Begin typing your search above and press return to search.

Fake Cardiologist Doctor N John Camm: 7 मरीजों की मौत, फंस गए फर्जी डाॅ जान कैम, अब छत्तीसगढ़ के अपोलो अस्पताल के सिस्टम पर उठने लगे सवाल...

Fake Cardiologist Doctor N John Camm: दमोह के मिशन अस्पताल के हार्ट की सर्जरी के बाद सात मरीजों की मौत से जब पर्दा उठा तब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के अलावा देशभर में सनसनी मच गई है। फर्जी डाक्टर की करतूत ने चिकित्सा जैसे संवेदनशील पेशे और अस्पताल से लोगों का भरोसा उठने लगा है। फर्जी कार्डियोलाजिस्ट डा नरेंद्र विक्रमादित्य की करतूत सामने आने के बाद एक और खुलासा हुआ है कि छत्तीसगढ़ बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में भी बतौर कार्डियाेलाजिस्ट आपरेशन किया है। जिनका आपरेशन किया वे सीधे मौत के आगोश में चले गए। सबसे बड़ा सवाल ये कि चिकित्सा के क्षेत्र में कारपोरेट अस्पताल के रूप में अपोलो की ख्याति देशभर में है। फर्जी कार्डियोलाजिस्ट की नौकरी और आपरेशन थियेटर सौंप देने को लेकर अब तो अपोलो के सिस्टम पर गंभीर सवाल उठने लगा है। फैल्युअर सिस्टम और फर्जी डाक्टर के चलते लोग असमय मौत के आगोश में सो गए।

Fake Cardiologist Doctor N John Camm: 7 मरीजों की मौत, फंस गए फर्जी डाॅ जान कैम, अब छत्तीसगढ़ के अपोलो अस्पताल के सिस्टम पर उठने लगे सवाल...
X
By Radhakishan Sharma

Fake Cardiologist Doctor N John Camm: बिलासपुर। दमोह के मिशन अस्पताल में जो कुछ हुआ वह किसी भयावह और दुर्दांत घटना से कम नहीं। एक फर्जी कार्डियोलाजिस्ट ने आपरेशन थियेटर पर उन लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जिन्होंने उसे भगवान का रूप मानते हुए अपनी जान उसके हवाले कर दिया। डाक्टर और मिशन अस्पताल प्रबंधन ने क्या किया। भरोसे की हत्या तो की है साथ ही उस व्यक्ति की जान ले ली जिसका कुसूर सिर्फ इतना था कि उसने मिशन अस्पताल प्रबंधन और डा नरेंद्र विक्रमादित्य पर भरोसा किया। परिजनों का धन भी गया और परिवार का सदस्य भी सदा-सदा के लिए चल बसा।

दमोह के मिशन अस्पताल से भी भयावह घटना छत्तीसगढ़ बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में घटी। दुनियाभर में अपोलो की छवि कारपोरेट अस्पताल और पुख्ता सिस्टम के लिए बनी है। बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में जो कुछ हुआ वह तो और भी चौंकाने वाली घटना है। अप टू डेट सिस्टम होने के बाद कैसे और किस आधार पर बतौर कार्डियोलाजिस्ट डा नरेंद्र विक्रमादित्य को विशेषज्ञ चिकित्सक के रूप में नौकरी दे दी। डिग्री,मान्यता के अलावा किस-किस संस्थान में सेवाएं दी,वहां का ट्रैक रिकार्ड कैसे रहा। इसकी पड़ताल क्यों नहीं की गई। दमोह की घटना और अपाेलो अस्पाल में डा विक्रमादित्य के बतौर कार्डियोलाजिस्ट नियुक्ति और आपरेशन करने की छूट को लेकर अपोलो जैसे कारपाेरेट अस्पताल के पूरे सिस्टम पर गंभीर सवाल उठ खड़ा हो गया है। दमोह के मिशन अस्पताल जैसी घटनाएं बिलासपुर के अपाेलो में भी हुई है। डा नरेंद्र विक्रमादित्य ने ही बतौर कार्डियोलाजिस्ट आपरेशन किया। जिनका आपरेशन किया आज वह इस दुनिया में नहीं है। आपरेशन के बाद ही उनकी तबियत बिगड़ी और मौत हो गई। तब परिजनों ने गलत इलाज का आरोप भी लगाया था।

0 वीवीआईपी के इलाज में तब अपोलो ने बरती थी लापरवाही

डा विक्रमादित्य वर्ष 2005-06 में बिलासपुर के अपोलो अस्पताल में कार्यरत था। इसी दौरान छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ल की 20 अगस्त 2006 को तबियत बिगड़ी। परिजनों ने अपोलो में भर्ती कराया। डा नरेंद्र विक्रमादित्य ने उनका आपरेशन किया। आपरेशन के कुछ ही देर बाद उनकी तबियत बिगड़ी और उनको वेंटिलेटर पर रखा गया। उसी दिन उनकी मौत हो गई। पूर्व स्पीकर के पुत्र प्रोफेसर प्रदीप शुक्ला ने बताया कि इसी दौरान डा नरेंद्र ने जिन आठ से 10 लोगों का आपरेशन किया था उन सभी की मौत हो गई थी। इसे लेकर अस्पताल प्रबंधन पर परिजनों ने दबाव बनाया था और हंगामा भी मचाया था।

0 जांच में कार्डियोलाजिस्ट की डिग्री मिली फर्जी

प्रोफेसर शुक्ला ने बताया जब जब अपोलो में कार्डियोलाजिस्ट डा नरेंद्र के मरीजों की मौत को लेकर विवाद गहराया तब आईएमए के तत्कालीन अध्यक्ष व कार्डियोलाजिस्ट डा वायएस दुबे ने इसकी जांच कराई। जांच में डा नरेंद्र के डाक्यूमेंट्स फर्जी पाए गए। उसके पास केवल एमबीबीएस की डिग्री थी। कार्डियोलाजिस्ट नहीं था।

0 दमोह के मिशन अस्पताल में छह के मौत का रिकार्ड आया सामने

मध्यप्रदेश के दमोह मिशन अस्पताल में बीते तीन महीने के दौरान हार्ट आपरेशन के बाद छह मरीजों की मौत का रिकार्ड सामने आया है। इनमें से पांच मरीजों के परिजनों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई है। आयोग ने मिशन अस्पताल प्रबंधन को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है। डा नरेंद्र की नियुक्ति संबंधी कोई भी दस्तावेज मिशन अस्पताल प्रबंधन द्वारा सीएमएचओ कार्यालय में नहीं दिया गया। सीएमएचओ को यह भी नहीं बताया गया कि डॉ. अखिलेश दुबे के बाद नरेंद्र की नियुक्ति कब और कैसे हुई। इसी आधार पर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द करने की चेतावनी दी गई है। 25 मार्च को दमोह कलेक्टर ने सागर मेडिकल कॉलेज को पत्र भेजा था।

0 डिग्रियां तो हैं, पर रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं

डा नरेंद्र देहरादून का रहने वाला है। उसके दस्तावेजों में नाम नरेंद्र जॉन केम लिखा है। उसके पास 2006 में एमबीबीएस की डिग्री है, जो आंध्र प्रदेश मेडिकल कॉलेज की है। रजिस्ट्रेशन नंबर 153427 दर्ज है। तीन एमडी और कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्रियां दी गई हैं, उनमें किसी का भी रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं है।

Next Story