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High Court News: बिना मान्यता 330 स्कूलों में धड़ल्ले से एडमिशन, हाईकोर्ट ने लगाया ब्रेक, शिक्षा सचिव से मांगा जवाब

High Court News: हाईकोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश में बगैर मान्यता प्राप्त संचालित स्कूलों में नए सत्र में छात्रों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। शिक्षा विभाग के डायरेक्टर के द्वारा नर्सरी से केजी टू तक संचालित स्कूलों के संबंध में दिए गए जवाब को गलत पाते हुए शिक्षा सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि डायरेक्टर ने कोर्ट में गलत जानकारी क्यों दी? मामले की अगली सुनवाई अगस्त माह में रखी गई है। कांग्रेस नेता विकास तिवारी ने बिना मान्यता प्रदेश में संचालित स्कूलों के खिलाफ अधिवक्ता संदीप दुबे और मानस बाजपेई के माध्यम से जनहित याचिका लगाई है।

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By Radhakishan Sharma

High Court News: बिलासपुर। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका कीं सुनवाई करते हुए प्रदेश में बगैर मान्यता प्राप्त संचालित स्कूलों में नए सत्र में छात्रों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। शिक्षा विभाग के डायरेक्टर के द्वारा नर्सरी से केजी टू तक संचालित स्कूलों के संबंध में दिए गए जवाब को गलत पाते हुए शिक्षा सचिव को नोटिस जारी कर पूछा है कि डायरेक्टर ने कोर्ट में गलत जानकारी क्यों दी? मामले की अगली सुनवाई अगस्त माह में रखी गई है।

कांग्रेस नेता विकास तिवारी ने बिना मान्यता प्रदेश में संचालित स्कूलों के खिलाफ अधिवक्ता संदीप दुबे और मानस बाजपेई के माध्यम से जनहित याचिका लगाई है। याचिका में बताया है कि प्रदेश में नर्सरी से लेकर क्लास वन तक के कई स्कूल बिना मान्यता के चल रहे हैं। शिक्षा विभाग के कारोबारी अपनी एक स्कूल की मान्यता के नाम पर नर्सरी, केजी और क्लास वन की कई ब्रांच गली मोहल्ले में बिना मान्यता के खोलकर शिक्षा का व्यापार कर रहे हैं।

शिकायत होने पर शिक्षा विभाग मामूली खाना पूर्ति करता है और 25 हजार रुपए जैसे मामूली फीस लेकर उन्हें स्कूल संचालित रखने की अनुमति प्रदान कर देता है। उन्हें बाद में अन्य दस्तावेजों को जमा करने के लिए समय दे दिया जाता है। तब तक के शिक्षा सत्र समाप्त हो जाता है। इस दौरान फीस के नाम से लाखों रुपए वसूल लिए जाते हैं और शिकायत पर शिक्षा विभाग नाममात्र की कार्यवाही कर चुप बैठ जाता है।

याचिका में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे ने अदालत को बताया कि रायपुर का कृष्णा पब्लिक स्कूल इसका बड़ा उदाहरण है। एक ही एफिलेशन से कृष्णा प्ले और कृष्ण किड्स जैसे नाम से कई ब्रांच चलाई जा रही है। राजधानी रायपुर से जशपुर तक करीबन 330 स्कूल बिना मान्यता के संचालित है और विद्यार्थियों को प्रवेश देकर मोटी रकम वसूल कर रहे हैं। शिकायत करने पर शिकायतकर्ता विकास तिवारी के खिलाफ ही झूठी एफआईआर दर्ज करवा दी गई।

मामले में 30 जून 2025 को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई के बाद संचालक लोक शिक्षण संचालनालय को आदेश देकर आज 11 जुलाई को शपथ पत्र में जवाब मांगा था।

DPI ने दी गलत जानकारी -

डीपीआई द्वारा प्रस्तुत शपथ पत्र में बताया गया कि प्रारंभिक शिक्षा में उम्र 6 से 14 वर्ष तक के बच्चे कक्षा पहली में जिन शालाओं में प्रवेश लेते हैं तो ऐसी शालाओं को मान्यता लेना अनिवार्य है किंतु जिन शालाओं में कक्षा नर्सरी से केजी टू तक की कक्षाएं संचालित होती हैं तो ऐसी गैर शालाओं को मान्यता लेना अनिवार्य नहीं है। डीपीआई ने अदालत को यह भी अवगत कराया कि जिन कक्षाओं के संचालन हेतु गैर शालाओं को मान्यता लेना अनिवार्य है और ऐसी शालाएं बिना मान्यता के संचालित हो रही है तो ऐसी गैर शालाओं की विरुद्ध जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा आर्थिक दंड अधिरोपित किया जा रहा है, तथा जिन शालाओं के द्वारा मान्यता लेने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया गया है ऐसे आवेदन जिला स्तर पर लंबित है।

जवाब में बताया कि पूरे प्रदेश में गैर शासकीय शालाएं कक्षा नर्सरी से केजी टू तक की संख्या 72, कक्षा नर्सरी से प्राथमिक शालाओं की संख्या 1391, कक्षा नर्सरी से पूर्व माध्यमिक शालाओं की संख्या 3114, कक्षा नर्सरी से उच्चतर माध्यमिक शालाओं की संख्या 2618 है। संचालक लोक शिक्षण विभाग द्वारा यह भी बताया गया कि ऐसी गैर शासकीय शालाएं कहा कक्षा नर्सरी से केजी टू की कक्षा संचालित होती हैं उन्हें मान्यता लेने की आवश्यकता नहीं है।

जब कोर्ट हुआ नाराज-

डीपीआई के जवाब पर विकास तिवारी हस्तक्षेपकर्ता के अधिवक्ता संदीप दुबे एवं मानस वाजपेयी नें संचालक, लोक शिक्षण विभाग द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र का खण्डन करते हुए हाई कोर्ट के डिविज़न बेंच को अवगत कराया कि निःशुल्क बाल शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत छ०ग० शासन द्वारा 07 जनवरी 2013 को विनियम लागू किया गया था, जिसमें समस्त गैर शासकीय शालाएं जहां कक्षा कक्षा नर्सरी से केजी 2 की कक्षाएं संचालित है, ऐसी गैर शासकीय शालाओं की भी मान्यता लेना अनिवार्य है। अदालत को अवगत कि यह आदेश शिक्षा विभाग के तत्कालीन सचिव केआर पिस्दा ने जारी किया था। जिसे डीपीआई ने अपने जवाब में छुपा दिया है। डीपीआई द्वारा पेश जानकारी को लेकर कोर्ट ने नाराजगी जताई.

शिक्षा सचिव को देना होगा जवाब-

प्रकरण में विकास तिवारी की हस्तक्षेप याचिका पर सुनवाई के पश्चात हाई कोर्ट के डिविज़न बेंच ने शिक्षा विभाग के सचिव को निर्देशित किया है कि अगली सुनवाई के पूर्व व्यक्तिगत शपथपत्र प्रस्तुत कर बताए कि डीपीआई ने गलत जानकारी क्यों दी। इसके अलावा यह भी पूछा है कि 2013 के विनियम के अनुसार गैर शासकीय शालाएं कक्षा नर्सरी से केजी 2 को मान्यता लेने संबंधी दिशा निर्देश के विपरीत क्यों गैर शासकीय शालाएं बिना मान्यता के संचालित की जा रही है जिससे बच्चों के भविष्य का नुकसान किया जा रहा है साथ ही साथ उनके अभिभावकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। साथ ही साथ यह भी आदेशित किया कि आगामी आदेश तक बिना मान्यता वाले गैर शासकीय शालाएं में नए सत्र के लिए बच्चों के प्रवेश पर रोक लगाएं।

डिविज़न बेंच ने कहा कि सरकार को ऐसे सभी स्कूलों पर तत्काल रोक लगानी होगी और बच्चों का एडमिशन बंद करवाना होगा जो बिना मान्यता के चल रहे हैं। यदि इसके बाद भी एडमिशन दिया गया तो स्कूलों को भारी दंड चुकाना होगा। जिसे मुआवजे के रूप में एडमिशन लेने वाले बच्चों को दिया जाएगा। अगली सुनवाई 5 अगस्त को निर्धारित की गई है।

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