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Liquer Scame: शराब घोटाला: ACB, EOW ने स्पेशल कोर्ट में पेश किया छठवां आरोप पत्र, विजय कुमार भाटिया सहित चार के खिलाफ पेश किया चार्जशीट

CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले में ACB, EOW ने आज स्पेशल कोर्ट में छठवां आरोप पत्र पेश किया है। जांच एजेंसियों ने अभियोग पत्र में ओम सांई ब्रेवरेज कंपनी से जुडे हुए विजय कुमार भाटिया, नेक्सजेन पॉवर इंजिटेक प्रालि. के संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा, अभिषेक सिंह की गिरफ्तारी कर अभियोजित किया गया है, जो वर्तमान में जेल में निरूद्ध है। अन्य लाईसेंसी कंपनियों से जुड़े हुए व्यक्तियों के विरूद्ध अभियोग पत्र पृथक से पेश किया जायेगा।

Liquer Scame: शराब घोटाला: ACB, EOW ने स्पेशल कोर्ट में पेश किया छठवां आरोप पत्र, विजय कुमार भाटिया सहित चार के खिलाफ पेश किया चार्जशीट
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By Radhakishan Sharma

CG Liquor Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ से अधिक के शराब घोटाले में एसीबी व ईओडब्ल्यू ने आज स्पेशल कोर्ट के समक्ष छठवां आरोप पत्र पेश किया है। जांच एजेंसियों ने ओम सांई ब्रेवरेज कंपनी से जुडे हुए विजय कुमार भाटिया, नेक्सजेन पॉवर इंजिटेक प्रालि. के संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा, अभिषेक सिंह की गिरफ्तारी किया है। आज कोर्ट के समक्ष चार्ज शीट पेश किया है। जांच में अन्य लाईसेंसी कंपनियों से जुड़े हुए व्यक्तियों की संलिप्तता भी सामने आई है। स्पेशल कोर्ट में इनके खिलाफ अभियोग पत्र पृथक से पेश किया जायेगा।

राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो रायपुर छग ने जांच किये जा रहे शराब घोटाला में आज 26 अगस्त 2025 को छठवां अभियोग पत्र विशेष न्यायालय रायपुर में पेश किया है। यह जांच मुख्यतः विदेशी शराब पर लिये गये कमीशन पर आधारित थी। जैसा कि पूर्व की जांच पर यह स्पष्ट हुआ है कि तत्कालीन समय में आबकारी विभाग में एक सिंडीकेट सक्रिय था। जिसमें प्रशासनिक अधिकारी अनिल टुटेजा, अरूणपति त्रिपाठी, निरंजन दास के अलावा अनवर ढेबर, विकास अग्रवाल, अरविंद सिंह आदि शामिल थे। जिनके नियंत्रण में विभाग में कमीशनखोरी की अवैध गतिविधियों संचालित हो रही थी। शासकीय शराब दुकानों में बिक्री किये जा रहे शराब की सप्लाई पर प्रति पेटी कमीशन, शराब सप्लायरों को मार्केट शेयर के लिए कमीशन, डिस्टलरियों में अतिरिक्त शराब का निर्माण कर शासकीय शराब दुकानों में भेजकर उसकी बिक्री कर, बिक्री रकम को अलग से एकत्र करने के साथ-साथ विदेशी शराब की सप्लाई व्यवस्था में भी सिंडीकेट ने कमीशन लेने के लिये एक अलग व्यवस्था बनाई थी।

जांच में यह बात सामने आई है कि कुछ विदेशी शराब सप्लायर कंपनियां उनके द्वारा सप्लाई किये जा रहे शराब पर सिंडीकेट को, नगदी में कमीशन देने के लिये तैयार नहीं थे। इस अड़चन को दूर करने के लिये सक्रिय सिंडीकेट ने एफएल-10 ए/बी लाईसेंसी व्यवस्था लाई। सिंडीकेट के सदस्यों ने उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रभाव एवं षडयंत्र के तहत राजकोष में हानि के साथ-साथ निजी व्यक्तियों, एजेंसियों को फायदा पहुंचाने वाली इस व्यवस्था को बिना विहित प्रक्रिया का पालन एवं अन्य शासकीय कार्य संचालन नियमों को दरकिनार करते हुए, इस नई आबकारी नीति को वर्ष 2020-21 में केबिनेट से मंजूरी दिलवाकर छत्तीसगढ़ में पहली बार कार्य रूप में लाया।

तीन प्राइवेट कंपनियों को दिया एफएल 10 ए का लाइसेंस, तीनों सिंडीकेट की करीबी

दरअसल वर्ष 2020-21 से पहले, विदेशी शराब सप्लायरों से आबकारी विभाग का ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन शराब खरीदकर उसमें शुल्क / ड्यूटी जोड़कर छग स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के शासकीय शराब दुकानों के माध्यम से शराब की फुटकर बिक्री कर लाभ अर्जित करता था, जो शासकीय खजाने में जमा होता था। नई आबकारी नीति के तहत खरीददार की भूमिका में ब्रेवरेज कॉर्पोरेशन को किनारे कर तीन प्राईवेट कंपनियों को एफएल-10 ए का लाईसेंस दिया गया। जिन्हे लाईसेंस दिया गया वे सिंडीकेट के करीबी व राजनीतिक संरक्षण प्राप्त व्यक्ति थे। यह लाईसेंसी कंपनियां विदेशी शराब सप्लायरों से शराब की खरीदी कर उसमें 10 प्रतिशत का मार्जिन जोड़कर मार्केटिंग कॉर्पोरेशन को शराब बिक्री करती थी। इस 10 प्रतिशत की मार्जिन लाभ का बंटवारा दो हिस्सो में होता था। तीन साल की अवधि में इन्ही तीन कंपनियों को टेंडर दिया जाता रहा।

विजय भाटिया को मिलता था 52 प्रतिशत कमीशन, 14 करोड़ की मिली राशि

तीनों कंपनियों में ओम सांई ब्रेवरेज प्रालि. अतुल सिंह और मुकेश मनचंदा की थी। जिसमें राजनीतिक प्रेरित व्यक्ति विजय कुमार भाटिया को कंपनी में छुपा हुआ लाभार्थी बनाया गया था। कंपनी के लाभ का 60 प्रतिशत हिस्सा सिंडीकेट को दिये जाने के बाद शेष 40 प्रतिशत हिस्से में से 52 प्रतिशत, विजय भाटिया का होता था। विजय भाटिया ने अपनी जगह पर कुछ अन्य लोगो को कंपनी में डमी डायरेक्टर बनाया और कंपनी से वेतन के रूप में तथा 16 से अधिक खातों में कंपनी से अपने लाभ के हिस्से को प्राप्त किया। जांच पर यह स्पष्ट हुआ है कि विजय कुमार भाटिया को लगभग 14 करोड़ रूपए इस व्यवस्था के तौर पर प्राप्त हुए।

चार्टर्ड एकाउंटेंट बन गया 11 करोड़ का आसामी, अनवर ढेबर का है करीबी

जिन तीन कंपनियों को लाईसेंस दिया गया था उनमें एक अन्य कंपनी नेक्सजेन पॉवर इंजिटेक प्रालि. थी। इस कंपनी का वास्तविक स्वामी संजय मिश्रा था जो चार्टर्ड एdjksकाउंटेट है। जो शासकीय शराब दुकानों में आडिट के कार्य से जुड़ा हुआ था और सिंडीकेट के अनवर ढेबर एवं अन्य लोगों को इस आबकारी घोटाले में अवैध तरीके से धन को बैंकिंग चैनल के माध्यम से वैध दिखाने तथा उसके इन्वेस्टमेंट में तकनीकी सलाहकार के रूप में मदद करता था। इस कंपनी में संजय मिश्रा ने अपने छोटे भाई मनीष मिश्रा एवं सिंडीकेट के अन्य प्रमुख सदस्य अरविंद सिंह के भतीजे अभिषेक सिंह को डायरेक्टर के रूप में जगह दी थी। इस कंपनी ने तीन साल की अवधि में प्राप्त लाभ में से सिंडीकेट के हिस्से को देने के बाद लगभग 11 करोड़ रूपए का लाभ अर्जन किया था।

सरकारी खजाने को पहुंचाया 248 करोड़ का नुकसान

तीसरी कंपनी दिशिता वेंचर्स प्रालि. जो कि विदेशी शराब के पुराने प्रमोटर आशीष सौरभ केडिया की है, जिसे लाईसेंस दिया गया था। इन कंपनियों को नये आबकारी नीति के तहत लाईसेंस दिये जाने से शासन के राजस्व में न्यूनतम 248 करोड़ रूपए का नुकसान होना पाया गया। भारतीय निर्मित विदेशी शराब पर लिये गये कमीशन एवं अन्य तरीको से लिये गये कमीशन की जांच ईओडब्ल्यू पृथक से कर रही है। इस अभियोग पत्र में ओम सांई ब्रेवरेज कंपनी से जुडे हुए विजय कुमार भाटिया, नेक्सजेन पॉवर इंजिटेक प्रालि. के संजय मिश्रा, मनीष मिश्रा, अभिषेक सिंह की गिरफ्तारी कर अभियोजित किया गया है, जो वर्तमान में जेल में निरूद्ध है। अन्य लाईसेंसी कंपनियों से जुड़े हुए व्यक्तियों के विरूद्ध अभियोग पत्र पृथक से पेश किया जायेगा।

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