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नगरीय निकाय चुनाव: सीएम ने सेवा सदन का शुभारंभ किया, सरकंडा नगर निगम की संभावनाएं तलाशने लगे लोग

बुधवार का दिन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिला मुख्यालय के लिए गई मायने में बेहद महत्वपूर्ण। बुधवार को सियासत ये लेकर अकादमी क्षेत्र के लिए खास रहा। बेलतरा विधानसभा के सरकंडा में सीएम विष्णुदेव साय ने सेवा सदन का शुभारंभ किया। बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने लोगों की समस्याओं को दूर करने के लिए सेवा सदन की शुरुआत की है। सीएम साय ने सेवा सदन के बहाने प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर बिगुल फूंक दिया है। जिला मुख्यालय में यह अटकलें भी तेज हो गई है कि क्या आने वाले दिनों में सरकंडा नगर निगम का दर्जा प्राप्त करेगा।

नगरीय निकाय चुनाव: सीएम ने सेवा सदन का शुभारंभ किया, सरकंडा नगर निगम की संभावनाएं तलाशने लगे लोग
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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर नगर निगम की सीमा में वृद्धि के बाद अब इसका स्वरूप पहले से बहुत बड़ा हो गया है। बिलासपुर के अलावा तखतपुर,बिल्हा और बेलतरा विधानसभा के गांवों को इसमें शामिल कर लिया गया है। सीमा वृद्धि के बाद बिलासपुर निगम में सबसे खास बेलतरा विधानसभा हो गया है। बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के 17 वार्ड नगर निगम में आते हैं। 70 सीटों वाली शहर सरकार बनाने या बिगाड़ने में बेलतरा के इन वार्डों के मतदाताओं की अहम भूमिका रहती है। सीएम का बेलतरा विधानसभा क्षेत्र के नूतन कालोनी में आना और सेवा सदन का शुभारंभ करने के पीछे के राजनीतिक निहितार्थ और संदेश को लेकर इसी अंदाज में चर्चा छिड़ी हुई है। सियासी चर्चा के बीच पृथक नगर निगम की अटकलें भी जोर पकड़ने लगी है।

नगरीय निकाय चुनाव को लेकर पहले वार्डों का आरक्षण के बाद महापौर की कुर्सी आरक्षित की गई। तब शहर में सियासी हलचल में लोग शामिल होते नजर आए थे। शहर के प्रमुख चौक-चौराहों से लेकर चाय के ठेले और पान दुकान में लोगों की जुबान पर निकाय चुनाव की बातें सुनाई देने लगी। बुधवार को ऐसे क्या हुआ कि गुरुवार से लोग चुनावी मोड में नजर आते दिख रहे हैं। अरपापार सरकंडा में सियासत की चाल कुछ ज्यादा ही सरपट दौड़ते नजर आ रही है। कारण भी साफ है। निगम की राजनीति में अरपापार सरकंडा के मतदाताओं की दखलंदाजी से सभी अच्छी तरह परिचित हैं। सत्ता हो या फिर विपक्षी दल के रणनीतिकार। यहां के मतदाताओं की चाल निराली ही है। वर्ष 2018 का विधानसभा चुनाव हो या फिर वर्ष 2023 का। सभी ने इसे जांचा परखा और नजदीक से देखा है। विधानसभा चुनाव में यहां के मतदाता उम्मीदवारों के हार-जीत तय करते हैं। सियासत की भाषा में बोले तो विधानसभा पहुंचने का निरापद रास्ता अरपा के मतदाता ही बनाते हैं। 10 के अंतराल में हुए विधानसभा के दो चुनाव इसका जीता-जागता उदाहरण है।

स्थानीय राजनीति को जानने और समझने वाले यह मानते और समझते हैं कि मतदाताओं का नब्ज टटोलने में भाजपा के विधायक अमर अग्रवाल माहिर हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में लोगों के साथ ही अमर का भरोसा भी टूटा। या यूं कहें कि अरपापार के मतदाताओं ने यह भरोसा तोड़ दिया। भरोसा टूटने का असर ये हुआ कि वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव के दौर-दौरा में अमर अग्रवाल ने प्रदेश भाजपा से अलग स्थानीय स्तर पर शहर विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं के लिए घोषणा पत्र पेश करते लिए लोगों से कई वायदे किए। विकास व निर्माण कार्याें के वायदों के बीच उनकी एक घोषणा ने मतदाताओं का ध्यान सहसा अपनी ओर खींचने में वे सफल रहे। अमर अग्रवाल के घोषणा पत्र में अरपापार सरकंडा को पृथक नगर निगम का दर्जा देने का वायदा है।

0 लोगों की जुबान पर एक बड़ा सवाल यह भी

अरपापार सरकंडा को नगर निगम का दर्जा देने की एक बार फिर लोग संभावनाएं तलाशने लगे हैं। यह तर्क दे रहे हैं कि जब रायपुर से लगे बीरगांव,भिलाई से लगी नगर पालिकाओं को अपग्रेड कर नगर निगम का दर्जा दिया जा सकता है तब अरपापार सरकंडा को क्यों नहीं।

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