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Hareli Par Neem Lagane Ki Parampara: हरेली पर नीम की डंगाल लगाने का कड़वा सच! जानिए डॉक्टर दिनेश मिश्र ने क्यों बताया इसे अंधविश्वास

Hareli Par Neem Lagane Ki Parampara: हरेली को लेकर जितनी गहरी लोगो की आस्था है उतनी ही यह अंधविश्वास से भी जुड़ी है. मान्यता है हरेली के दिन टोना टोटका, तांत्रिक क्रियाएं होती है. हरेली सावन मास की अमावस्या को मनाई जाती है.

हरेली पर नीम की डंगाल लगाने का कड़वा सच!
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By Neha Yadav

Hareli Par Neem Lagane Ki Parampara: रायपुर: छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार से त्योहारों की शुरुआत भी होता है. आज 24 जुलाई को छत्तीसगढ़ राज्य का पहला और पारंपरिक त्योहार 'हरेली' तिहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा और कृषि परंपरा से जुड़ा ये त्यौहार प्रमुख लोकपर्व है. "हरेली" शब्द "हरियाली" से बना है, जिसका मतलब है प्रकृति की हरियाली, नई शुरुआत और खुशहाली. ये पर्व मुख्य रूप से किसानों द्वारा मनाया जाता है.

घर के बाहर नीम की डंगाल लटकाने की परम्परा

इस दिन पारंपरिक रीति रिवाज से पूजा अर्चना की जाती है. किसान हल, कुदाल, गैंती आदि औजारों को धोकर हल्दी और गोबर से पूजते हैं. साथ ही धरती माँ और बैल की भी पूजा करते हैं. इस दिन नीम की डंगाल (टहनियाँ) घरों के दरवाज़ों, दरवाज़े की चौखटों या आँगन के प्रवेश द्वार, और वाहनों पर लटकाई जाती हैं. घरों के बाहर नीम की डंगाल लगाने के पीछे एक अंधविश्वास है. माना जाता है नीम की डंगाल लटकाने से भूत प्रेत, नकरात्मक ऊर्जा और काली शक्तियों से बचाव होता है.

क्या है मान्यता

जी हाँ, हरेली को लेकर जितनी गहरी लोगो की आस्था है उतनी ही यह अंधविश्वास से भी जुड़ी है. मान्यता है हरेली के दिन टोना टोटका, तांत्रिक क्रियाएं होती है. हरेली सावन मास की अमावस्या को मनाई जाती है. इस दिन काली शक्तियां जैसे भूत प्रेत और बुरी आत्माएं सक्रिय हो जाती है. ऐसे में अगर नीम की डंगाल को घरों के दरवाज़ों पर लगा दें तो ये काली शक्तियां घर में प्रवेश नहीं करती और उससे बचाव होता है. जिसे लोग एक परम्परा मानकर सालों से निभा रहे हैं. लेकिन ऐसा नहीं है नीम की डंगाल लगाने के पीछे एक वैज्ञानिक कारण है.

नीम में होते हैं औषधीय गुण

दरअसल, नीम एक अत्यंत उपयोगी और औषधीय वृक्ष है, इसमें कई जैव सक्रिय रसायन और तत्व पाए जाते हैं, जिनके कारण यह कीट-नाशक, रोग-नाशक, जीवाणु-रोधी, विषाणु-रोधी और एंटीसेप्टिक गुणों से भरपूर होता है. यह त्वचा, बालों, दाँतों की देखभाल और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. जैसा कि आप जानते होंगे मानसून हरियाली के साथ कई बीमारियां अपने साथ लाता है. माना जाता है प्राचीन समय में जब संक्रमण या कोई बीमारी फैलती थीं तब गांव के बुजुर्ग नीम का इस्तेमाल करते थे. नीम की पत्तियां घर के दरवाजे पर लटकाते थे क्योंकि यह हवा के शुद्धिकरण का काम करता है. साथ ही इसके नीम के पानी से नहाते थे, इसके डंठल से दातुन करते थे और इसका सेवन भी करते थे. लेकिन धीरे धीरे इसे अंधविश्वास से जोड़ दिया गया. जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चली आ रही है. इससे पर्यावरण को भी नुक्सान होता है.

नीम की डंगाल लगाने को डॉक्टर दिनेश मिश्र ने बताया अंधविश्वास

हरेली में घर के दरवाजे पर नीम की डंगाल लगाने की परम्परा को लेकर NPG न्यूज ने अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिनेश मिश्र से बात की. डॉ दिनेश मिश्र ने इसे एक अन्धविश्वास बताया. डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि "यह केवल एक अन्धविश्वास है. पहले के लोग घर के दरवाजे पर नीम की डंगाली लगाते थे. इसके पीछे वैज्ञानिक वजह थी. हरेली सावन माह यानी मानसून में मनाया जाता है. मानसून में कई तरह की बीमारियां होती है. इस मौसम में कई तरह की बीमारियों और संक्रमणों का भी खतरा बढ़ जाता है. जिससे बचने के लिए पहले के लोग घर के बाहर लोग नीम का पेड़ लगाते थे और इस्तेमाल भी करते थे. क्योंकि नीम को आयुर्वेद में एक औषधीय पौधा माना गया है. लेकिन अब लोग इसे काले जादु, बुरी नजर और भूत प्रेत से जोर कर देखते हैं. नीम को आयुर्वेद में एक औषधीय पौधा माना गया है.

शहरों और गाँव में लोग अपने घर के दरवाजे, ट्रेक्टर और कार सभी चीजों में नीम की डंगाल लगाते हैं. जिसके लिए बड़े पैमाने में लोग नीम को काट देते हैं. इससे पेड़ को भी नुक्सान होता है. इसपर डॉ दिनेश मिश्र ने कहा कि, घर और वाहन में नीम लगाने से बुरी नजर कैसे दूर हो सकती है. नीम के पानी नहा लिया जाये तो उससे ज्यादा लाभ होगा. अगर ऐसा ही लग रहा है नीम की डंगाल को काटकर लगाने से नजर नहीं लगेगी तो क्यों न घर में ही नीम का एक पेड़ लगा लिया जाये. इससे पर्यावरण को भी नुक्सान नहीं होगा. डॉ दिनेश मिश्र ने कहा, नीम जैसे और भी औषधीय पेड़ इस मौसम में लगाने चाहिए.

(अस्वीकरण: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. NPG NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता)

Neha Yadav

नेहा यादव रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी से बीएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्रेजुएट करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। पिछले 6 सालों से विभिन्न मीडिया संस्थानों में रिपोर्टिंग करने के बाद NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहीं है।

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