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Fake Cardiologist Doctor N John Camm- मौत का फरिश्ता डा कैम की डिग्री और नियुक्ति को लेकर CMHO ने अपोलो से मांगे डिग्री व रिकार्ड

Fake Cardiologist Doctor N John Camm :-कलयुम में डाक्टरों की गिनती भगवान के रूप में होती है। ये जीवनदाता के रूप में इन पर लोग भरोसा करते हैं और उसी अंदाज में सम्मान भी। पर यह क्या, चिकित्सा पेशा को बदनाम करने वाले ऐसे ही एक शख्स हैं डा कैम,इसे मौत का फरिश्ता कहना ही उचित होगा। फर्जी कार्डियोलाजिस्ट बनकर लोगों की जान के साथ खेल गया। दमोह के मिशन अस्पताल की घटना सामने नहीं आती तब डा कैम और अपोलो के फर्जीवाड़ा से पर्दा नहीं उठता। अपोलो अस्पाल प्रबंधन और राज्य शासन उस समय अगर सख्ती बरतते तो दमोह की घटना को रोका जा सकता था। अफसोस ऐसा नहीं हुआ और कार्डियालाजिस्ट बनकर डा कैम ने पहले छत्तीसगढ़ और फिर मध्यप्रदेश के दमोह में आधा दर्जन से ज्यादा लोगों की सांसे छिन ली। CMHO ने अपोलो अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारीर कर डा नरेंद्र विक्रमादित्य की डिग्री के साथ ही नियुक्ति को लेकर जानकारी मांगी है।

Fake Cardiologist Doctor N John Camm- मौत का फरिश्ता डा कैम की डिग्री और नियुक्ति को लेकर CMHO ने अपोलो से मांगे  डिग्री व रिकार्ड
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By Radhakishan Sharma

बिलासपुर न्यूज़ :- बिलासपुर। सीएमएचओ ने अपोलो अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर पूछा है कि डा नरेंद्र विक्रमादित्य को किस आधार पर बतौर कार्डियोलाजिस्ट भर्ती किया। नियुक्ति के समय उनकी डिग्री की पड़ताल की गई थी या नहीं। किसी अन्य संस्थान जहां वे सेवाएं दे रहे थे वहां से जानकारी ली गई है। जरुरी फीडबैक लिया या नहीं। नोटिस में अपाेलो प्रबंधन से यह भी पूछा गया है कि बतौर कार्डियालाजिस्ट आपरेशन थियेटर सौंपने से पहले डा का ट्रैक रिकार्ड देखा गया था या नहीं। सीएमएचओ ने कार्डियोलाजिस्ट की हैसियत से डा विक्रमादित्य द्वारा जिन मरीजों का आपेरशन किया गया उनमें से कितने की मौत हुई, जिन मरीजों की मौत हुई परिजनों द्वारा की गई शिकायत के बाद डा के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई थी। पूरे दस्तावेज मांगे हैं।

0 सीएमएचओ ने ये कहा

सीएमएचओ डा प्रमोद तिवारी ने कहा कि अपोलो प्रबंधन को नोटिस जारी कर डा नरेंद्र विक्रमादित्य की डिग्री के साथ ही किस आधार पर उसे नियुक्ति दी गई। नियुक्ति देने से पहले फीडबैक लिया गया था या नहीं, जैसे जरुरी बिंदुओं पर जानकारी मांगी है।

0 कारपोरेट अस्पताल और ऐसी लापरवाही

दुनियाभर में अपोलो की छवि कारपोरेट अस्पताल और पुख्ता सिस्टम के लिए बनी है। बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में जो कुछ हुआ वह तो और भी चौंकाने वाली घटना है। अप टू डेट सिस्टम होने के बाद कैसे और किस आधार पर बतौर कार्डियोलाजिस्ट डा नरेंद्र विक्रमादित्य को विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में नौकरी दे दी। डिग्री,मान्यता के अलावा किस-किस संस्थान में सेवाएं दी,वहां का ट्रैक रिकार्ड कैसे रहा। इसकी पड़ताल क्यों नहीं की गई। नौकरी पर रखने और आपरेशन थियेटर सौंपने से पहले फीडबैक क्यों नहीं लिया गया। अपोलो जैसे कारपाेरेट अस्पताल के पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल उठ खड़ा हो गया है। दमोह के मिशन अस्पताल जैसी घटनाएं बिलासपुर के अपाेलो में भी हुई है। डा नरेंद्र विक्रमादित्य ने ही बतौर कार्डियोलाजिस्ट आपरेशन किया। जिनका आपरेशन किया वे सभी मौत के आगोश में समा चुके हैं।

0 इस सच्चाई को भी छिपाया गया

प्रोफेसर शुक्ला ने बताया जब जब अपोलो में कार्डियोलाजिस्ट डा नरेंद्र के मरीजों की मौत को लेकर विवाद गहराया तब आईएमए के तत्कालीन अध्यक्ष व कार्डियोलाजिस्ट डा वायएस दुबे ने इसकी जांच कराई। जांच में डा नरेंद्र के डाक्यूमेंट्स फर्जी पाए गए। उसके पास केवल एमबीबीएस की डिग्री थी। कार्डियोलाजिस्ट नहीं था।

0 ये कैसी डिग्री जिसका रजिस्ट्रेशन नंबर ही नहीं

डा नरेंद्र देहरादून का रहने वाला है। उसके दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा है। उसके पास 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है, जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज की है। रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 दर्ज है। तीन एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्रियां दी गई हैं, उनमें किसी का भी रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है।

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