पोषण की अभिनव पहलः छत्तीसगढ़ में महिलाओं के आत्मनिर्भरता के साथ स्वास्थ्य पर भी फोकस, गर्भवती माताओं को मिल रहा पौष्टिक मोदक लड्डू
छत्तीसगढ़ सरकार महिलाओं को स्वालंबी और आत्मनिर्भर नहीं नहीं बना रही बल्कि उनके सुपोषित रखने कई योजनाएं चला रही है।

रायपुर। प्रकृति की गोद में बसे कोरिया जिले में गर्भवती माताओं और उनके गर्भस्थ शिशुओं के पोषण को ध्यान में रखते हुए एक अनूठी योजना शुरू की गई है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन व नेतृत्व में जिला प्रशासन की पहल से ‘मोदक लड्डू‘ निर्माण व वितरण की व्यवस्था की गई है, जिसके तहत जिले की लगभग दो हजार गर्भवती महिलाओं को प्रतिदिन पौष्टिक मोदक लड्डू दिए जा रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जच्चा- बच्चा के पोषण स्तर को बढ़ाना और शिशु के जन्म के समय ढाई किलो वाले नवजात की समस्या को जन्म से पूर्व ही गर्भवती माताओं को सन्तुलित पौष्टिक आहार उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत बैकुंठपुर विकासखंड के ग्राम आनी में महिला स्व-सहायता समूहों की 25 महिलाएं प्रतिदिन 9 हजार से 10 हजार मोदक लड्डू तैयार कर रही हैं।
यह लड्डू पूरी तरह से प्राकृतिक और पारंपरिक अनाजों से बनाए जा रहे हैं। सत्तू, रागी, बाजरा और ज्वार यानी चार तरह की लड्डू तैयार की जा रही है। इसमें गोंद, सोंठ, तिल, मूंगफली, इलायची और घी शामिल हैं। प्रत्येक लड्डू 30 ग्राम वजन का होता है, ताकि पोषण संतुलित बना रहे।डायटीशियन की देखरेख में तैयार किए जा रहे इन लड्डुओं में कैलोरी 139 केसीएएल, फैट 6.1ग्रा. कार्बोहाइड्रेट- 18 ग्रा.,डायटरी फाइबर 1.7 ग्रा., ऑयरन- 0.6 मिग्रा, प्रोटीन- 3.2 ग्रा., सैचरेटिड्- 2.2ग्रा., शुगर- 8.4 ग्रा., केल्शियम- 45 मिग्रा, मैग्नेशियम-25 मिग्रा जैसे पोषक तत्व शामिल हैं, जो गर्भवती महिलाओं और उनके गर्भस्थ शिशुओं के लिए बेहद लाभकारी हैं। इसके अलावा, लड्डू बनाने में मौसम का भी ध्यान रखा जाता है।
आत्मनिर्भर बन रहीं महिलाएं
यह योजना केवल गर्भवती माताओं के पोषण और आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त भी बना रही है। गर्भवती माताओं को प्रथम तिमाही में प्रसव पूर्व देखभाल एएनसी (एंटीनेटल केयर) जांच से गर्भावस्था के दौरान होने वाली गंभीर जटिलताओं का पता चलता है और इससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी आती है। इसीलिए यह जांच शत प्रतिशत किया जा रहा है साथ ही संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके साथ ही हाई रिस्क ग्रुप (उच्च जोखिम) की गर्भवती महिलाओं एनीमिया, मधुमेह, हाइपरटेंशन, कम वजन आदि के सम्बंध में जानकारी प्राप्त की जाती है और ऐसी महिलाओं की विशेष देखभाल की जा रही है, जिससे जन्म लेने वाले शिशु ढाई किलो से अधिक हों साथ ही जच्चा-बच्चा स्वस्थ रहे। इन लड्डुओं में पारंपरिक और पोषणयुक्त सामग्री का समावेश किया गया है, जिससे गर्भवती महिलाओं की सेहत में सुधार होगा और कम वजन वाले नवजातों के जन्म की दर को कम किया जा सकेगा। यह प्रयास केवल माताओं के स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे ग्रामीण महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
ऐसे किया जा रहा वितरण
प्रत्येक गर्भवती महिला को 15 दिन के लिए 30 मोदक लड्डू (प्रति दिन दो) दिए जाते हैं। लड्डू आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से वितरित किए जाते हैं, जो महिलाएं आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं आ सकतीं, उन्हें ‘पोषण संगवारी’ समूह की महिलाएं घर-घर जाकर लड्डू खिलाते हैं। कलेक्टर चंदन त्रिपाठी और डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी ने मिलकर इस पौष्टिक लड्डू का नामकरण किया। डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि मोदक न केवल एक प्रसाद है, बल्कि आयुर्वेद में इसे औषधि के रूप में भी माना गया है। चरक संहिता में अभयादि मोदक और शतावरी मोदक का वर्णन है, जो स्वास्थ्यवर्धक होते हैं। गुड़ से बना मोदक पाचन को सुधारता है, मेटाबॉलिज्म को तेज करता है।
कलेक्टर की दूरदर्शी सोच
कलेक्टर चंदन त्रिपाठी ने बताया कोरिया जिले की अधिकांश गर्भवती महिलाओं को संतुलित और पौष्टिक आहार की आवश्यकता है। माताओं का अच्छा स्वास्थ्य ही स्वस्थ और मजबूत अगली पीढ़ी की नींव रखता है। इसी सोच के साथ हमने ‘कोरिया मोदक‘ निर्माण व वितरण कार्य शुरू की है, ताकि जच्चा और बच्चा दोनों को आवश्यक पोषण मिल सके। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. आशुतोष चतुर्वेदी का कहना है कि हमारी प्राथमिकता है कि कुपोषण को जड़ से मिटाना है, साथ ही माँ की गर्भ में पल रहे शिशु स्वस्थ हों ताकि इस दुनिया में आने से पहले वे मानसिक-शारीरिक रूप से उनकी बुनियाद मजबूत हो।
कोरिया जिले की आंगनबाड़ियों में सप्लाई करतीं हैं सेहत का लड्डू
जहां चाह वहां राह इस उक्ति को चरितार्थ कर दिखाया है एक महिला स्व-सहायता समूह ने, कोरिया जिले के छोटे से ग्राम आनि में संचालित ज्योति महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएं जिले की आंगनबाड़ियों में रागी, सत्तू,ज्वार और बाजरे से बने लड्डू सप्लाई करती हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की महिला सशक्तिकरण की नीतियों से प्रभावित समूह की महिलाएं अपने हाथों से सेहत का लड्डू तैयार करती हैं। जिले की आंगनबाड़ियों में इन लड्डुओं को गर्भवती, शिशुवती माताओं एवं सुपोषण के लिए नवजात शिशुओं की माताओं को खिलाया जाता है।
समूह की अध्यक्ष सविता सिंह हैं। समूह की सदस्य गुलनाज़ बेगम बताती हैं कि पहले उनका समूह छोटे-मोटे उत्पाद के जरिए अपनी आजीविका चलाता है। फिर समूह ने जिले में सुपोषण की मांग के अनुरूप रागी, सत्तू,ज्वार और बाजरे के लड्डू बनाना शुरू किया। इसके लिए उन्हें छत्तीसगढ़ सरकार की पहल और प्रोत्साहन से एक लाख 50 हजार रुपए का लोन मिला।
समूह की अन्य सदस्य राशिदा ने बताया कि हम समूह में स्वच्छता का ध्यान रखते हुए काम करते हैं। लड्डू निर्माण की पूरी प्रकिया में हाइजीन का विशेष ध्यान दिया जाता है। राशिदा ने बताया कि समूह में 20 महिलाएं हैं। सभी गृहणियां हैं। हमें स्थानीय प्रशासन की ओर से 60 हजार रुपए का भी ऋण प्रदान किया गया है। हमारा समूह जिले के लगभग 500 आंगनबाड़ियों को लड्डू सप्लाई करता है। राशिदा ने बताया महतारी वंदन योजना का लाभ मिलने की वजह से समूह की महिलाओं के सामने घरेलू खर्च की चिंता कम हुई है, इस वजह से समूह की महिलाएं ध्यान लगाकर समूह के में उत्पादन बढ़ाने में ध्यान दे रही हैं।