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High Court News: हिंदू युवती ने मुस्लिम युवक से की शादी, हाई कोर्ट ने कहा- बालिग की मर्जी सर्वोपरि, जबरन कोर्ट बुलाना गलत, पिता की याचिका खारिज

पिता की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका हाई कोर्ट ने इसलिए खारिज कर दी कि बेटी अपने पिता के बजाय पति के साथ रहना चाहती है। एसडीएम कोर्ट में उसने इकबालिया बयान भी दिया है। पिता ने पुत्री को कोर्ट के समक्ष पेश करने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा कि बेटी बालिग है और एसडीएम के सामने बयान भी दिया है। लिहाजा कोर्ट में जबरिया बुलाना उचित नहीं है।

High Court News: हिंदू युवती ने मुस्लिम युवक से की शादी, हाई कोर्ट ने कहा- बालिग की मर्जी सर्वोपरि, जबरन कोर्ट बुलाना गलत, पिता की याचिका खारिज
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High Court News

By Radhakishan Sharma

बिलासपुर। हिंदू युवती ने मुस्लिम युवक से प्रेम विवाह कर लिया है। वह उसके साथ खुश और सुरक्षित है। युवती 25 वर्ष की है। एसडीएम के सामने उसने इस तरह का बयान दिया है। राज्य सरकार ने हाई कोर्ट को कुछ इस तरह की जानकारी दी है। राज्य शासन के जवाब और बेटी के एसडीएम के सामने इकबालिया बयान के बाद हाई कोर्ट ने पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है।

पिता ने 25 वर्षीय बेटी की गुमशुदगी का हवाला देते हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता पिता ने बिलासपुर के ही दो लोगों पर बेटी को बंधक बनाकर रखने का आरोप लगाया था। याचिकाकर्ता पिता ने कोर्ट से मांग की थी कि वह पुलिस को निर्देश दें कि उनकी बेटी को मुक्त कराकर कोर्ट के समक्ष पेश करे और उसकी सुपुदर्गी में दे। मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की पुत्री ने मुस्लिम युवक के साथ विवाह करने का मैरिज सर्टिफिकेट पेश किया है। एसडीएम के समक्ष बयान में उसने अपनी मर्जी से मुस्लिम युवक के साथ शादी करने का बयान भी दिया है। एसडीएम को दिए बयान में बताया कि उसने अपनी मर्जी से विवाह किया है और वह अपने पति के साथ खुश है। वह पिता के बजाय पति के साथ रहना चाहती है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के भारतीय नगर में रहने वाले एक व्यक्ति ने हाई कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी। याचिका में बताया कि उसकी बेटी 18 मई 2025 को शहर के एक मॉल में फिल्म देखने के लिए घर से निकली थी, लेकिन फिर नहीं लौटी। 24 घंटे बीत जाने के बाद भी जब कोई जानकारी नहीं मिली, तब उसने थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।

राज्य शासन ने दी कुछ ऐसी जानकारी-

हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और दस्तावेजों को देखने के बाद कहा कि युवती बालिग है और उसने अपनी मर्जी से विवाह किया है। ऐसे में उसे जबरन कोर्ट में प्रस्तुत करने का कोई आधार नहीं बनता। कोर्ट ने यह भी कहा कि युवती ने खुद अपने बयान में यह स्वीकार किया है कि वह किसी भी प्रकार के खतरे या जबरदस्ती की स्थिति में नहीं है। वह अपने पति के साथ रहना चाहती है। पुत्री की स्वीकारोक्ति और राज्य शासन द्वारा पेश जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया है।

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