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World Indigenous Day 2024: छत्तीसगढ़ में मुख्यधारा से जुड़ता आदिवासी समुदाय

World Indigenous Day 2024: जनजाति समुदायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है।

World Indigenous Day 2024:  छत्तीसगढ़ में मुख्यधारा से जुड़ता आदिवासी समुदाय
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By Yogeshwari verma

World Indigenous Day 2024: जनजाति समुदायों के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। यह पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा दिसंबर 1994 में घोषित किया गया था। यह दिन आदिवासियों को इनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने और उन्हें मुख्य धारा में लाकर उनके जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए चहुंमुखी प्रयास के लिए प्रण लेने का दिन है।

छत्तीसगढ़ में वन और सदियों से निवासरत आदिवासी राज्य की विशेष पहचान रहे हैं। प्रदेश के लगभग आधे भू-भाग में जंगल है, जहां मेला-महोत्सव के जरिए गौरवशाली आदिम संस्कृति फूलती-फलती रही है। उनकी कला, संस्कृति, लोक परंपरा, रीति-रिवाज, रहन-सहन तथा वेशभूषा से उन्हें देश-दुनिया में एक नई पहचान मिली है। जनजातियों की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत उनके दैनिक जीवन, तीज-त्यौहार, धार्मिक रीति-रिवाज एवं परंपराओं के माध्यम से अभिव्यक्त होती है। बस्तर के जनजातियों की घोटुल प्रथा प्रसिद्ध है। जनजातियों के प्रमुख नृत्य गौर, कर्मा, ककसार, जशपुर और सरगुजा के शैला नृत्य सहित प्रदेश के सरहुल और परब जन-जन में लोकप्रिय हैं।

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय स्वयं आदिवासी समाज से है उनके नेतृत्व में राज्य सरकार ने राज्य की आदिम संस्कृति के संरक्षण एवं संवर्धन के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। आदिवासी समुदाय को समाज की मुख्य धारा में लाने तथा अंतिम छोर के व्यक्ति योजनाओं का लाभ दिलाने के उद्देश्य से बस्तर संभाग के 5 जिले सुकमा, बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और कांकेर में नियद नेल्लानार से तात्पर्य “आपका आदर्श ग्राम” योजना जैसी अभिनव योजना संचालित की जा रही है। इस योजना इन जिलों में स्थापित सुरक्षा कैम्पों के आसपास के पांच किलोमीटर की परिधि में संचालित हो रही है। ग्रामीणों को राज्य और केन्द्र शासन द्वारा संचालित 52 योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। ग्रामीणों को सभी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है।ं

जनजाति समुदायों सभी प्रकार की मूलभूत सुविधा और विभिन्न योजनाओं से लाभान्वित करने के लिए केन्द्र सरकार के द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री जनमन योजना का आदिवासी वनांचलों में बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जनमन योजना में 9 केन्द्रीय मंत्रालयों के माध्यम से 11 महत्वपूर्ण गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जा रहा है। योजना में प्रदेश के विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों (पीवीटीजी) बसाहट के आस-पास शिविर लगाकर हितग्राहियों का आधार कॉर्ड, राशन कॉर्ड, जनधन खाता, आयुष्मान कॉर्ड, जाति-प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र एवं अन्य आधारभूत सुविधाएं सुनिश्चित किए जा रहे हैं। सभी हितग्राहियों को वन अधिकार पत्र भी दिए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री जनमन योजना में पक्के घर का प्रावधान, पक्की सड़क, नल से जल, समुदाय आधारित पेयजल, छात्रावासों का निर्माण, मोबाइल मेडिकल यूनिट, आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से पोषण-आहार, बहुउद्देशीय केन्द्रों का निर्माण, घरों का विद्युतीकरण (ग्रिड तथा सोलर पावर के माध्यम से), वनधन केन्द्रों की स्थापना, इंटरनेट तथा मोबाइल सर्विस की उपलब्धता और आजीविका संवर्द्धन हेतु कौशल विकास के कार्य किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए ‘‘एक पेड़ मां के नाम’’ के तहत् प्रदेश में व्यापक स्तर पौधारोपण अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान में आदिवासी समुदाय को जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने आदिवासी समाज के प्रणेता गुंडाधुर जी की स्मृति में वनों की सुरक्षा की पहल शुरू की है। इसमें आदिवासी समाज के लोग स्व प्ररेणा से योगदान दे रहे हैं।



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