मिर्गी का गारंटेड इलाजः फकीरी और आयुर्वेदिक पद्धति से 10 नवंबर को होगा मिर्गी का उपचार, अघोर आश्रम की दुखियों की बड़ी सेवा
जशपुर के अघोर आश्रम में 10 नवंबर को मिर्गी के उपचार के लिए कैंप लगाए जा रहे हैं। इसके लिए रजिस्ट्रेशन प्रारंभ हो गया है। हजारों की संख्या में अभी तक इस कैंप का लाभ उठा मिर्गी बीमारी से मुक्त हो चुके हैं।
जशपुर नगर। छत्तीसगढ़ का जशपुर प्राकृतिक सौंदर्य और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के गृह नगर के तौर पर जाना जाता है मगर इसके साथ सर्वेश्वरी समूह के अघोर आश्रम के रूप में भी जशपुर की अलग पहचान है।
जशपुर में सर्वेश्वरी समूह के दो आश्रम हैं। पहला सोगड़ा और दूसरा गम्हरिया। 60 के दशक में विध्यांचल और वाराणसी के आसपास सघन जंगल में तपस्वी अघोरेश्वर भगवान राम को दिलीप सिंह जूदेव के पिता विजय भूषण सिंह जूदेव ने आग्रह कर जशपुर लाए थे। उन्होंने दोनों आश्रमों का निर्माण कराया।
कुष्ठों की सेवा करने के मामले में सर्वेश्वरी समूह का नाम लिम्का बुक में दर्ज है। कुष्ठों का निःस्वार्थ सेवा के लिए छत्तीसगढ़ का पं0 रविशंकर शुक्ल पुरस्कार भी संस्था को मिल चुका है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की भी आश्रम में बेहद आस्था है। मुख्यमंत्री का शपथ लेने के बाद वे गुरूपद बाबा संभव राम जी का आर्शीवाद लेने अघोरेश्वर आश्रम पहुंचे थे।
सर्वेश्वरी समूह फकीरी और आयुर्वेदिक पद्धति से लाइलाज मिर्गी का इलाज भी करता है। जाहिर है, मिर्गी का ऐलोपैथिक में कोई उपचार नहीं है। 10 नवंबर को जशपुर के गम्हरिया आश्रम में मिर्गी कैंप लगा रहा है। 10 नवंबर को सुबह चार बजे मिर्गी की दवाई दी जाएगी।
मरीजों को एक दिन पहले आश्रम पहुंचना होगा। आश्रम के डॉक्टर समीर ने बताया कि मरीजों को साथ में एक सहयोगी लाना होगा। चूकि सुबह चार बजे दवाई दी जाती है इसलिए सुविधा की दृष्टि से एक दिन पहले आश्रम पहुंचना बेहतर रहेगा।