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नक्सलियों के द्वारा पक्का आवास बनाने की अनुमति नहीं दी जाती थी, सीएम विष्णुदेव साय की नीति और योजनाओं से सुरक्षा कैंप लगने से बदलने लगी गांव की तस्वीर

नक्सल प्रभावित गाँवों में विकास की रोशनी पहुंचने लगी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बीजापुर जिले ग्राम पंचायत धरमारम, जहां आजादी के बाद पहला पक्का आवास बना है।

नक्सलियों के द्वारा पक्का आवास बनाने की अनुमति नहीं दी जाती थी, सीएम विष्णुदेव साय की नीति और योजनाओं से सुरक्षा कैंप लगने से बदलने लगी गांव की तस्वीर
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By Sandeep Kumar

बीजापुर। नक्सलवाद का काला धुँध साफ होने के साथ नक्सल प्रभावित गाँवों में विकास की रोशनी पहुंचने लगी है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है बीजापुर जिले ग्राम पंचायत धरमारम, जहां आजादी के बाद पहला पक्का आवास बना है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला गुंडी बुचमा का पक्का आवास बनकर तैयार है।

पति की मृत्यु के बाद भी गुंडी बुचमा ने हिम्मत नहीं हारी आतंक और भय के माहौल में उसने अपने बेटे को शिक्षा से जोड़े रखा। वर्तमान में केन्द्र सरकार की महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना में गुंडी बुचमा का आवास बनकर तैयार है। क्षेत्र में गुंडी बुचमा का आवास आजादी के 77 वर्ष बाद सच्ची आजादी का एहसास करा रही है।

गुंडी बुचमा के आवास की कहानी इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती है चूंकि ग्राम पंचायत धरमारम माओवाद से प्रभावित गांव होने के कारण शासकीय योजनाओं का संचालन कठिन था। आजादी केे 77 वर्ष बाद भी आंतक और भय में ग्रामीण जीने को मजबूर थे। नक्सल प्रभाव के कारण ग्राम पंचायत में पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं भी ग्रामीणों को नहीं मिल पा रही थी।

गुंडी बुचमा एक अकेली महिला जो अपने बच्चे को खेती-बाड़ी कर पालन-पोषण कर रही थी। अपने बच्चे को दूसरे पंचायत में भेज कर 12वीं तक पढ़ाया, जो की उनके लिए एक उपलब्धि है।

गांव में सुरक्षा कैंम्प लगने के साथ माओवाद का अंधियारा भी छटने लगा। वित्तीय वर्ष 24-25 में ग्राम पंचायत के द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी मिली। शुरूआत में ग्रामीण डर की वजह से आवास निर्माण करने में डर रहे थे। समय के साथ गुंडी बुचमा ने आवास का निर्माण प्रारंभ किया। वर्तमान में उनका पक्का छत वाला आवास बनकर तैयार हो गया है।

गुंडी बुचमा के पुत्र का कहना है कि माओवाद के डर से किसी तरह झोपड़ी में बिना बिजली, सड़क, पानी के जीवन कट रहा था। अब हमारा पक्का आवास बन गया है। सुरक्षा कैम्प लगने के साथ धीरे-धीरे परिस्थितियां बदल रही हैं। मैं शासन प्रशासन का धन्यवाद करता हूं।

दयाराम का सपना हुआ साकार, प्रधानमंत्री आवास के तहत मकान बनने से परिवार में आई खुशियां

प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) गरीब और बेघर परिवार के लोगों का सपना साकार कर रही है, जो पक्के आवास की सिर्फ कल्पना ही कर सकते थे। जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर विकासखण्ड दुर्गूकोंदल के ग्राम पंचायत हाटकोंदल निवासी दयाराम इन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से अपने परिवार के लिए एक नए और पक्के मकान का सपना साकार किया है।

हितग्राही दयाराम ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2024-25 में आवास स्वीकृति मिली। पहले दो कमरे के कच्चे मकान में रहते थे, जहां बरसात के दिनों में जीवन-यापन करने में अनेक प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उन्होंने बताया कि मिट्टी एवं खपरैल का घर होने के कारण बारिश के दिनों में पानी का टपकना, जमीन में सीलन आने के साथ जहरीले जीव-जंतुओं का खतरा भी बना रहता था।

लेकिन प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत राशि मिलने से अपने लिए एक नया पक्का और सुरक्षित मकान बना लिया है। इस नए मकान में उनका परिवार अब खुशी-खुशी जीवन व्यतीत कर रहा है। उन्हांने अपने नए पक्का मकान के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) गरीब परिवारों के लिए एक वरदान साबित हो रही है। योजना का लाभ प्राप्त कर पक्का मकान बनने एवं निवास करने से हितग्राही दयाराम एवं उनके परिवार बेहद संतुष्ट हैं।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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