मजदूरों को भरपेट भोजनः छत्तीसगढ़़ में एक लाख मजदूरों को हर दिन 5 रुपए में पौष्टिक भोजन खिला रही विष्णुदेव सरकार
शहीद वीर नारायण सिंह श्रम योजना लगभग 94,000 मजदूरों को मासिक आधार पर पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराती है, तथा प्रवासी आबादी के बीच भूख और गरीबी की समस्या का समाधान करती है।
छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार मजदूरों को स्वस्थ्य रखने के लिए उनके भोजन का भी ध्यान रख रही है। प्रदेश में एक लाख से अधिक श्रमिकों को 5 रुपए में भरपेट भोजन खिलाने का काम भी सरकार कर रही है।रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय गरीब मजदूरों को लेकर बेहद संजीदा हैं और उनके हक और बराबरी के लिए अपनी सारी योजनाएं चला रहे हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ में ’शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना’ से हर महीने 94,000 से अधिक मजदूरों को सिर्फ 5 रुपये में पौष्टिक भोजन मिल रहा है। यह योजना भूख और गरीबी से राहत देने के साथ-साथ मजदूरों के बेहतर स्वास्थ्य, बच्चों की शिक्षा और उज्ज्वल भविष्य के लिए मददगार साबित हो रही है।
शहीद वीर नारायण सिंह श्रम योजना लगभग 94,000 मजदूरों को मासिक आधार पर पोषणयुक्त भोजन उपलब्ध कराती है, तथा प्रवासी आबादी के बीच भूख और गरीबी की समस्या का समाधान करती है। शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना ने कई प्रवासी श्रमिकों के लिए भूख के चक्र को तोड़ने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत भोजन मिलने से मजदूरों को अपने बच्चों की शिक्षा के लिए अधिक बचत करने में मदद की है और उन्हें खुशहाल जीवन जीने की इच्छा को फिर से जगाया है।
आजीविका के लिए ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में तेजी से हो रहा पलायन आज दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण जनसांख्यिकीय बदलावों में से एक है। दुनिया भर में ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आजीविका के लिए पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। एचडीएस (2011-2013) के अनुसार छत्तीसगढ़ में 0.19 मिलियन लोग ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में पलायन कर चुके हैं। अनियंत्रित प्रवास का एक अदृश्य प्रभाव खाद्य असुरक्षा है जो आर्थिक रूप से असुरक्षित प्रवासियों को अस्वास्थ्यकर व्यवहार अपनाने के लिए मजबूर करता है।
भोजन की चिंता दूर, जागा भाग्य
मनोज एक सुरक्षा गार्ड है, जो हर महीने 12 हजार रुपए कमाता है। लेकिन उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा आवास और भोजन पर खर्च होता था। ऐसे वित्तीय दबाव के दौरान, सब्सिडी वाले भोजन से खाद्य असुरक्षा से निपटने और विषम परिस्थितियों में कार्यरत बड़ी शहरी गरीब आबादी को पौष्टिक भोजन सुलभ बनाने में महत्वपूर्ण मदद मिल रही है। यूएनडीपी ने छत्तीसगढ़ में श्रम विभाग के सहयोग से शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न जैसे कार्यक्रमों का समर्थन किया है। जब मनोज को शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना के तहत 5 रुपए की सब्सिडी वाले भोजन के बारे में पता चला तो उन्होंने राहत की सांस ली।
मनोज खुटे की आँखों में दूर की ओर देखने वाला चिंतनशील भाव है। वह ध्यान से अपनी प्लेट में खाना भरता है और खाने के लिए बैठ जाता है, उसे याद है कि पहले उसका परिवार खेती-किसानी करता था और सभी घर पर ही खाना खाते थे। धीरे-धीरे, घटते भूजल स्तर, अचानक जलवायु परिवर्तन और बढ़ती ऊर्जा लागत ने अनुसूचित जाति समुदाय के एक छोटे से भूस्वामी मनोज को खेती से बाहर कर दिया। जैसे-जैसे मनोज के बच्चे बड़े होते गए, उन्हें एहसास हुआ कि उनके पास अपनी दो बेटियों की शिक्षा और बाद में उनकी शादी की योजना बनाने के लिए पर्याप्त बचत नहीं है। उनके सामने एकमात्र समाधान रायपुर, जो कि पास का बड़ा शहर है, में जाकर और एक अच्छी नौकरी ढूँढना था। मनोज ने एक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम किया और अपने कृषि उपकरणों के बदले एक वर्दी और सीटी खरीदी।
सात से अधिक जिलों में योजना के आधार रसोई और 20 से अधिक स्थानों पर भोजन वितरण केंद्र प्रवासी आबादी के बीच भूख और गरीबी को दूर करते हुए हर महीने लगभग 94,000 मजदूरों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराते हैं। औद्योगिक और गैर-औद्योगिक दोनों क्षेत्रों में दिन में एक बार भोजन परोसा जाता है, जहां श्रमिक 5 रुपये की रियायती दर पर भोजन प्राप्त कर सकते हैं। शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना वर्ष 2017 से छत्तीसगढ़ में प्रारंभ होकर संचालित है। यह योजना रायपुर, दुर्ग, रायगढ़, राजनांदगाँव, महासमुंद तथा अंबिकापुर में पूर्व से संचालित है। एमओयू के अनुसार एक थाली भोजन की राशि 52.65 रुपये निर्धारित है। जिसमें 5 रुपये श्रमिक द्वारा तथा शेष 47.65 रुपये श्रम विभाग द्वारा प्रदान किया जाता है।
मजदूरों ने की साय सरकार की तारीफ
वित्त मंत्री और जांजगीर-चांपा जिले के प्रभारी मंत्री ओपी चौधरी ने शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना के तहत जिला मुख्यालय जांजगीर के निकट स्थित एफसीआई गोदाम के पास स्थित नया बस स्टैंड परिसर पर कैंटीन का शुभारंभ किया। इस कैंटीन के माध्यम से निर्माणी, संगठित एवं असंगठित वर्ग के श्रमिको को मात्र 5 रुपए में चावल, दाल, सब्जी, आचार या चटनी के साथ गरम और ताजा भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्य शासन (श्रम विभाग) तथा आर के एसोसिएट्स नई दिल्ली के मध्य एमओयू हस्ताक्षर हुए हैं। जाँजगीर के इस कैंटीन में सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक गर्म भोजन उपलब्ध कराया जायेगा तथा भोजन का समय श्रमिकों के आधार पर परिवर्तन किया जा सकता है।
इसमें खाने हेतु 400 ग्राम चावल, 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्ज़ी तथा 10 ग्राम आचार या चटनी एवं आरओ का पानी पीने के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। इस योजना के तहत भोजन सप्ताह में 6 दिन उपलब्ध कराया जा रहा है तथा श्रमिकों की आवश्यकता अनुसार 7वें दिन भी उपलब्ध कराया जा सकता है। जांजगीर जिले के प्रभारी मंत्री ओपी चौधरी ने मड़वा पावर प्लांट के श्रमिकों, सतीश कुमार और रमेश कुर्रे से बात की। श्रमिकों ने इस योजना की सराहना करते हुए कहा कि इससे उन्हें कम कीमत पर पौष्टिक और ताजा भोजन मिल रहा है, जिससे उनके कार्य करने की क्षमता में वृद्धि हो रही है।
मजदूरों का कहना है प्लांट में कार्य करने आने से पहले जो समय खाना बनाकर लाने में लगता था अब वो नही लगता। कलेक्टर आकाश छिकारा ने कहा श्रम कैंटिंग का प्रारंभ मड़वा पवार प्लांट में किया गया है। इससे प्लांट के लगभग 1500 मजदूरों को काभ मिलेगा। इस कैंटीन में 5 रूपए में श्रमिको को पौष्टिक भोजन मिलेगा। इसके माध्यम से श्रमिकों को न केवल किफायती भोजन मिलता है, बल्कि उनका स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है।
गरीब मजदूरों के लिए 72 योजनाएं
कैबिनेट मंत्री लखन लाल देवांगन के मुताबिक श्रम विभाग द्वारा गरीब मजदूरों के लिए 72 योजनाओं का संचालन किया जाता है, जिसके तहत सिलाई मशीन, स्कॉलरशिप और कई तरह के समान और अन्य कई तरह के सामग्रियों का वितरण मजदूरों को किया जाता है। श्रम विभाग की ओर से सामग्रियों का वितरण नहीं किया जाता, बल्कि उस सामग्री का दाम सीधे हितग्राहियों के खातों में ट्रांसफर किया जाता है, जिसके तहत छत्तीसगढ़ राज्य में 29 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं।
इसलिए शहीद के नाम योजना का नाम
शहीद वीर नारायण सिंह को छत्तीसगढ़ का पहला स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है, जिन्हें 10 दिसंबर 1857 को अंग्रेजों ने रायपुर के जय स्तंभ चौक पर फांसी दी थी। तब से लेकर अब तक 10 दिसंबर को शहीद दिवस भी मनाया जाता है। वह जेल तोड़कर फरार भी हुए थे। इतिहास में उन्हें गरीबों का मसीहा कहा गया है। अकाल के समय गोदाम के ताले तुड़वाकर उन्होंने अनाज गरीबों में बांट दिया था। गरीबों में अनाज बांटने के लिए भी इतिहास में उनका नाम दर्ज है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके नाम पर श्रम अन्न योजना के तहत गरीबों को 5 रुपए में भरपेट भोजन मुहैया कराने की योजना की शुरुआत की है।
सभी जिलों में दालभात सेंटर भी खुलेंगे
छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में अब फिर से दाल-भात केंद्र शुरू किए जाएंगे। प्रदेश में यह पहले चल रहा था, लेकिन बंद कर दिया गया था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव ने इसका ऐलान किया है। प्रदेश के श्रम विभाग में पंजीकृत श्रमिक परिवारों के बच्चों को हॉस्टल में निःशुल्क अध्ययन की सुविधा देने के लिए अटल उत्कृष्ट शिक्षा सहायता योजना शुरू करने की भी घोषणा की है। श्रम और उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन का कहना है कि भाजपा की सरकार गरीबों के लिए काम कर रही है।
यह योजना छत्तीसगढ़ में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यकाल में शुरू हुई थी। कांग्रेस सरकार आने के बाद योजना बंद हो गई थी। अब फिर से भाजपा सरकार 5 रुपये में भरपेट भोजन देने वाले दाल-भात केंद्र खोल रही है। वहीं, दाल भात केन्द्र में आए स्थानीय मजदूर ने कहा “इस योजना से गरीबों को काफी लाभ होगा. कम पैसे में वो भरपेट भोजन कर सकेंगे। कोरबा के बालको में पहले ही दाल-भात केंद्र शुरू हो चुका है।