गरियाबंद। जिले में कृषि कार्य से धीरे-धीरे निवृत्त हो रहे श्रमिक को मनरेगा में रोजगार मिल रहा है। मनरेगा योजना से जुडे श्रमिक प्रतिदिन तालाब गहरीकरण, नया तालाब निर्माण, डबरी निर्माण, मिट्टी सडक, नहर सफाई के कार्यों सहित अन्य मजदूरी मुलक कार्यों में मेहनत करते हुए रोजगार प्राप्त करते हुए परिसंपत्तियो का निर्माण कर रहे है। 02 जनवरी को मनरेगा के 1686 कार्यों में 61 हजार 595 श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराया गया।
यह आंकडा अब और बढेगा क्योंकि किसान फसल कटाई के कार्य से धीरे-धीरे निवृत्त हो रहे हैं। जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी रीता यादव ने बताया कि जिले में कलेक्टर श्री आकाश छिकारा के निर्देशन में मनरेगा का कार्य सुचारु रुप से संचालित किया जा रहा है। मनरेगा का उद्देश्य हर हाथ को काम मिले और मांग आधारित योजना के माध्यम से लोगो को रोजगार की प्राप्ति हो। इसलिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में कार्यों को शुरू करते हुए जॉबकार्डधारी परिवार को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। ताकि गांव से पलायन की स्थिति निर्मित न हो। कलेक्टर ने जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी, मनरेगा कार्यक्रम अधिकारी को नियमित रुप से मनरेगा के कार्यो की मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं।
304 ग्राम पंचायतों में चल रहा काम - जिले की 336 ग्राम पंचायतों में से 304 ग्राम पंचायतो में 1686 मनरेगा के कार्य चल रहे हैं, जिनमें 61 हजार 595 मजदूरों को रोजगार मुहैया कराया जा रहा है। जैसे-जैसे धान को बेचकर किसान फुर्सत हो रहे है, वैसे-वैसे मनरेगा कार्यों में सहभागिता बढ़ती जा रही है।
जिले की जपनद पंचायत छुरा में 66 ग्राम पंचायतों में 351 कार्यों में 15 हजार 545 श्रमिकों को काम दिया जा रहा है। इसी तरह जनपद पंचायत देवभोग में 52 ग्राम पंचायतों में 278 कार्यों में 7 हजार 961 श्रमिको को काम दिया जा रहा है। जनपद पंचायत फिंगेश्वर में 53 ग्राम पंचायतों में 196 कार्यों में 5 हजार 347 श्रमिक काम करते हुए रोजगार प्राप्त कर रहे हैं। जनपद पंचायत गरियाबंद में 62 ग्राम पंचायतो मे 403 कार्यों में 16 हजार 348 श्रमिकों को कार्य दिया जा रहा है। जनपद पंचायत मैनपुर में 71 ग्राम पंचायतों में 458 कार्यों में 16 हजार 394 श्रमिकों को काम दिया जा रहा है। जिससे श्रमिकों को पलायन से मुक्ति मिल रहा है।