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Killewali Temple: पहाड़ों की ऊँचाई पर है दुर्गडोंगरी किल्लेवाली मंदिर, प्रकृति प्रेमियों और रोमांच पसंद करने वालों के लिए बेहद खास...

Killewali Temple: बालोद जिले के डौंडी विकासखंड के ग्राम कोटागांव के समीप स्थित यह स्थल हरे-भरे वनों के बीच ऊँचाई पर बसा हुआ है। यहाँ की प्राकृतिक छटा बहुत मनमोहक है। खासकर सूर्याेदय और सूर्यास्त के समय का नज़ारा अत्यंत मनोहारी होता है

Killewali Temple: पहाड़ों की ऊँचाई पर है दुर्गडोंगरी किल्लेवाली मंदिर, प्रकृति प्रेमियों और रोमांच पसंद करने वालों के लिए बेहद खास...
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By Sandeep Kumar

Killewali Temple: बालोद। छत्तीसगढ़ का बालोद जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। इसी कड़ी में एक अद्भुत स्थान है दुर्गडोंगरी किल्लेवाली मंदिर, जो प्रकृति प्रेमियों और रोमांच पसंद करने वालों के लिए बेहद खास है। यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि अपने सुरम्य वातावरण और रोमांचकारी सफर के कारण भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

बालोद जिले के डौंडी विकासखंड के ग्राम कोटागांव के समीप स्थित यह स्थल हरे-भरे वनों के बीच ऊँचाई पर बसा हुआ है। यहाँ की प्राकृतिक छटा बहुत मनमोहक है। खासकर सूर्याेदय और सूर्यास्त के समय का नज़ारा अत्यंत मनोहारी होता है, जो मन को शांति और ऊर्जा से भर देता है। आसपास फैले घने जंगल, बोईरडीह जलाशय का अद्भुत दृश्य और दूर तक फैली दल्लीराजहरा एवं महामाया की पहाड़ियाँ इस जगह की सुंदरता को और भी बढ़ा देती हैं। बारिश के मौसम में यहाँ की हरियाली अद्वितीय होती है, जिससे यह स्थान और अधिक आकर्षक हो जाता है।

दुर्गडोंगरी किल्लेवाली मंदिर तक पहुँचने का सफर अपने आप में एक रोमांचक अनुभव है। दल्लीराजहरा से महामाया रोड होते हुए लगभग 10 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद इस स्थल का प्रवेश द्वार मिलता है। यहाँ तक वाहनों के लिए सीसी सड़क बनी हुई है, जो ऊँचाई तक जाती है। इसके बाद एक वाहन पार्किंग क्षेत्र है, जहाँ से पैदल यात्रा प्रारंभ होती है। मंदिर तक पहुँचने के लिए सीढ़ियों और कच्चे पगडंडी मार्ग से होकर जाना पड़ता है।

यह सफर थकावट भरा जरूर होता है, लेकिन जैसे-जैसे ऊपर बढ़ते हैं, प्रकृति के अनुपम दृश्य हर थकान को दूर कर देती है। मंदिर तक पहुँचने के बाद ऊँचाई से दिखने वाला मनोरम नज़ारा इस यात्रा को अविस्मरणीय बना देता है। इस स्थान को दुर्गडोंगरी कहा जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ पर्वत पर स्थित किला होता है। माना जाता है कि यहाँ कभी एक किला था, जिसके अब केवल अवशेष ही बचे हैं। किले के अवशेषों के साथ ही यहाँ स्थित किल्लेवाली माता का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। हर मौसम में यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु माँ किल्लेवाली के दर्शन करने आते हैं।

दुर्गडोंगरी किल्लेवाली मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एडवेंचर प्रेमियों के लिए भी एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता, पहाड़ों की ऊँचाई, जलाशय का मनमोहक दृश्य और रोमांचक चढ़ाई इसे एक अनूठा पर्यटन स्थल बनाते हैं। प्रकृति की गोद में बसा यह स्थल निश्चित रूप से यहां आने वाले लोगों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।

Sandeep Kumar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

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