Begin typing your search above and press return to search.

Liquor scam: एपी त्रिपाठी सहित तीन को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, टूटेजा व ढेबर को रहना होगा जेल में

Liquor scam: छत्तीसगढ़ के दो हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले में जेल में बंद एपी त्रिपाठी,अनुराग द्विवेदी और दीपक दुआरी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है

Liquor scam:  एपी त्रिपाठी सहित तीन को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, टूटेजा व ढेबर को रहना होगा जेल में
X
By Radhakishan Sharma

Liquor scam: नईदिल्ली। छत्तीसगढ़ के दो हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले में जेल में बंद एपी त्रिपाठी,अनुराग द्विवेदी और दीपक दुआरी को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। घोटाले के मास्टर माइंड पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा व अनवर ढेबर को अभी जेल में रहना होगा। इन दोनों की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

शराब घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रही है। जांच एजेंसी ने एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में एफआईआर दर्ज कराई थी। ED की जांच के अनुसार पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के तत्कालीन एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट ने मिलकर इसे अंजाम दिया। केंद्रीय जांच एजेंसियों ने आबकारी विभाग के पूर्व स्पेशल सेक्रेटरी एपी त्रिपाठी, पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर के अलावा नकली होलोग्राम बनाने वाली नोएडा की कंपनी प्रिज्म कंपनी के मैनेजर दिलीप पांडे, कर्मचारी अनुराग द्विवेदी, अमित सिंह और दीपक दुआरी को गिरफ्तार किया था।

पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा पर छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले में शामिल होने और डिस्टलरी से अवैध कमीशन वसूलने के आरोप हैं। इसके अलावा ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है। ईडी ने उनके खिलाफ 2024 में पीएमएलए के तहत जांच शुरु की थी। जिसके आधार पर ईडी ने अप्रैल 2024 में गिरफ्तार किया था। टुटेजा पर छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले का "आर्किटेक्ट" होने का आरोप लगा है।

0 छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने नियमित जमानत पर रिहा करने करने कर दिया था इंकार

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने शराब घोटाले में फंसे पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा को नियमित जमानत पर रिहा करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया था। जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए तल्ख टिप्पणी की है। उपरोक्त अपराधों के लिए निर्धारित दंड की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए और उपरोक्त मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की बाध्यकारी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए कि भ्रष्टाचार राष्ट्र का दुश्मन है और भ्रष्ट लोक सेवकों का पता लगाना और ऐसे व्यक्तियों को दंडित करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का एक आवश्यक आदेश है।

0 कोर्ट ने की थी गंभीर टिप्पणी

सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि याचिकाकर्ता सहित कई सरकारी अधिकारियों की भूमिका उजागर हुई है और अपराध में उनकी भूमिका स्थापित हुई है। जांच से पता चला है कि याचकिाकर्ता ने अन्य सह-आरोपियों के साथ मिली-भगत करके सिंडिकेट्स को रिश्वत के भुगतान की सुविधा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

0 ये हैं सिंडिकेट के मुख्य कर्ताधर्ता

राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए सीनियर एडवोकेट ने कहा कि अब तक की जांच से पता चलता है कि याचिकाकर्ता अनिल टूटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और अनवर ढेबर के साथ सिंडिकेट का मुख्य व्यक्ति है। यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता शराब घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक था और उसने सरकारी कर्मचारी होने के नाते अपने पद का दुरुपयोग किया और अन्य आरोपियों के साथ शराब की अवैध बिक्री में शामिल रहा। जहां तक ​​चिकित्सा मुद्दों के संबंध में समानता के आधार का संबंध है, जिसमें कहा गया है कि वह ऑस्टियोआर्थराइटिस, यकृत विकार, जीजीटीपी (यकृत क्षति), हाइपोनेट्रेमिया, उच्च रक्तचाप, हाइपोथायरायडिज्म और चिंता से पीड़ित है, ऐसी कोई गंभीर चिकित्सा समस्या नहीं है और इसलिए, वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता समानता के आधार पर जमानत देने का दावा नहीं कर सकता है।

0 पूर्व आईएएस अनिल टूटेजा के खिलाफ ये मामले हैं लंबित

0 एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर द्वारा धारा 109,120-बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)9डी) और 13(2) के तहत अपराध के लिए एफआईआर क्रमांक 09/2015 पंजीकृत किया गया, जिसमें आरोप पत्र दायर किया गया है और विशेष न्यायाधीश, एसीबी, रायपुर के समक्ष विचारण लंबित है

0 ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत पंजीकृत ईसीआईआर संख्या 01/2-029 जिसमें आवेदक के खिलाफ जांच चल रही है।

0 एफआईआर संख्या 196/2023, पीएस कासना, ग्रेटर नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर, यूपी द्वारा धारा 420.468.471,473,484 और 120-बी आईपीसी के तहत अपराध के लिए पंजीकृत।

0 ईसीआईआर/आरपीजेडओ/04/2024, ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत पंजीकृत किया गया है और मामला विद्वान विशेष न्यायाधीश पीएमएलए के समक्ष लंबित है।

0 एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा धारा 420,120-बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराध करने के लिए एफआईआर संख्या 36/2024 दर्ज की गई।

0 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7ए, 8, 13(2) और आईपीसी की धारा 182.211.193,195ए, 166ए और 120-बी के तहत अपराधों के लिए एसीबी द्वारा 4.11.2024 को एफआईआर संख्या 49/2024 दर्ज की गई।

0 वर्तमान मामले में, वह सिंडिकेट के आपराधिक कृत्यों में शामिल था आरोप पत्र के साथ संलग्न वाट्सएप चैट का विवरण प्रथम दृष्टया वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता की संलिप्तता को दर्शाता है।

Next Story