Begin typing your search above and press return to search.

High Court News: ई-नीलामी से कंपनी बाहर: हाई कोर्ट ने BSNL के फैसले को ठहराया सही, कहा- तकनीकी बोली को अस्वीकार करना RFP के अनुरुप

High Court News: भूखंड की ई-नीलामी प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई। डिवीजन बेंच ने नीलामी प्रकिया में बीएसएनल के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिकाकर्ता कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया है। डिवीजन बेंच ने कहा,तकनीकी बोली को अस्वीकार करना आरएफपी के पूर्णतः अनुरूप है और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप का औचित्य नहीं रखता.

High Court News: ई-नीलामी से कंपनी बाहर: हाई कोर्ट ने BSNL के फैसले को ठहराया सही, कहा- तकनीकी बोली को अस्वीकार करना RFP के अनुरुप
X
By Radhakishan Sharma

High Court News: बिलासपुर। भूखंड की ई-नीलामी प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में सुनवाई। डिवीजन बेंच ने नीलामी प्रकिया में बीएसएनल के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिकाकर्ता कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया है। डिवीजन बेंच ने कहा,तकनीकी बोली को अस्वीकार करना आरएफपी के पूर्णतः अनुरूप है और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप का औचित्य नहीं रखता। इस टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने रिट याचिका को खारिज कर दिया है।

अग्रवाल संस की प्रोप्राइटर पुष्पा अग्रवाल ने सीनियर एडवोकेट डा एनके शुक्ला व अधिवक्ता शैलेंद्र शुक्ला के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने 04 नवंबर 2025 के ई-मेल संचार को रद्द करने की मांग की थी। जिसमें निविदा समिति के कार्यवृत्त और अनुमोदन का संदर्भ है, लेकिन आपूर्ति नहीं की गई थी। याचिकाकर्ता ने 14 अक्टूबर.2025 के संपूर्ण रिकार्ड को मंगाने व उसे मूल्य बोली में 11 नवंबर 2025 को आयोजित होने वाली निविदा में शामिल होने की अनुमति प्रदान करने की मांग की थी।

अग्रवाल संस की प्रोप्राइटर याचिकाकर्ता, भारत संचार निगम लिमिटेड BSNL द्वारा बीएसएनएल प्रशासनिक भवन, विधानसभा रोड, खम्हारडीह, रायपुर स्थित एक भूखंड की बिक्री के लिए शुरू की गई ई-नीलामी में भाग लेना चाहती थी। यह प्रस्ताव बीएसएनएल की नीलामी 31 जुलाई 2025 के अनुसार था। आरएफपी के अनुसार, याचिकाकर्ता ने ₹2.82 करोड़ की बढ़ी हुई बयाना राशि EMD जमा की, जिसका 80% बैंक गारंटी के माध्यम से और 20% चालान के माध्यम से जमा किया गया। तकनीकी बोली चरण के लिए अनुबंध 1 से 7 के अंतर्गत निर्धारित सभी दस्तावेज प्रस्तुत किए। हालांकि, 04 अक्टूबर 2025 को, याचिकाकर्ता को ईमेल द्वारा सूचित किया गया कि उनकी तकनीकी बोली आरएफपी के अनुरूप नहीं पाई गई। बिना किसी कमी का उल्लेख किए, और 14 अक्टूबर.2025 के कार्यवृत्त का हवाला देते हुए, जो कभी संप्रेषित नहीं किए गए। 07 नवंबर 2025 को ऐसे कार्यवृत्त की प्रति मांगने के बावजूद, कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। याचिकाकर्ता का दावा है कि सभी आवश्यक दस्तावेज़ विधिवत प्रस्तुत किए गए थे। उनका आरोप है कि उनकी तकनीकी बोली को अस्वीकार करना मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है, जिससे याचिकाकर्ता को 11 नवंबर 2025 को निर्धारित ई-नीलामी में भाग लेने के अधिकार से वंचित किया गया है, जिससे निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा प्रभावित हुई है।

बीएसएनएल के अफसरों ने दुभार्वनापूर्ण तरीके से किया काम

याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच के सामने पैरवी करे हुए याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कहा कि नीलाम की जाने वाली प्रस्तावित भूमि बीएसएनएल, एक सार्वजनिक प्राधिकरण, की है, और इसलिए इसके निपटान में पारदर्शिता, निष्पक्षता और मनमानी न करने के सिद्धांतों का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए।याचिकाकर्ता की तकनीकी बोली को अस्वीकार करना पूरी तरह से मनमाना, पारदर्शिता से रहित और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन है, क्योंकि इसमें कोई कारण या कमियां नहीं बताई गई।

याचिकाकर्ता को अस्वीकृति की सूचना 20 दिनों से अधिक की देरी के बाद, और वह भी 11 नवंबर 2025 को निर्धारित नीलामी से ठीक पहले दी गई, जिससे बीएसएनएल के अफसरों की ओर से उन्हें नीलामी प्रक्रिया में भाग लेने के अवसर से वंचित करने की दुर्भावनापूर्ण मंशा स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इस तरह का दृष्टिकोण निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा को कमजोर करता है और याचिकाकर्ता के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

अधिवक्ता दुबे ने बोली प्रक्रिया के नियमों का दिया हवाला

बीएसएनएल की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कहा, याचिकाकर्ता की अयोग्यता प्रस्ताव के अनुरोध की शर्तों के पूर्णतः अनुरूप थी। अधिवक्ता संदीप दुबे ने बोली प्रक्रिया की धारा 3.3 का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्येक बोलीदाता को तकनीकी बोली के साथ बीजी/एफडीआर की एक प्रति अपलोड करना अनिवार्य था। बोली जमा करने की अंतिम तिथि से एक सप्ताह के भीतर नामित बीएसएनएल कार्यालय में मूल बीजी/एफडीआर भी भौतिक रूप से जमा करना था। याचिकाकर्ता ने निस्संदेह इस आवश्यक शर्त का पालन करने में विफल रहा। अधिवक्ता दुबे ने बीएसएनएल को संबोधित याचिकाकर्ता के द्वारा 10 अक्टूबर 2025 को लिखे पत्र की एक प्रति प्रस्तुत की, जिसमें याचिकाकर्ता ने चिकित्सा कारणों से निर्धारित समय के भीतर बैंक गारंटी की हार्ड कॉपी जमा नहीं करने के लिए माफी मांगी थी। इसे रिकॉर्ड में लिया गया है। पत्र की सामग्री से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि याचिकाकर्ता को अपनी अयोग्यता के कारण की पूरी जानकारी थी।

हाई कोर्ट के याचिका किया खारिज

मामले की सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने कहा, याचिकाकर्ता अब मनमानी या प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के उल्लंघन का दावा नहीं कर सकती, न ही निविदा शर्तों के उल्लंघन में नीलामी में भाग लेने की मांग कर सकती है। दुर्भावना का तर्क पूरी तरह से निराधार है। इस प्रकार, तकनीकी बोली को अस्वीकार करना आरएफपी के पूर्णतः अनुरूप है और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हस्तक्षेप का औचित्य नहीं रखता। इस टिप्पणी के साथ डिवीजन बेंच ने रिट याचिका को खारिज कर दिया है।

Next Story