Mahtari Vandan Yojana: विष्णुदेव सरकार की महतारी वंदन योजना बनी महिलाओं के लिए वरदान, आर्थिक तंगी से आत्मनिर्भरता तक का सफर...
Mahtari Vandan Yojana: सुशासन का मूल उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की रोशनी पहुँचाना होता है। जब कोई नीति या योजना समाज के वंचित वर्गों तक प्रभावी ढंग से पहुँचती है, तो उसका असर न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरे समुदाय पर पड़ता है।

Mahtari Vandan Yojana: रायपुर। सुशासन का मूल उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास की रोशनी पहुँचाना होता है। जब कोई नीति या योजना समाज के वंचित वर्गों तक प्रभावी ढंग से पहुँचती है, तो उसका असर न केवल एक व्यक्ति बल्कि पूरे समुदाय पर पड़ता है। ऐसी ही एक पहल “महतारी वंदन योजना“ ने महासमुंद जिले के सिरपुर क्षेत्र की कमार जनजातीय महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और सशक्तिकरण की नई राह दिखाई है।
सिरपुर की रहने वाली केंवरा कमार पहले परंपरागत बांस शिल्प कारीगरी पर निर्भर थीं। यह उनकी आजीविका का मुख्य साधन था, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण उनका व्यवसाय ठप पड़ गया था। सीमित संसाधनों और बाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण उनके लिए गुजारा करना मुश्किल हो रहा था। मगर महिला एवं बाल विकास विभाग से 1000 रुपये प्रतिमाह की सहायता राशि मिलने के बाद उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ लिया। इस आर्थिक सहयोग से उन्होंने बांस, रस्सी और अन्य आवश्यक सामग्री खरीदनी शुरू की, इससे उनका व्यवसाय फिर से अच्छा चल रहा है, और अब वे अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने में सक्षम हो रही हैं।
इसी तरह सिरपुर की ही रहने वाली भामिनी गोस्वामी इस योजना का लाभ उठाकर अपनी बेटी टांसी गोस्वामी के भविष्य को संवार रही हैं। हर माह मिलने वाली 1000 रुपये की सहायता राशि को वे सुकन्या समृद्धि योजना में जमा कर रही हैं। यह छोटी-सी बचत उनकी बेटी के लिए एक मजबूत आर्थिक संबल बन रही है, जो आगे चलकर उसकी उच्च शिक्षा और विवाह में सहायक सिद्ध होगी।
भामिनी कहती हैं, “पहले हमारे पास इतनी बचत नहीं होती थी कि हम अपनी बेटी के भविष्य के बारे में सोच सकें, लेकिन महतारी वंदन योजना ने हमें यह अवसर दिया है कि हम अपने बच्चों को एक सुरक्षित और उज्जवल भविष्य दे सकें।“ महतारी वंदन योजना केवल एक आर्थिक सहायता योजना भर नहीं है, बल्कि यह महिलाओं के सशक्तिकरण का आधार भी बन रही है। खासकर दूरस्थ और आदिवासी क्षेत्रों की महिलाओं के लिए यह योजना किसी वरदान से कम नहीं।
आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती श्यामा बाई
गरियाबंद जिले की जनजातीय महिलाओं के जीवन में महतारी वंदन योजना ने नई उम्मीदें जगाई हैं। यह योजना न केवल आर्थिक मदद कर रही है, बल्कि परंपरागत बांसशिल्प कला को सशक्त करने और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कुरूद गांव की कंडरा जनजाति की श्यामा बाई इस योजना की सफलता की मिसाल बन चुकी हैं।
कभी मजदूरी कर मुश्किल से गुजारा करने वाली श्यामा बाई ने योजना से मिलने वाली आर्थिक सहायता का उपयोग अपने पारंपरिक बांसशिल्प व्यवसाय को बढ़ाने में किया। अब उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है, और उनकी मासिक आय 8,000 रुपए तक पहुंच चुकी है। श्यामा बाई ने बताया कि महतारी वंदन योजना से मिलने वाली प्रतिमाह 1,000 रुपए की राशि उनके व्यवसाय के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई है। इससे वह बांस जैसी कच्ची सामग्री समय पर खरीद पाती हैं, जिससे उनका काम तेजी से बढ़ा है। पहले उन्हें पैसे की कमी के कारण कम मात्रा में उत्पाद तैयार करने पड़ते थे, लेकिन अब वह टोकरी, बर्तन और सजावटी सामान के साथ-साथ छोटे उत्पाद जैसे सूपा, चुरकी और टोकनी भी बना पा रही हैं। उनके पति भी इस कार्य में सहयोग करते हैं। साथ मिलकर वे अपने उत्पादों को बिचौलियों के माध्यम से गांवों में बेचते हैं। शादी-विवाह के सीजन में बाजारों में दुकान लगाकर अतिरिक्त आय अर्जित करते हैं। इस मदद और मेहनत ने उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दी है।
महतारी वंदन योजना के अंतर्गत मिल रही आर्थिक सहायता ने श्यामा बाई और उनके परिवार को आत्मनिर्भर बनाया है। अब उन्हें दूसरों से ऋण लेने की जरूरत नहीं पड़ती, और वह अपने व्यवसाय को कुशलता से चला रही हैं। उनकी सफलता से अन्य जनजातीय परिवार भी प्रेरित हो रहे हैं और बांसशिल्प जैसे परंपरागत व्यवसायों को नए सिरे से अपनाने की ओर अग्रसर हैं। गरियाबंद जिले में महतारी वंदन योजना जैसे प्रयासों ने यह साबित किया है कि यदि योजनाएं सही तरीके से लागू की जाएं, तो इससे न केवल आर्थिक विकास संभव है, बल्कि पारंपरिक कौशल को भी सहेजा जा सकता है। श्यामा बाई आज आत्मनिर्भरता और परिश्रम की एक मिसाल हैं। उनके प्रयास यह से यह प्रमाणित हुआ है कि कैसे सरकारी योजनाएं जनजातीय समुदायों को प्रगति की मुख्यधारा में लाने का कार्य कर रही हैं। श्यामा बाई का कहना है कि महतारी वंदन योजना ने हमें आर्थिक मजबूती और आत्मविश्वास दिया है। अब हम अपने कौशल से अपने बच्चों को बेहतर भविष्य दे सकते हैं। उनकी यह सफलता अन्य महिलाओं के लिए अनुकरणीय है।
संगीता ने सीखा बचत और प्रबंधन के गुण
कबीरधाम जिला के ग्राम भागुटोला की निवासी संगीता पटेल आज आत्मनिर्भरता और आर्थिक प्रबंधक का एक उत्कृष्ट उदाहरण बन गई हैं। उनके जीवन में परिवर्तन का यह सफर छत्तीसगढ़ सरकार की महतारी वंदन योजना से शुरू हुआ, जिसने उन्हें न केवल आर्थिक सहायता दी, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया।
संगीता पटेल, एक गृहिणी और मां, अपने परिवार के लिए हमेशा कुछ बेहतर करना चाहती थीं। लेकिन सीमित आय के कारण उनके सपनों को साकार करना मुश्किल था। अब जब उन्हें महतारी वंदन योजना के तहत हर महीने 1000 रुपये की आर्थिक सहायता मिलने लगी, तो उनके जीवन में नई उम्मीद जगी। संगीता ने इस राशि का बुद्धिमानी से उपयोग करना शुरू किया। उन्होंने अपनी बेटी के भविष्य के लिए सुकन्या समृद्धि योजना में खाता खुलवाया और हर महीने उसमें 500 रुपये जमा करने का निर्णय लिया। यह उनके बेटी के बेहतर शिक्षा और भविष्य के सपनों को साकार करने का पहला कदम था। बचे हुए 500 रुपये का उपयोग वह घर के अन्य खर्चों और बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में करती हैं।
संगीता बताती हैं कि पहले छोटी-छोटी जरूरतों के लिए मुझे पति या सास-ससुर से पैसे मांगने पड़ते थे, जो कभी-कभी असहजता का कारण बनता था। लेकिन अब मुझे हर महीने अपनी जरूरतों के लिए पैसा मिलता है। यह केवल आर्थिक मदद नहीं है, बल्कि मेरे लिए आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की भी बात है। इस योजना ने न केवल संगीता को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उनके भीतर बचत और प्रबंधन का गुण भी विकसित किया है। अब वे अपने बच्चों के भविष्य के बारे में और अधिक सकारात्मक सोचने लगी हैं।
संगीता ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े का धन्यवाद करते हुए कहा कि महतारी वंदन योजना ने मेरे जैसी लाखों महिलाओं के जीवन में समृद्धि और आत्मविश्वास का संचार किया है। यह केवल आर्थिक सहायता नहीं है, बल्कि हमारे जीवन में स्थिरता और सम्मान लाने का माध्यम है।
गौरतलब है कि उक्त योजना का शुभारंभ 10 मार्च 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था। राज्य की लगभग 70 लाख हितग्राही महिलाओं को हर माह एक हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी जा रही है। मार्च से लेकर दिसम्बर तक हितग्राही महिलाओं को 10 मासिक किश्तों में 7181 करोड़ 94 लाख रूपए की आर्थिक सहायता दी जा चुकी है।
5 फरवरी 2024 को 12वीं किश्त जारी
राज्य शासन द्वारा महतारी वंदन योजना की 12वीं किश्त की राशि जारी कर दी गई है, जिसके अंतर्गत 69 लाख 53 हजार 994 महिला हितग्राहियों के बैंक खातों में 650.32 करोड़ रुपए की राशि का अंतरण किया गया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार महतारी वंदना योजना के तहत फरवरी माह में बालोद जिले में 2,50,768 हितग्राहियों को 23.10 करोड़ रुपए, बलौदा बाजार जिले में 3,27,476 हितग्राहियों को 30.97 करोड़ रुपए और बलरामपुर जिले में 2,13,300 हितग्राहियों को 19.79 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई। इसी प्रकार बस्तर जिले में 1,91,609 हितग्राहियों को 18 करोड़ 87 हजार रुपए, बेमेतरा जिले में 2,52,906 हितग्राहियों को 23.96 करोड़ रुपए और बीजापुर जिले में 38,273 हितग्राहियों को 3.67 करोड़ रुपए की राशि का वितरण किया गया। बिलासपुर जिले में 4,22,741 हितग्राहियों को 39.54 करोड़ रुपए, दंतेवाड़ा जिले में 54,579 हितग्राहियों को 5.16 करोड़ रुपए और धमतरी जिले में 2,34,046 हितग्राहियों को 21.76 करोड़ रुपए की सहायता दी गई। दुर्ग जिले में 4,02,211 हितग्राहियों को 38.33 करोड़ रुपए और गरियाबंद जिले में 1,81,791 हितग्राहियों को 16.75 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले में 95,401 हितग्राहियों को 8.72 करोड़ रुपए की सहायता राशि मिली।
जांजगीर-चांपा जिले में 2,88,420 हितग्राहियों को 26.91 करोड़ रुपए, जशपुर जिले में 2,30,609 हितग्राहियों को 21.50 करोड़ रुपए और कबीरधाम जिले में 2,53,149 हितग्राहियों को 23.53 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। कांकेर जिले में 1,83,279 हितग्राहियों को 17.46 करोड़ रुपए, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई जिले में 1,16,472 हितग्राहियों को 10.99 करोड़ रुपए, और कोंडागांव जिले में 1,39,784 हितग्राहियों को 13.08 करोड़ रुपए की राशि प्रदान की गई।
कोरबा जिले में 2,93,353 हितग्राहियों को 27.34 करोड़ रुपए, कोरिया जिले में 59,625 हितग्राहियों को 5.62 करोड़ रुपए और महासमुंद जिले में 3,22,519 हितग्राहियों को 30.11 करोड़ रुपए की राशि का वितरण हुआ।मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में 1,00,895 हितग्राहियों को 9.70 करोड़ रुपए, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी जिले में 81,831 हितग्राहियों को 7.59 करोड़ रुपए और मुंगेली जिले में 2,12,511 हितग्राहियों को 19.44 करोड़ रुपए की राशि अंतरित की गई। नारायणपुर जिले में 27,258 हितग्राहियों को 2.54 करोड़ रुपए, रायगढ़ जिले में 3,03,934 हितग्राहियों को 27.72 करोड़ रुपए और रायपुर जिले में 5,31,558 हितग्राहियों को 51.19 करोड़ रुपए की राशि अंतरित की गई। राजनांदगांव जिले में 2,56,724 हितग्राहियों को 24.22 करोड़ रुपए, सक्ती जिले में 1,98,777 हितग्राहियों को 18.22 करोड़ रुपए और सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में 1,89,156 हितग्राहियों को 16.67 करोड़ रुपए की राशि हस्तांतरित की गई। सुकमा जिले में 52,065 हितग्राहियों को 4.91 करोड़ रुपए, सुरजपुर जिले में 2,15,518 हितग्राहियों को 20.29 करोड़ रुपए और सरगुजा जिले में 2,31,456 हितग्राहियों को 21.38 करोड़ रुपए की राशि का अंतरण किया गया।