई महिलाओं की जिंदगी को जहां नक्सलियों ने बेरंग कर दिया था। अपनी जान बचाने के लिए इन महिलाओं ने अपना गांव छोड़ दिया और अब हर्बल गुलाल बनाकर लोगों की जिंदगी में रंग घोल रही हैं। यह काम ये महिलाएं पिछले पांच सालों से बिना किसी परेशानी के कर रही हैं और आने वाले सालों में इसे करने की बात कह रही हैं।

बीजापुर जिले के भैरमगढ़़ में बिहान कार्यक्रम के अंतर्गत माँ दुर्गा महिला स्व सहायता समूह की महिलएं पिछले पांच सालों से हर्बल गुलाल बनाकर आत्मनिर्भर बन रही हैं। इस बार बीजापुर के लोग इनके बनाए हर्बल रंगों और गुलाल से होली खेलेंगे। इन महिलाओं के बनाए हर्बल गुलाल की डिमांड भी काफी अधिक है। कई लोग इनको गुलाल का ऑर्डर भी दे रहे हैं। इधर जनपद पंचायत सीईओ पुनीत राम साहू ने बताया कि महिलाओं को हर्बल गुलाल बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसका फायदा उठाते ये महिलाएं पिछले पांच सालों से गुलाल बनाकर बाजार में बेचकर इसका फायदा उठा रही हैं। हर साल करीब 50 किलो से ज्यादा गुलाल बेचकर अपने परिवार का भरण भोषण कर रही हैं। इस समय इस समूह में 10 महिलाएं हैं।

अलग-अलग फूलों से तैयार हो रहा हर्बल गुलाल

इस स्वसहायता समूह की महिलाएं होली के लिए अलग-अलग फूलों और सब्जियों से रंग तैयार कर रही हैं। ये महिलाओं पालक भाजी, लाल भाजी, टेसू के फूल, गेंदा फूलों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहीं है। इन महिलाओं को पहले से ही प्रशासन की ओर से ट्रेनिंग दी गई है। पिछले पांच सालों में अब तक ये महिलाएं तकरीबन 150 किलो गुलाल बेच चुकी हैं.। खास बात यह है कि ये हर्बल गुलाल लोगों के चेहरे पर नुकसान नहीं पहुंचाता। यही कारण है कि लोग पहले से ही इसका ऑर्डर दे कर हर्बल गुलाल मंगवा रहे हैं। विकास खंड परियोजना प्रबंधक रोहित सोरी ने बताया कि समूह की महिलाएं इतामपार गांव जो इंद्रावती नदी के उस पार वहां की रहने वाली है। नक्सल हिंसा के चलते इन महिलाओं ने गांव को छोड़ दिया है और इस समय भैरमगढ़ के शिविर कैँप में रह रही हैं। इन महिलाओं को जिला प्रशासन के द्वारा रहने की सुविधा दी गई है। सोरी ने बताया कि इसके अलावा ये महिलाएं अलग- अलग व्यसाय कर जीवन यापन कर रही हैं।

हर्बल गुलाल की मांग ज्यादा

स्व सहायता समूह की अध्यक्ष फगनी कवासी और सचिव अनीता कर्मा ने बताया कि पहले हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग जिला प्रशासन द्वारा दी गई थी। यहां बनाया गए रंग पूरी तरह से प्राकृतिक हैं। हम फूल की पंखुड़ियां, पालक भाजी, लाल भाजी,हल्दी, बेसन पलाश के फूलों से अलग-अलग रंग तैयार कर रहे हैं। हमारे बनाए हर्बल गुलाल की डिमांड भी काफी ज्यादा है। इसके चलते हम पिछले पांच सालों से यह काम कर रहे हैं। महिलाओं ने बताया कि जिला पंचायत के साथ ही मार्केट में भी जगह-जगह स्टॉल लगाकर इनका गुलाल बेचा जा रहा है। इससे अच्छी आमदनी भी हो रही है।

बलरामपुर में समूह की महिलाएं बना रही हर्बल गुलाल


रंगों का त्योहार होली इस बार और भी खास होगा, क्योंकि जिले की स्व-सहायता समूह की महिलाएं प्राकृतिक हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं। ग्राम पंचायत भनौरा के गंगा महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हर्बल गुलाल बना रही हैं।

गंगा महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं का मानना है कि पारंपरिक तरीकों से बनाए गए प्राकृतिक गुलाल से न केवल सेहत स्वस्थ्य रहेगा, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी अनुकूल रहेगा। साथ ही महिलाओं के लिए आमदनी का नया स्रोत भी बन रहा है। पिछले वर्ष हर्बल गुलाल की मांग अधिक रही, जिसे देखते हुए इस बार महिलाओं ने रंग बनाना शुरू कर दिया है। बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए कलस्टर की अन्य महिला स्व-सहायता समूहों को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे भी हर्बल गुलाल तैयार कर सकें।

महिलाओं ने बताया कि गुलाल बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह प्राकृतिक है। इसे तैयार करने में औषधीय जड़ी-बूटियों और फूलों का उपयोग किया जाता है, जिससे यह त्वचा के लिए सुरक्षित होता है। विभिन्न रंग बनाने के लिए प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है गुलाबी रंग के लिए चुकंदर और गुलाब की पंखुड़ियां, पीला रंग के लिए हल्दी और गेंदे के फूल, हरा रंग के लिए पालक व मेंहदी के पत्ते, नीला रंग के लिए अपराजिता के फूल और लाल रंग के लिए टेसू के फूलों का इस्तेमाल कर रही है।

जिला प्रशासन एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के सहयोग से महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही हैं। यह पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में सहायक सिद्ध हो रही है। समूह की महिलाओं ने बताया कि वे पिछले पाँच वर्षों से ईको-फ्रेंडली हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रही हैं। वे कहती हैं कि रासायनिक रंगों की तुलना में प्राकृतिक गुलाल पूरी तरह सुरक्षित होता है और इसके इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। महिलाओं ने प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में भी इसी तरह के आजीविका मूलक प्रशिक्षण से अधिक से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकेंगी।

हर्बल गुलाल की बढ़ती मांग को देखते हुए महिलाएं अब बड़े पैमाने पर बनाने की योजना बना रही हैं। जिससे स्थानीय महिलाओं के लिए आजीविका का नया द्वार भी खुलेगा।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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