छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना से महिलाओं में जगी नई उम्मीद, विष्णु देव सरकार ने दिखाई आर्थिक स्वावलंबन की राह
छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार की महतारी वंदन योजना ने महिलाओं को स्वाभिमान के साथ जीने की राह दिखाते हुए आत्मनिर्भर भी बना रही है।

रायपुर। डिंगापुर, कोरबा निवासी दिव्यांग सुनीता गुप्ता शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं। महतारी वंदन योजना से जुड़ने के बाद अपने जीवन में एक नई उम्मीद और बदलाव महसूस कर रही हैं। उन्होंने इस योजना के तहत मिले एक-एक रुपए को सहेजते हुए,अब तक 10 हजार रुपए जमा कर लिए हैं। सुनीता बताती हैं, “यह राशि मुझे अपनी छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगी। पहले कभी सोच भी नहीं सकती थी कि मेरी छोटी सी बचत भी किसी बड़े काम आ सकती है, लेकिन महतारी वंदन योजना ने मुझे अपने सपनों को साकार करने का रास्ता दिखाया है। मैने दस महीनों में मिले 10 हजार रुपए पोस्ट ऑफिस कोरबा में अपने भविष्य की सुरक्षा के लिए 5 वर्ष के लिए जमा कर दिए हैं। यह राशि मेरे परिवार का भविष्य संवारने में मील का पत्थर साबित होगी। अम्बिकापुर की किरण गुप्ता ने महतारी वंदन योजना के द्वारा मिलने वाली सहायता राशि का उपयोग कर आचार का छोटा सा कारोबार शुरू किया। किरण बताती हैं कि वो अपनी बेटी के साथ अम्बिकापुर में रह रहीं हैं, जब बेटी लगभग दो वर्ष की थी तभी से वो सिंगल मदर के रुप में सिलाई-कढ़ाई के साथ दूसरे के किराने के दुकान में काम कर होने वाली थोड़ी बहुत आय से उसकी परवरिश कर रही हैं।
बेटी आज कॉलेज में है, अब उन्हें आगे की पढ़ाई की चिंता होने लगी थी। उन्होंने बताया कि मुझे आचार बनाने का बहुत शौक था, तब मेरी बहन ने आचार का ही व्यवसाय शुरू करने की सलाह दी। परन्तु आर्थिक स्थिति ऐसी थी कि कुछ नया सोचने की हिम्मत नहीं हुई। किरण कहतीं हैं कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई महतारी वंदन योजना ने उनकी जिंदगी बदल दी है। महतारी वंदन योजना से मिली राशि को जोड़कर किरण ने “होम मेड पिकल“ यानी घर में बने आचार बनाकर बेचना शुरू किया। अब किरण अम्बिकापुर के मुख्य चौक-चौराहे पर स्टॉल लगाकर अलग-अलग तरह के आचार बेचतीं हैं। लोगों को उनके हाथ के बने आचार खूब भा भी रहें हैं, पहले उन्हें अन्य कार्यों से महज 5-6 हजार रुपये मिलते थे, लेकिन अब खुद का व्यवसाय शुरू करके दोगुनी आमदनी मिल रही हैं।
इसी तरह नारायणपुर जिले के ग्राम बागडोंगरी निवासी अनिता वड्डे खेती मजदूरी करके अपना जीवन यापन करती हैं। अनिता वड्डे के परिवार में 6 सदस्य है, जिसमें उनके पति राम वड्डे एवं 4 बच्चे हैं। वे बताती हैं कि पहले उनके लिए बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च उठाना एक बड़ी चुनौती थी। लेकिन, जब से महतारी वंदन योजना शुरू हुई है, उनके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव आया है। अनिता बताती हैं कि इस योजना के तहत मुझे हर महीने 1,000 रुपये की आर्थिक सहायता मिलती है। इन पैसों का मैं अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में, जैसे उनकी कॉपी, किताबें, और स्कूल ड्रेस खरीदने में उपयोग करती हूं। साथ ही, घर के अन्य आवश्यक सामानों की खरीदारी भी इसी सहायता राशि से होती है। महतारी वंदन योजना की कुछ राशि को बचत कर अनिता ने पशुपालन का काम शुरू किया है।
आर्थिक सशक्तिकरण की बन रहीं मिसाल
छत्तीसगढ़ में महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन और उनके स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने महतारी वंदन योजना लागू की है। इस योजना का उद्देश्य महिलाओं के प्रति समाज में व्याप्त भेदभाव और असमानता को दूर करते हुए, उनके स्वास्थ्य में सुधार और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। इसके अंतर्गत, पात्र विवाहित, विधवा और परित्यक्ता महिलाओं को प्रतिमाह 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में महिलाओं और बच्चों के लिए विभिन्न कार्य किए जा रहे हैं। सरकार महिलाओं के सिर्फ विकास की ही नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, समानता और सशक्तिकरण की सरकार बनकर उभरी है। मुख्यमंत्री ने महिलाओं और बच्चों के सर्वांगीण विकास का जिम्मा महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े को सौंपा है। जिसे श्रीमती राजवाड़े बखूबी निभा रही हैं।
70 लाख महिलाओं के खाते में पहुंचे 6530.41 करोड़
छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना के माध्यम से, जब लाखों महिलाओं को आर्थिक सहायता और आत्मनिर्भरता का सहारा मिला, तो यह केवल एक वित्तीय मदद नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकार, आत्मविश्वास और उनकी शक्ति को पहचानने का एक मार्ग है। मार्च 2024 से दिसम्बर 2024 तक, 70 लाख महिलाओं के खाते में 6530.41 करोड़ रुपये की राशि पहुंचाई जा चुकी है। यह योजना अब सिर्फ एक राज्य की योजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन बन चुकी है, जहां महिलाएं न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं, बल्कि अपने घर-परिवार में भी निर्णय लेने में बराबरी का हक महसूस कर रही हैं।
प्रदेश के 31 जिलों में 201 पालना केंद्रों की स्थापना से कामकाजी महिलाओं को अपने बच्चों की देखभाल का सशक्त समाधान मिला है। ये केंद्र केवल सुविधा नहीं, बल्कि हर बच्चे के अधिकार की रक्षा का एक माध्यम हैं। बालकों के भविष्य को मजबूत करने के लिए, डबल इंजन सरकार ने आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए।
4750 आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाया गया
छत्तीसगढ़ के बच्चों को पोषण, शिक्षा और समुचित देखभाल देने के लिए 4750 आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बनाया गया है। इनमें बच्चों को न केवल पोषण दिया जा रहा है, बल्कि उन्हें ठंस्। (ठनपसकपदह ें स्मंतदपदह ।पक) के माध्यम से शिक्षा और कौशल के अवसर भी मिल रहे हैं। एलईडी टीवी और पोषण वाटिका जैसी सुविधाएं बच्चों और महिलाओं के लिए एक सुरक्षित और समृद्ध वातावरण बना रही हैं। 530 आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की नियुक्ति पिछले 10 माह में की गई और 4900 मिनी आंगनबाड़ी केंद्रों को मुख्य आंगनबाड़ी केंद्रों में उन्नत किया गया, जिससे वहां अतिरिक्त व्यवस्थाओं का विस्तार हुआ। लक्ष्मी राजवाड़े के नेतृत्व और विष्णु देव साय जी के मार्गदर्शन में आंगनबाड़ी अधोसंरचना से संबंधित डप्ै पोर्टल तैयार किया गया है। इस पोर्टल के बन जाने से आंगनबाड़ी केन्द्रों की अधोसंरचना संबंधी सभी जानकारी जैसे बिजली, पेयजल, शौचालय, निर्माण संबंधी नियोजन, कार्य की प्रगति का अनुश्रवण आदि मुख्य आधारभूत जानकारी राज्य स्तर पर एक क्लिक पर उपलब्ध है।
कुपोषण दर में ऐतिहासिक गिरावट
छत्तीसगढ़ में कुपोषण पर प्रहार करते हुए सरकार ने पोषण ट्रैकर ऐप के माध्यम से 0 से 5 वर्ष के बच्चों के स्वास्थ्य पर नजर रखी और कुपोषण की दर में ऐतिहासिक गिरावट हासिल की। एक नेतृत्व तब सशक्त होता है, कमजोर वर्ग के बारे में सोचता है और उनके जीवन में वास्तविक बदलाव लाता है। बच्चों और महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) और महिला हेल्पलाइन (181) का संचालन 24/7 हो रहा है। साथ ही, हर जिले में वन स्टॉप सेंटर्स का विस्तार कर एक मजबूत और सुरक्षित नेटवर्क तैयार किया गया है, जो हर संकट में नागरिकों के लिए एक आश्रय बन कर खड़ा है। यह सुरक्षा केवल कानून का पालन नहीं, बल्कि समाज में विश्वास और साहस का प्रतीक है।
सुरक्षा के लिए बन रही मजबूत संरचना
भारत सरकार की मिशन शक्ति योजना के तहत राज्य महिला सशक्तिकरण केंद्र (हब) की स्थापना की गई है, जो महिलाओं के लिए समर्पित योजनाओं में प्रभावी समन्वय और कार्यान्वयन को सुनिश्चित करती है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत, अब 50 हजार रुपये में से 35 हजार रुपये सीधे वधु के खाते में भेजे जाते हैं, और शेष 15 हजार रुपये सामूहिक विवाह आयोजन पर खर्च होते हैं। इस साल अब तक 6543 कन्या विवाह सफलतापूर्वक सम्पन्न हो चुके हैं। वहीं, पी.एम. जनमन योजना के तहत 17 जिलों में 48 हजार पिछड़ी जनजाति परिवारों का सर्वे किया गया। इस पहल के अंतर्गत 70 नए आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है, 54 भवन निर्माणाधीन हैं और 2024-25 में 95 और केंद्र स्वीकृत किए गए हैं। नियद नेल्लानार योजना के तहत बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, दंतेवाड़ा और कांकेर जिलों में 132 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। बालक कल्याण समिति और किशोर न्याय बोर्ड के अंतर्गत राज्य के 33 जिलों में अध्यक्ष, सदस्य और सामाजिक सदस्य पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन और साक्षात्कार प्रक्रिया चल रही है, जिससे बच्चों और किशोरों की भलाई और सुरक्षा के लिए एक मजबूत संरचना तैयार हो रही है।