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High Court News: PMGSY की मनमानी पर हाईकोर्ट की सख्ती, ग्रामीणों की जमीन पर जबरन बना दी सड़क, पढ़िए कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में अजब खेल चल रहा है। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के PMGSY की दादागिरी का मामला हाई कोर्ट पहुंच गया है। दरअसल अफसरों ने भूमि स्वामियों की जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही सड़क बनाना शुरू कर दिया है। परेशान भूमि स्वामियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की गुहार लगाई है। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने कुछ इस तरह का फैसला दिया है।

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By Radhakishan Sharma

High Court News: बिलासपुर। भूमि अधिग्रहण व भूअर्जन की कार्रवाई किए बगैर पीएमजीएसवाय के अफसरों ने पांच भूमि स्वामियों की जमीन पर सड़क बनाना शुरू कर दिया है। कलेक्टर से शिकायत के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तब भूमि स्वामियों ने अपने अधिवक्ता के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर गुहार लगाई है। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने अफसरों के रवैये पर नाराजगी जताई। नाराज कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के जमीन का सीमांकन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सीमांकन के बाद अगर सड़क निर्माण की जद में जमीनें आ रही है तो भूअर्जन व अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी की जाए।

याचिकाकर्ता खसरा संख्या 19/16, 19/15, 19/19, 19/22, 19/17, 19/21, 19/18, 19/20, 18/6, 19/12, 19/10 कुल रकबा 0.474 हेक्टेयर भूमि के स्वामी हैं। जो ग्राम गेरवानी, तहसील एवं जिला- रायगढ़ (छ.ग.) में स्थित है। 0.474 हेक्टेयर में से 35 डिसमिल भूमि का उपयोग प्रतिवादी प्राधिकारियों द्वारा अनाधिकृत रूप से सड़क निर्माण के लिए किया गया है। यह कहा गया है कि सड़क को चौड़ा किया जा रहा है तथा भूमि पर नई सड़क का निर्माण किया जा रहा है।

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा है कि उनको बेदखल करने या उसका अधिकार छीनने से पहले अधिग्रहण की कार्यवाही का पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि बिना किसी अधिग्रहण कार्यवाही के बलपूर्वक भूमि अधिग्रहित की गई है। याचिकाकर्ताओं ने भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू करने और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 में उचित मुआवजा और पारदर्शिता के अधिकार के अनुसार उचित मुआवजा देने की मांग की है।

हाई कोर्ट की कड़ी टिप्पणी-

याचिका की सुनवाई जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि याचिकाकर्ता को उसकी भूमि के हिस्से से बलपूर्वक बेदखल कर दिया गया है और उसे कोई मुआवजा नहीं दिया गया है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 300 ए में दी गई व्यवस्था के विपरीत है। जिसमें प्रावधान है कि किसी भी व्यक्ति को कानून के प्राधिकार के बिना उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जाएगा।

सीमांकन के बाद भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी करने कोर्ट ने दिया आदेश-

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 129 के तहत आवेदन प्रस्तुत करने कहा है। राजस्व अफसरों को याचिकाकर्ता की भूमि के संबंध में सीमांकन करने और उसके बाद यदि भूमि सड़क निर्माण के लिए अधिग्रहण की प्रक्रिया में ली गई है तो अधिनियम 2013 के अनुसार भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही तत्काल शुरू करने का निर्देश दिया है।

ये है मामला-

रायगढ़ जिले के ग्राम गेरवानी में स्थित भूमि जिसका खसरा नं 19/15, 19/16, 19/19/, 19/22, 19/17. 19/21, 19/18, 19/20, 19/12, 19/10, 18/6, कुल रकबा 0.474 हेक्टेयर भूमि आवेदक के स्वामित्व एवं पैतृक भूमि है। उक्त भूमि पर अफसरों द्वारा बिना किसी अधिकारिता के बलपूर्वक सड़क निर्माण किया जा रहा है। कलेक्टर के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किये जाने के पश्चात भी किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई। बिना अधिग्रहण और मुआवजा के सड़क निर्माण किए जाने के खिलाफ भूमि स्वामियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।

हाई कोर्ट ने वाद भूमि का सीमांकन करने का आदेश पारित करते हुए कहा है कि यदि याचिकाकर्ताओं की भूमि सड़क निर्माण में प्रभावित हो रही हो, तो भू अर्जन अधिनियम 2013 के प्रावधानों के अंतर्गत भू- अर्जन किया जाए।

ये हैं याचिकाकर्ता व भूमि स्वामी-

सुशील कुमार अग्रवाल, लक्ष्मी बाई अग्रवाल, संजय अग्रवाल,सुरेश अग्रवाल, सुमन अग्रवाल पत्नी विमल अग्रवाल, किरण अग्रवाल, सरिता अग्रवाल।

याचिकाकर्ताओं ने इन अफसरों को बनाया पक्षकार-

सचिव छग शासन, मुख्य कार्यपालन अधिकारी छत्तीसगढ़ ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी, (पीएमजीएसवाई अंतर्गत क्रियान्वयन एजेंसी) ईई प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना रायगढ़ डिविजन,एसडीएम रायगढ़,तहसीलदार रायगढ़।

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