High Court News: हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला: कमजोर नजर वाले उम्मीदवार असिस्टेंट इंजीनियर एग्रीकल्चर पद के लिए योग्य नहीं
High Court News: ओडिशा हाई कोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है क कमजोर नजर वाले उम्मीदवार असिस्टेंट इंजीनियर एग्रीकल्चर पद के लिए पात्र नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि संबंधित पद को राज्य सरकार ने अधिसूचना में इस श्रेणी के उम्मीदवार के लिए उपयुक्त नहीं माना है तो ऐसे उम्मीदवार नियुक्ति का दावा नहीं कर सकते। इसके साथ ही डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के फैसले को रद्द कर दिया है।

High Court News: भुवनेश्वर। ओडिशा हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कमजोर नजर या फिर कम दृष्टि दिव्यांगता वाले उम्मीदवार असिस्टेंट इंंजीनियर एग्रीकल्चर पद के लिए दावा नहीं कर सकते। यदि राज्य सरकार ने संबंधित पद को अधिसूचना में इस श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए उपयुक्त नहीं माना है तो इस पद के लिए ऐसे उम्मीदवार अपना दावा नहीं कर सकते।
मामले की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि विकलांग व्यक्तियों अधिनियम 1995 की धारा 32 और 33 के तहत केवल वही उम्मीदवार चयन का दावा कर सकते हैं, जिनकी दिव्यांगता उस पद के लिए अधिसूचना द्वारा चिन्हित व तय की गई हो।
ओडिशा लोक सेवा आयोग OPSC ग्रुप-बी असिस्टेंट एग्रीकल्चर इंजीनियर के पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी करते हुए आवेदन आमंत्रित किया था। पांच पद Pw D दृष्टि दिव्यांगता श्रेणी के लिए आरक्षित रखा गया था। तहमबिस्वजीत पांडा ने जिनकी दृष्टि 40 प्रतिशत तक कमजोर थी, इस पद के लिए आवेदन जमा किया था। लिखित परीक्षा पास करने के बाद कोर्ट के निर्देश पर इंटरव्यू में शामिल हुआ। इंटरव्यू के बाद राज्य लोक सेवा आयोग ने याचिकाकर्ता का इंटरव्यू परिणाम जारी नहीं किया। राज्य लोक सेवा आयोग ने बताया कि राज्य सरकार की 3 दिसंबर, 2013 की अधिसूचना के अनुसार इस पद के लिए कमजोर नजर Low Vision वाले अभ्यर्थी पात्र नहीं हैं। राज्य लोकसेवा आयोग के निर्णय को चुनौती देते हुए बिस्वजीत पांडा ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए ओड़िशा राज्य लोक सेवा आयोग को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता को चयनित मानते हुए आगे की प्रक्रिया पूरी करे।
आयोग ने सिंगल बेंच के फैसले को दी थी चुनौती
सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए ओड़िशा राज्य लोक सेवा आयोग ने डिवीजन बेंच में याचिका दायर की थी। आयोग ने दिव्यांगता श्रेणी का जिक्र करते हुए बताया कि राज्य शासन ने अधिसूचना जारी कर स्पष्ट कर दिया है किकिस-किस श्रेणी के दिव्यांगों को इस पद के लिए योग्य होंगे। आयोग ने बताया कि केवल एक पैर प्रभावित OL, एक हाथ प्रभावित OA, आंशिक बधिर HI और दोनों पैर प्रभावित लेकिन हाथ सामान्य BL-MNR श्रेणियों के दिव्यांगों को ही पात्र माना गया। इसमें अंधत्व या लो विज़न वाले उम्मीदवारों को शामिल नहीं किया गया है। डिवीजन बेंच ने माना कि विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के बाद ही राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी की है। बेंच ने कहा कि अदालत उसके ऊपर अपीलीय प्राधिकरण की तरह कार्य नहीं कर सकती।
डिवीजन बेंच ने यह भी कहा
डिवीजन बेंच ने कहा, यदि चिन्हित श्रेणी के उम्मीदवार उपलब्ध न हो तो पद रिक्त रह सकते हैं, लेकिन किसी ऐसे दिव्यांग अभ्यर्थी को नहीं दिए जा सकते, जिसकी श्रेणी सूचीबद्ध नहीं है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा अलग-अलग श्रेणियों के PwD उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग पद चिन्हित करना संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ नहीं है, क्योंकि हर श्रेणी को उनकी उपयुक्तता के अनुसार अवसर दिए जाते हैं। डिवीजन बेंच ने राज्य लोक सेवा आयोग की याचिका को स्वीकार करते हुए सिंगल बेंच के फैसले को रद्द कर दिया है।
