Ganesh Uike Encounter : लाल आतंक का बड़ा चेहरा खत्म: 1 करोड़ का इनामी गणेश उईके एनकाउंटर में ढेर, 7 राज्यों की पुलिस को थी तलाश, पढ़े 40 साल के आतंक की पूरी कुंडली
Ganesh Uike Encounter : सुरक्षा बलों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली लीडर गणेश उईके को ढेर कर दिया है।

Ganesh Uike Encounter : लाल आतंक का बड़ा चेहरा खत्म: 1 करोड़ का इनामी गणेश उईके एनकाउंटर में ढेर, 7 राज्यों की पुलिस को थी तलाश, पढ़े 40 साल के आतंक की पूरी कुंडली
Naxal Leader Ganesh Uike Encounter : ओडिशा/जगदलपुर। ओडिशा और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में सक्रिय माओवाद के एक बड़े अध्याय का अंत हो गया है। सुरक्षा बलों ने एक बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए एक करोड़ रुपये के इनामी नक्सली लीडर गणेश उईके को ढेर कर दिया है। कंधमाल के जंगलों में हुई इस भीषण मुठभेड़ में उईके समेत कुल 6 नक्सली मारे गए हैं। गणेश उईके का मारा जाना माओवादी संगठन के लिए एक अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।
Naxal Leader Ganesh Uike Encounter : सुरक्षा बलों ने नक्सलवाद के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी स्ट्राइक में से एक को अंजाम दिया है। ओडिशा के कंधमाल जिले में हुई एक मुठभेड़ में माओवादियों की 'सेंट्रल कमेटी' (CC) के कद्दावर सदस्य गणेश उईके को मार गिराया गया है। उईके पर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा का इनाम था और वह पिछले 4 दशकों से पुलिस की आंखों में धूल झोंक रहा था।
Naxal Leader Ganesh Uike Encounter : कौन था गणेश उईके?
मूल रूप से तेलंगाना के नलगोंडा जिले का रहने वाला गणेश उईके माओवादी संगठन का एक 'मास्टरमाइंड' माना जाता था। वह केवल एक लड़ाका ही नहीं, बल्कि संगठन का एक बड़ा रणनीतिकार और वैचारिक गुरु भी था। वह माओवादियों की 'साउथ सब-जोनल कमेटी' का इंचार्ज था और उसकी तलाश महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश समेत 7 राज्यों की पुलिस को थी।
जगदलपुर के छात्रावासों से शुरू हुई थी कहानी
गणेश उईके के नक्सली बनने की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। 80 के दशक की शुरुआत में, वह एक साधारण युवक बनकर छत्तीसगढ़ के जगदलपुर पहुँचा था। उस समय उसका काम बंदूक चलाना नहीं, बल्कि युवाओं के दिमाग में नक्सली विचारधारा का जहर घोलना था। वह RSU (रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन) का सक्रिय सदस्य था, जो माओवादियों की छात्र इकाई है।
जानकारी के अनुसार, वह जगदलपुर के नेहरू छात्रावास और कॉलेजों में छात्रों के बीच समय बिताता था। उसका मकसद था—गरीब और भोले-भाले छात्रों को संगठन से जोड़ना। उईके ने कई सालों तक छात्र राजनीति की आड़ में नक्सली नेटवर्क को शहरी इलाकों में मजबूत किया।
विचारधारा से सशस्त्र संघर्ष तक का सफर
जब उईके ने महसूस किया कि उसने युवाओं की एक फौज तैयार कर ली है, तो वह खुद 'अंडरग्राउंड' हो गया। उसने कलम छोड़कर बंदूक उठा ली और जंगलों में चला गया। अपनी तेज बुद्धि और वैचारिक पकड़ के कारण वह संगठन की सीढ़ियां चढ़ता गया और अंततः नक्सलियों की सबसे पावरफुल विंग 'सेंट्रल कमेटी' का हिस्सा बना। वह बस्तर से लेकर ओडिशा तक माओवादी गतिविधियों को संचालित करता था।
मुठभेड़ का ब्योरा
कंधमाल के घने जंगलों में नक्सलियों की मौजूदगी की सटीक सूचना मिलने के बाद सुरक्षा बलों ने एक बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया था। खुद को घिरता देख नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। घंटों चली इस क्रॉस-फायरिंग में जवानों ने गणेश उईके समेत 6 नक्सलियों को मार गिराया। मौके से भारी मात्रा में आधुनिक हथियार, गोला-बारूद और नक्सली साहित्य बरामद किया गया है।
संगठन के लिए बड़ा झटका
गणेश उईके का मारा जाना माओवादियों के 'थिंक टैंक' का खत्म होना है। वह उन पुराने कैडर्स में से एक था जो संगठन की नींव माने जाते थे। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि उईके की मौत से न केवल मध्य भारत में नक्सलियों का नेटवर्क कमजोर होगा, बल्कि युवाओं को बरगलाने वाली उनकी वैचारिक मशीनरी को भी बड़ा धक्का लगा है।
