मुंगेली नगर पालिका में अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर कुछ इस तरह चल रही रस्साकशी
छत्तीसगढ़ के नगर पालिका मुंगेली में अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर इन दिनों अदालती लड़ाई के साथ ही रस्साकशी भी चल रही है। कुर्सी दौड़ में कलेक्टर मुंगेली की परेशानी कुछ ज्यादा ही बढ़ती दिखाई दे रही है। अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज और बेदखली का शिकार हुए, दोनों ही अदालती आदेश हाथों में लहरा रहे हैं। कलेक्टर मुंगेली ने एक बार फिर राज्य शासन काे पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है।
बिलासपुर। मुंगेली नगर पालिका के अध्यक्ष की सियासी लड़ाई के पीछे पांच साल पहले के घटनाक्रम को याद करना जरुरी है। तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार काबिज थी। शिक्षक की नौकरी छोड़कर राजनीति में पर्दापण करने वाले संतूलाल सोनकर पहले ही प्रयास में सफलता के पायदान पर चढ़े। अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हो गए। सब ठीक चल रहा था। नाली निर्माण में भ्रष्टाचार का जिन्न बोतल से ऐसे निकला कि उसे जेल जाना पड़ा और अध्यक्ष की कुर्सी भी चली गई। कांग्रेस ने हेमेंद्र गोस्वामी को कुर्सी सौंप दी। संतूलाल अदालती लड़ाई लड़ते रहे। इसी बीच हाई कोर्ट का फैसला उसके पक्ष में आ गया। हाई कोर्ट के आदेश और राज्य शासन से मिले निर्देशों के तहत मुंगेली के कलेक्टर राहुल देव ने संतूलाल सोनकर को अध्यक्ष के पद पर काबिज करा दिया।
अध्यक्ष की कुर्सी संभाल रहे संतूलाल सोनकर के सामने एक बार फिर हेमेंद्र गिरी गोस्वामी चुनौती पेश करते नजर आ रहे हैं। हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए गोस्वामी ने कलेक्टर से अध्यक्ष की कुर्सी दिलाने की मांग करते हुए संतूलाल को हटाने की बात कही है।
0 गुरुजी से बने नेताजी, भ्रष्टाचार के आरोप में जेल भी गए
शिक्षक की नौकरी से त्यागपत्र देकर संतूलाल ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। भाजपा ने उसे नगर पालिका अध्यक्ष का उम्मीदवर बनाया। चुनाव जीते और अध्यक्ष के पद पर काबिज हो गए। गोस्वामी का कहना है कि वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में धारा 41 छ.ग नगर पालिका अधिनियम 1961 के प्रावधान के ने तहत संतूलाल को दिसम्बर 2021 में पद से हटाने का राज्य शासन ने आदेश जारी किया था। नाली निर्माण में भ्रष्टाचार की पुष्टि होने के बाद शासन ने यह कार्रवाई की थी। राज्य शासन ने उसे आगामी चुनाव लड़ने से भी अपात्र घोषित कर दिया है।
0 कलेक्टर ने शासन ने मांगा मार्गदर्शन
अध्यक्ष पद के विवाद को लेकर कलेक्टर राहुल देव ने राज्य शासन को पत्र लिखकर मौजूदा विवाद के संंबंध में मार्गदर्शन मांगा है।
0 हाई कोर्ट के आदेश पर लगी प्रशासन की नजर
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में दायर याचिका की अंतिम सुनवाई चार नवंबर को होगी। मौजूदा विवाद को देखते हुए जिला प्रशासन की नजर हाई कोर्ट के फैसले पर टिकी हुई है। कोर्ट से आने वाले फैसले का प्रशासनिक अमले को इंतजार है।