High Court News: 140 दिन गैरहाजिरी पर बर्खास्तगी उचित, हाई कोर्ट ने BSP प्रबंधन के फैसले को सही ठहराया
बिलासपुर हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि अनुशासनात्मक मामलों में सजा सुनाने का फैसला प्रबंधन को है। यह उनका प्रबंधकीय कार्य है। इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

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बिलासपुर। मामला भिलाई स्टील प्लांट BSP में कार्यरत एक तकनीकी कर्मचारी का है। लंबे समय तक बिना बताए अनुपस्थित रहने वाले तकनीशियन को भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन ने बर्खास्त कर दिया था। बीएसपी प्रबंधन के निर्णय को चुनौती देते हुए तकनीशियन ने याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अनुपस्थित कर्मचारी के बर्खास्तगी आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन की कार्रवाई को नियमानुसार है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।
बर्खास्त याचिकाकर्ता ने बर्खास्तगी आदेश को रद्द कर सेवा में बहाली की गुहार लगाई थी। हाई कोर्ट ने कहा कि अनुशासनात्मक मामलों में सजा देने का अधिकार प्रबंधन को है,और यह प्रबंधकीय कार्य है। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि सजा बहुत कठोर हो या फिर न्याय की अंतरात्मा को झकझोरने वाली ना हो तब तक अदालत को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई करते हुए जस्टिस व्यास ने माना कि बिना अनुमति और बगैर जानकारी के 140 दिनों तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। सेवा से बर्खास्तगी को उचित ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।
आठ साल की नौकरी में दर्जनों बार की लापरवाही-
याचिकाकर्ता 01 मई 1994 से 17 सितंबर 1994 तक बिना अवकाश स्वीकृति कराए 140 दिनों तक ड्यूटी से गायब रहा। इसके पूर्व भी वह बिना बताए ड्यूटी से गायब रहता था। इसके लिए उसे तीन बार दंडित किया जा चुका था। आठ साल की सेवा में दर्जनों बार ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में दंडित किया गया था। बिना बताए लंबे समय तक गायब रहने के बाद प्रबंधन ने विभागीय जांच का आदेश दिया। जांच रिपोर्ट के बाद भिलाई स्टील प्रबंधन ने 18 अगस्त 1995 को बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया।
श्रम न्यायालय में दायर की याचिका-
भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन की बर्खास्तगी के आदेश को चुनौती देते हुए श्रम न्यायालय में याचिका दायर की। दायर याचिका में कहा कि प्रबंधन द्वारा उसे कठोर सजा दी गई है। विभागयी जांच को प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के विपरीत बताते हुए बर्खास्तगी आदेश को रद्द करने की मांग की। मामले की सुनवाई के बाद श्रम न्यायालय ने बीएसपी की कार्रवाई को उचित ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
श्रम न्यायालय के फैसले को हाई कोर्ट में दी चुनौती-
श्रम न्यायाय के फैसले को चुनौती देते हुए अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा कि बर्खास्तगी आदेश के बाद उसने भिलाई स्टील प्लांट प्रबंधन के समक्ष अपील की थी। उसकी अपील पर सुनवाई अब तक लंबित है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ की गई कार्रवाई से यह स्पष्ट है कि वह ड्यूटी से गायब रहने का आदी था। सेवा से पृथक करने के प्लांट प्रबंधन के फैसले को उचित ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी है।
