नगरीय निकाय चुनाव: पूजा बनीं बिलासपुर नगर निगम मेयर प्रत्याशी, उम्मीदवारी को लेकर इस तरह बना समीकरण...
Municipal body elections: प्रदेश भाजपा कार्यालय ने शनिवार को बिलासपुर नगर निगम के 70 में से 64 वार्ड पार्षद के उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। जिन 6 सीटों को होल्ड रखा गया है, कारण कुछ अलग है। होल्ड सीटों को मेयर पद के उम्मीदवारी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। इसके अलग सियासी मायने हैं। पार्षद पद के उम्मीदवारी की घोषणा के साथ ही शनिवार से इस बात की ही चर्चा हो रही है कि मेयर के लिए भाजपा व् पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने महिला मोर्चा की पदाधिकारी पूजा पद्मजा विधानी पर दांव खेला है. एनपीजी पूजा विधानी को लेकर पहले ही संभावना जता दी थी ।

बिलासपुर। बिलासपुर नगर निगम के इतिहास को पलट कर देखें तो अब तक केवल एक ही बार महिला मेयर को शहर सरकार चलाने का अवसर मिला है। कांग्रेस की वाणीराव चुनाव जीती और कांग्रेस का वर्षों का सूखा भी खत्म किया था। वह दौर बदल गया है। सियासत भी उसी अंदाज में करवट बदल चुका है। पूर्व मेयर वाणी राव कांग्रेस से भाजपा में शामिल हो गईं हैं। इतिहास के पन्नों में उनका नाम कांग्रेसी मेयर के रूप में शहर सरकार चलाने वाली पहिला मेयर के रूप में तो दर्ज हो ही चुका है। इन सब बातों और पुरानी सियासत कीचर्चा इसलिए कि इस बार भी कमोबेश कुछ ऐसी राजनीतिक परिस्थितियां बिलासपुर नगर निगम के लिए बन गई है। भाजपा ने पूजा विधानी को मेयर पद का प्रत्याशी घोषित कर दिया है.
बीते दो दिनों से जो चर्चा शहर के प्रबुद्ध और राजनीति को नजदीक से देखने और भांपने वालों की बातों पर भरोसा करें तो सत्ताधारी दल इस बार इतिहास रचने की दिखा में आगे बढ़ते दिखाई दे रही है। यही कारण है कि मेयर पद के उम्मीदवारी की दौड़ में महिला मोर्चा की राष्ट्रीय पदाधिकारी पूजा विधानी काफी आगे निकल गई है। पूजा के नाम की घोषणा हो जाए तो अचरज की बात नहीं होनी चाहिए। ये चर्चा और अटकलबाजी सच हो गई है. पूजा भाजपा की मेयर केंडिडेट बन गई है.
बिलासपुर विधानसभा की सियासत को करीब से देखने वाले और विधानसभा व लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद मतदाताओं के रूझान का आंकलन करने वालों की नजर इस बार भी मेयर चुनाव के लिए उम्मीदवारी पर जा टिकी थी । शहर विधानसभा की राजनी
ति की तस्वीर आईने की तरह साफ है। हार-जीत का फैसला सरकंडा से ही होते आ रहा है। भाजपा की जीत हो या फिर कांग्रेस की हार, इसे पलट कर देखें तो कांग्रेस की जीत या भाजपा की पराजय। सरकंडा के मतदाताओं की भूमिका अहम रहते आई है। सवाल यह भी उठता है कि सरकंडा में ऐसी क्या बात है और क्या खासियत है कि जीती बाजी पलट देते हैं और पलटी हुई बाजी को जीत में तब्दील कर देते हैं। अरपापार सरकंडा को राजनीतिक दृष्टिकोण से लिंगियाडीह से लेकर मोपका तक शामिल करते हैं तो अरपापार सरकंडा में मध्यमवर्गीय से लेकर स्लम बस्ती में रहने वाले मतदाता और उच्च वर्गीय मतदाताओं की अपनी एक अलग पहचान और संख्या बल है। ऐसा इलाका जहां तीनों ही श्रेणी के मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है, जिनको परिणाम बदलने में महारात हासिल है। खास बात ये कि यहां चलने वाली राजनीति हवा का अंदाजा राजनीतिक दल के नेताओं से लेकर रणनीतिकारों को आखिर तक पता नहीं चलता। खामोश मतदाता अपना मन कब बदल देते हैं इसकी भनक तक नहीं लग पाती। या यूं कहें कि इनके मन की बात का अंदाजा लगाना जरा मुश्किल ही है। इस इलाके में स्लम एरिया और यहां रहने वाले मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है। यहां रहने वाले मतदाता ही शहर में बनने वाले माहौल से इस कदर प्रभावित होते हैं कि ईवीएम में कब बाजीगरी कर जाते हैं जिसका अंदाज लगाना जरा मुश्किल ही रहता है।
0 पूजा के उम्मीदवारी के पीछे की सियासत
सरकंडा से लेकर हेमूनगर तक सिंधी समाज के मतदाताओं की संख्या भी अच्छी खासी है। सरकंडा से लेकर रेलवे परीक्षेत्र का वह इलाका जहां पूजा विधानी का अपना गृह वार्ड है, सिंधी मतदाताओं की भूमिका प्रभावी रही है। ये भाजपा के परंपरागत वोटर के रूप में जाने जाते हैं। समाज के एक बड़े तबके और प्रतिबद्ध मतदाताओं के बीच से उभरकर सामने आने वाली उम्मीदवारी को लेकर भी बीते कई दिनों और कई दौर तक गंभीरता के साथ चर्चा चलती रही है। वर्ष 2018 के चुनाव में परंपरागत वोटर्स की नाराजगी का सामना तब भाजपा को करना पड़ा था। यही कारण है कि बिलासपुर विधानसभा चुनाव का परिणाम भी आश्चर्यजनक ढंग से अप्रत्याशित ही आया था। जिसकी कल्पना भाजपा प्रत्याशी और रणनीतिकारों ने तो कम से कम की ही नहीं थी।
0 एक मजबूरी ऐसी भी
कारण साफ है। मौजूदा दौर में प्रतिबद्ध मतदाताओं की नाराजगी मोल लेने की स्थिति में ना तो भाजपाई रणनीतिकार हैं और ना ही कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल। ये ऐसी सियासी मजबूरी है जिसके चलते पूजा की दावेदारी को काफी मजबूती के साथ देखा जा रहा है।
0 दो समाज का प्रतिनिधित्व करतीं हैं पूजा
भाजपा के मेयर केंडिडेट पूजा विधानी दो समाज का प्रतिनिधित्व करती है. सिंधी समाज के अलावा तेलुगू समाज के बीच से होने के कारण चुनाव में राजनीतिक रूप से लाभ भी मिलेगा. रेलवे एरिया में तेलुगू वोटर्स की अच्छी खासी संख्या है.