IAS News 2024: चीफ सिकरेट्री की छुट्टी, रिटायरमेंट से छह महीने पहले हटाने से नाराज मुख्य सचिव चले गए छुट्टी पर, ठुकरा दिया यह महत्वपूर्ण पद...
IAS News 2024: छत्तीसगढ़ के चीफ सिकरेट्री पी जॉय उम्मेन रिटायरमेंट से छह महीने पहले हटाए जाने से इतने नाराज हुए कि लंबी छुट्टी पर चले गए और छुट्टी में ही रिटायर हुए। उम्मेन स्वाभिमानी तो थे मगर यह भी सही है उनके सीएस कार्यकाल में सिस्टम बैठ गया था।

IAS News 2024: रायपुर। छत्तीसगढ़ बनने के 24 साल में सिर्फ बार ऐसा हुआ कि चीफ सिकरेट्री को रिटायरमेंट से पहले पद से हटाया गया। इस घटना से पी जाय उम्मेन इतने दुखी हुए कि लंबी छुट्टी पर चले गए।
छत्तीसगढ़ बनने के 25 साल में सिर्फ दो बार ऐसा हुआ कि चीफ सिकरेट्री को रिटायरमेंट से पहले पद से हटाया गया। पहले पी. जॉय उम्मेन और उनके बाद अजय सिंह को। अजय सिंह को 2018 में बीजेपी सरकार बदलने के महीने भर के भीतर भूपेश बघेल सरकार ने हटा दिया था।
सरकार बदलने के बाद आमतौर पर नई सरकारें अफसरों को बदलती हैं मगर उम्मेन को रमन सरकार ने सीएस बनाया था और उसी ने हटाया छत्तीसगढ़ के छठवे मुख्य सचिव रहे उम्मेन हटाए जाने से इतने आहत हुए कि उन्होंने वीआरएस ले लिया।
छत्तीसगढ़ ब्यूरोक्रेसी की यह घटना 2012 की है। पी जॉय उम्मेन 1977 बैच के आईएएस अधिकारी थे। वे शिवराज शिवराज सिंह के रिटायर होने के बाद मुख्य सचिव बनाए गए और करीब पौने चार साल तक इस पद पर रहे। लंबे कार्यकाल के मामले में अमिताभ जैन के बाद वे दूसरे मुख्य सचिव होंगे। मगर उनका आखिरी समय अच्छा नहीं रहा।
उम्मेन को बीकेएस रे, पी राघवन और बीएल कपूर जैसे तीन सीनियर अफसरों को सुपरसीड करके मुख्य सचिव बनाया गया था। सहज-सरल होने की वजह से सरकार ने उन्हें ब्यूरोक्र्रेसी के इस सबसे बड़े पद के लिए उन्हें चुना था।
मगर जब प्रशासनिक सिस्टम जब एकदम नकारा साबित होने लगा तो सरकार के कान खड़े हुए। उम्मेन का फाइल डिस्पोजल बडा स्लो था। उनके सचिवालय में फाइलों की ढेर लग गई थी। उम्मेन बार-बार लंबी छुट्टियों में केरल चले जाते थे। सरकार को भी लगा कि 2008 का विधानसभा चुनाव चावल के बल पर निकल गया मगर 2013 का विधानसभा चुनाव जीतने के लिए प्रशासनिक कसावट का संदेश देना होगा। लिहाजा, सरकार ने उम्मेन से पीछा छुड़ाने का मन बना लिया। और साल 2011 गुजरते-गुजरते तत्कालीन मुख्यमंत्री डज्ञॅ0 रमन सिंह चीफ सिकरेट्री बदलने के मूड में आ गए।
सरकार ने दिल्ली में पोस्टेड सुनिल कुमार को बुलाने का फैसला किया। इसके लिए सिकरेट्री टू सीएम बैजेंद्र कुमार और अमन सिंह दिल्ली जाकर सुनिल कुमार को छत्तीसगढ़ लौटने के लिए राजी किया। रमन सिंह के विश्वस्त दोनों अफसरों ने सुनिल कुमार को बताया कि रायपुर आने के कुछ दिन बाद आपको चीफ सिकरेट्री बना दिया जाएगा। इसके बाद सुनिल कुमार रायपुर आए तो उन्हें एसीएस स्कूल एजुकेशन की जिम्मेदारी दी गई।
सुनिल कुमार के छत्तीसगढ़ लौटने के बाद उम्मेन जनवरी 2012 में छुट्टी पर केरल गए। सरकार ने प्लानिंग के तहत उम्मेन के अवकाश पर जाने के दौरान सुनिल कुमार को प्रभारी मुख्य सचिव बना दिया। योजना यह थी कि उम्मेन जैसे ही छुट्टी से लौटेंगे, सुनिल कुमार को पूर्णकालिक मुख्य सचिव नियुक्त कर उम्मेन का बिजली बोर्ड का आदेश निकाल दिया जाएगा।
मगर उम्मेन को इसकी भनक लग गई और वे छुट्टी बढ़ाते चले गए। सरकार को जब कहीं से ये पता चला कि उम्मेन नहीं चाहते कि चार महीने पहले उन्हें सीएस पद से हटा दिया जाए तो वह हड़बड़ाई।
मुख्यमंत्री के रणनीतिकारों ने सलाह दिया कि प्रभारी के तौर पर सुनिल कुमार आखिर कब तक काम करते रहेंगे...इसलिए अब फैसला किया जाए। उधर सुनिल कुमार भी कसमसा रहे थे...उन्हें सीएस बनाने का ऑफर देकर ही छत्तीसगढ़ बुलाया गया था। प्रभारी के तौर पर सुनिल कुमार अपना स्वाभाविक काम नही ंकर पा रहे थे।
तब सरकार ने निर्णय किया कि उम्मेन को हटा कर सुनिल कुमार को नया चीफ सिकरेट्री अपाइंट कर दिया जाए। अमन सिंह ने इस फैसले की सूचना उम्मेन को दी और 10 मिनट बाद सुनिल कुमार के सीएस बनाए जाने का आदेश जारी हो गया।
बताते हैं, सुनिल कुमार को सीएस बनाए जाने के बाद मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंंह ने भी उम्मेन से फोन पर बात की। उन्होंने उन्हें बताया कि उन्हें बिजली बोर्ड का चेयरमैन बना रहे हैं, आप आकर ज्वाईन कर लो। मगर वे अपने फैसले से टस-से-मस नहीं हुए। लोग यहां तक कहते हैं कि रमन सिंह ने उन्हें यहां तक ऑफर दिया था कि जब तक मैं मुख्यमंत्री रहूंगा, आप बिजली बोर्ड के चेयरमैन बने रहेंगे। मगर वे तैयार नहीं हुए।
मगर उम्मेन छुट्टी से नहीं लौटे। अलबत्ता, वे छत्तीसगढ़ लौटने की बजाए सेंट्रल डेपुटेशन का रास्ता तलाशते रहे। उन्होंने हुडको चेयरमैन बनने के लिए सरकार से एनओसी भी मांगा, जो कि तुरंत मिल गया। मगर हुडको में उनका हुआ नहीं। अंत में वे छुट्टी में ही रिटायर हो गए।
उम्मेन बेहद सहज और शरीफ अफसर थे। इसलिए अफसरों को वे भाते थे। किसी का कोई नुकसान नहीं। अफसर भी खुश और सरकार भी। क्योंकि, सरकार जहां बोलती थी, वहां दस्तखत करने में देर नहीं करते थे।
मगर उनके पौने चार साल के सीएस कार्यकाल में छत्तीसगढ़ का प्रशासनिक ढांचा एकदम चरमरा गया था। प्रशासनिक अफसरों पर सिस्टम का कोई नियंत्रण नहीं रह गया था। मुख्य सचिव नाम को औरा खतम हो गया था।
उधर, दो रुपए किलो चावल बांटकर 2008 का विधानसभा चुनाव जीत चुकी रमन सरकार 2013 के चुनाव की तैयारी कर रही थी। उसमें दो साल का वक्त बचा था। सरकार चाहती थी कि कड़ा चीफ सिकरेट्री बिठा प्रशासनिक कसावट का संदेश लोगों को दिया जाए।
इसी रणनीति के तहत जनवरी 2012 में उम्मेन को हटाकर सुनिल कुमार की ताजपोशी की गई। दिलचस्प यह रहा कि उम्मेन को खो कर उनकी कुर्सी पर बैठने वाला भी केरेलियन था। तब चुटकी ली जाती थी कि उम्मेन को यही नागवार गुजरा। सुनिल कुमार की जगह अगर किसी और को सीएस बनाया गया होता तो वे इतने नाराज नहीं हुए होते।