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MBBS Bond Posting: बांड पोस्टिंग में खेला, ऑनलाइन काउंसलिंग में सामने आया फर्जीवाड़ा, जूनियर डाक्टर्स एसोसिशन ने दर्ज कराई आपत्ति

एमबीबीएस बांड पोस्टिंग की ऑनलाइन काउसंलिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। काउंसलिंग में की गई गड़बड़ी को लेकर 50 एमबीबीएस डाक्टर के अलावा जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई है।

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By Radhakishan Sharma

रायपुर। एमबीबीएस की बांड पोस्टिंग के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग और सलेक्शन लिस्ट तैयार करने में जमकर फर्जीवाड़ा किया गया है। काउंसलिंग में शामिल होने वाले डाक्टर के अलावा जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन ने शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि काउंसलिंग के दौरान डाक्टर्स द्वारा पेश मार्कशीट के प्राप्तांकों में हेरफेर कर दिया है। नंबरों में गड़बड़ी कर मेरिट लिस्ट तैयार की गई है,इसमें अपनों को बैकडोर इंट्री देने की गंभीर शिकायत की गई है। जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन ने यह भी शिकायत की है कि वैकेंसी सूची से छत्तीसगढ़ के बड़े अस्पतालों के साथ ही रायपुर व बिलासपुर के स्वास्थ्य केंद्रों को भी सूची से बाहर कर दिया है।

संचालनालय स्वास्थ्य सेवाएं ने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने वाले डाक्टर्स के लिए दो साल के एग्रीमेंट पर पोस्टिंग के लिए ऑनलाइन काउंसलिंग प्रारंभ की थी। 583 सामुदायिक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं जिला अस्पताल तथा 27 मेडिकल कालेजों में डाक्टर्स की नियुक्ति की जानी है। काउंसलिंग के बाद विभाग ने मेरिट लिस्ट जारी की है। जारी मेरिट लिस्ट में जमकर गड़बड़ी सामने आई है।

ये तो गजब हो गया-

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेरिट लिस्ट और आयुष विवि द्वारा जारी मार्कशीट के नंबर में भारी अंतर है। नंबरों में हेरफेर के चलते मेरिट लिस्ट में क्रम बदल गया। ऐसा कर अपनो को बैक डोर इंट्री देने का काम विभागीय अफसरों ने किया है।

जूनियर डाक्टर्स एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री से की शिकायत-

मेरिट लिस्ट जारी करने में की गई गड़बड़ी को लेकर एसोसिएशन के अध्यक्ष डा रेशम सिंह की अगुवाई में पदाधिकारियों ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से शिकायत दर्ज कराई है। एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री हस्तक्षेप करने के साथ ही सुधार की मांग की है।

एसोसिएशन ने इन मुद्दों को उठाया-

वर्तमान में मेरिट सूची केवल अंतिम वर्ष के अंकों के आधार पर बनाई जा रही है। MBBS एक पांच वर्षीय पाठ्यक्रम है जिसमें सभी वर्ष समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं। इससे कई योग्य अभ्यर्थियों को अनुचित स्थान मिल रहा है। 50 से अधिक छात्रों ने अपनी शिकायत में बताया है कि उनके अंक गलत दर्ज किए गए हैं, या जानबूझकर कम अंक दिखाए गए हैं। इस प्रकार की लापरवाही छात्रों के करियर और आत्मविश्वास दोनों को प्रभावित कर रही है। सभी वर्ष के अंकों को सम्मिलित कर संपूर्ण अकादमिक प्रदर्शन के आधार पर मेरिट बनाई जाए, तथा जिन छात्रों ने अंक त्रुटियों की शिकायत की है, उनकी निष्पक्ष जांच कर पुनरीक्षित मेरिट जारी की जाए।

बॉन्ड डॉक्टर्स के वेतन में भारी असमानता-

वर्तमान में बॉन्ड के तहत नियुक्त MBBS डॉक्टर्स को मात्र ₹45,000 मासिक वेतन प्रदान किया जा रहा है, जबकि यही कार्य रेगुलर नियुक्त डॉक्टर्स ₹90,000–₹1,00,000 के वेतन एवं भत्तों के साथ कर रहे हैं। यह वेतन अंतर न केवल अनुचित है, बल्कि डॉक्टरों के आत्मसम्मान एवं जीविकोपार्जन पर भी विपरीत प्रभाव डालता है। बॉन्ड डॉक्टर्स का न्यूनतम वेतन ₹75,000 से ₹90,000 किया जाए, तथा उन्हें भी अन्य आवश्यक सुविधाएं जैसे आवास, स्वास्थ्य बीमा एवं सुरक्षा प्रदान की जाएं।

रिक्तियों की अपारदर्शिता-

छत्तीसगढ़ राज्य में अनेक सरकारी अस्पतालों, CHC एवं PHC में चिकित्सकों की भारी कमी है। इसके बावजूद ऑनलाइन काउंसलिंग पोर्टल में कई संस्थानों को वैकेंसी लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है, जिससे पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं। सभी संस्थानों की अद्यतन रिक्ति सूची को सार्वजनिक किया जाए और सभी स्थानों को चॉइस लिस्ट में शामिल किया जाए, ताकि मेरिट आधारित व निष्पक्ष स्थान आवंटन हो सके।

काउंसलिंग में विलंब से सेवा अवधि होगी प्रभावित-

काउंसलिंग प्रक्रिया में हो रही देरी से छात्रों की बॉन्ड सेवा अवधि अनावश्यक रूप से बढ़ रही है। शासन की तकनीकी या प्रशासनिक देरी का भार छात्रों पर डालना अन्यायपूर्ण है और इससे उनकी आगे की पढ़ाई, PG तैयारी एवं करियर योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। जिस भी अवधि में काउंसलिंग या जॉइनिंग में देरी हुई है, उसे कुल सेवा अवधि में से घटाया जाए, ताकि छात्रों को अनावश्यक नुकसान न उठाना पड़े।

एसोसिएशन ने दी चेतावनी-

जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने यह स्पष्ट किया है कि वे शासन की नीयत और सुधारात्मक प्रयासों का सम्मान करते हैं, किंतु इस प्रक्रिया की सफलता के लिए उसका निष्पक्ष, पारदर्शी एवं छात्र हितैषी होना अत्यंत आवश्यक है। एसोसिएशन ने कहा कि इन बिंदुओं पर शीघ्र समाधान नहीं हुआ, तो वे अगली कार्यवाही हेतु बाध्य होंगे, जिसमें सामूहिक ज्ञापन, जनजागरण अभियान एवं आवश्यकतानुसार शांतिपूर्ण प्रदर्शन भी शामिल हो सकते हैं।

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