Begin typing your search above and press return to search.

High Court News: तोमर बंधुओं पर 7 एफआईआर पर सवाल, हाई कोर्ट ने रायपुर एसपी से शपथ पत्र में मांगा जबाव

High Court News: रायपुर के चर्चित तोमर बंधुओं के खिलाफ दर्ज सात एफआईआर के मामले में लगी अग्रिम जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने पूछा है कि किन तथ्यों के आधार पर एक जैसे मामलों में सात एफआईआर एक साथ दर्ज की गई है। 2 सप्ताह में रायपुर एसपी को व्यक्तिगत शपथ पत्र में जवाब देने का निर्देश दिया है।

High Court News
X

High Court News


By Radhakishan Sharma

बिलासपुर l राजधानी रायपुर के बहुचर्चित सूदखोर तोमर बंधुओं की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान बिलासपुर हाईकोर्ट ने रायपुर पुलिस की कार्रवाई पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। अदालत ने रायपुर पुलिस अधीक्षक से यह स्पष्ट करने को कहा है कि आखिर किन तथ्यों और कानूनी आधारों पर एक साथ सात अलग–अलग एफआईआर दर्ज की गईं? अदालत ने इस मामले में रायपुर एसपी को व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल कर दो सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

पुलिस कार्रवाई की पूरी कहानी-

रायपुर के तेलीबांधा और पुरानी बस्ती थानों में वीरेंद्र तोमर और उसके भाई रोहित तोमर के खिलाफ सूदखोरी और उगाही (एक्सटॉर्शन) के मामले दर्ज किए गए थे। पुलिस को सूचना मिली थी कि दोनों लंबे समय से सूदखोरी का धंधा संचालित कर रहे हैं और आम लोगों से अवैध तरीके से ब्याज वसूल रहे हैं। पुलिस ने जब इनके ठिकानों पर दबिश दी, तो वहां से चेक, जमीनों के दस्तावेज और अन्य महत्वपूर्ण कागजात बरामद हुए।

पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि यह धंधा महज सूदखोरी तक सीमित नहीं था, बल्कि इसका संबंध आर्गेनाइज्ड क्राइम नेटवर्क से भी जुड़ा हुआ है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर पुलिस ने वीरेंद्र और रोहित तोमर के खिलाफ अलग–अलग सात एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई शुरू कर दी।

दो माह से पुलिस की गिरफ्त से बाहर-

पुलिस की कार्रवाई शुरू होते ही वीरेंद्र तोमर और रोहित तोमर गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हो गए। पुलिस के मुताबिक, रोहित तोमर ने अपनी पत्नी भावना तोमर के नाम से एक दफ्तर संचालित किया था, जहां से पूरे सूदखोरी नेटवर्क का संचालन किया जाता था। पुलिस की लगातार दबिश के बावजूद दोनों भाई अब तक गिरफ्तारी से बचते रहे हैं। पुलिस ने दोनों को पकड़ने के लिए इनाम भी घोषित किया है और दावा किया है कि उनकी तलाश लगातार जारी है। इसके बावजूद बीते दो माह से दोनों पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।

लगाई अग्रिम जमानत याचिका-

पुलिस गिरफ्तारी से बचने के लिए वीरेंद्र और रोहित तोमर ने वकील सजल गुप्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दाखिल की। इस याचिका पर हुई सुनवाई में बचाव पक्ष ने अदालत को बताया कि पुलिस ने दबाव में आकर और दुर्भावना से प्रेरित होकर कार्रवाई की है।

बचाव पक्ष का तर्क था कि उनके मुवक्किलों को झूठे आरोपों में फंसाया गया है। सूदखोरी और आर्गेनाइज्ड क्राइम जैसे गंभीर धाराओं में दर्ज मामले साजिश का हिस्सा हैं और पुलिस ने जानबूझकर सात अलग–अलग एफआईआर दर्ज कर उन्हें प्रताड़ित करने की कोशिश की है।

हाईकोर्ट ने उठाए सवाल-

इस मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने केस डायरी तलब की थी। मंगलवार को हुई सुनवाई में अदालत ने पाया कि पुलिस ने एक ही प्रकरण से जुड़े मामलों में सात अलग–अलग एफआईआर दर्ज की हैं, जिसके पीछे की कानूनी प्रक्रिया और ठोस आधार स्पष्ट नहीं है।

कोर्ट ने रायपुर एसपी से व्यक्तिगत शपथपत्र पेश करने को कहा है। कोर्ट ने साफ किया कि दो सप्ताह के भीतर यह बताना अनिवार्य है कि किन परिस्थितियों और तथ्यों के आधार पर सात एफआईआर दर्ज की गईं।


Next Story