DSP Transfer: DSP ट्रांसफर लिस्ट पर बवाल! महिला पुलिस अफसर का लेटर वायरल, गृह विभाग पर उठाया सवाल, DSP ग्रुप में कमेंट्स की लगी झड़ी
DSP Transfer: 14 अगस्त की शाम गृह विभाग ने 11 उप पुलिस अधीक्षकों का ट्रांसफर किया था। इसमें एक सब डिवीजन में दो-दो डीएसपी पोस्ट किया गया। पहली बार डीएसपी को थाना देकर ट्रांसफर किया गया। एक महिला डीएसपी को एक थाना का डीएसपी बना दिया गया। इस पर महिला डीएसपी ने राज्य पुलिस सेवा संघ के अध्यक्ष को पत्र लिखकर तीखा आक्रोश जताया है। उन्होंने गृह विभाग की स्थानांतरण सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिया है। महिला डीएसपी का लेटर पर पुलिस अधिकारियों के व्हाट्सएप गु्रप में बवाल छिड़ा हुआ है।

DSP Transfer
DSP Transfer: रायपुर। 14 अगस्त को 11 डीएसपी ट्रांसफर की लिस्ट जारी हुई, उसमें पहली बार थानेवार पोस्टिंग की गई है। आदेश में बकायदा थाने का नाम लिखा हुआ है। इससे पहले गृह विभाग से जितने आदेश निकलते थे, उसमें सब डिवीजन का नाम होता था। याने इस अफसर को फलां सब डिवीजन में पोस्ट किया जाता है। मगर इस बार एक ही सब डिवीजन में थानों का बंटवारा कर दो-दो अफसर पोस्ट हो गए हैं। इस बार एक थाना का डीएसपी भी बनाया गया है। महिला डीएसपी लितेश सिंह को गरियाबंद में एक थाने का डीएसपी बनाया गया है। लतिका 2016 बैच की राज्य पुलिस सेवा की अधिकारी हैं।
स्थानांतरण आदेश को लेकर डीएसपी लितेश सिंह का एक लेटर वायरल हो रहा है। राज्य पुलिस सेवा अधिकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखनंदन राठौर को पत्र लिखकर इस पर असंतोष जताया है। लितेश सिंह के पत्र पर डीएसपी के व्हाट्सएप ग्रुप में कमेंट्स की झड़ी लग लग गई है। पत्र की सत्यता जानने उनसे बात करने का प्रयास किया गया मगर संपर्क नहीं हो सका। मगर कई पुलिस अधिकारियों ने एनपीजी को व्हाट्सएप का स्क्रीन शॉट शेयर किया है। उसमें लितेश सिंह के लेटर पर राज्य पुलिस सेवा के कई सीनियर अधिकारियों ने भी डीएसपी के ट्रांसफर पॉलिसी पर निगेटिव कमेंट्स किया है।
पत्र में ये लिखा
राज्य पुलिस सेवा अधिकारी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुखनंदन राठौर को डीएसपी लितेश सिंह ने पत्र लिखा है। स्थानांतरण आदेश में राज्य पुलिस सेवा के पदों की गरिमा को कम करने और पुलिस की प्रशासनिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने के संबंध में आवश्यक कार्यवाही करने की मांग की है। लितेश सिंह लिखती हैं, इन दिनों ऐसे स्थानांतरण आदेश आ रहे है जिनमें-
एक ही पद पर दो अधिकारियों की नियुक्ति कर दी जा रही है।
जिस पद से स्थानांतरण हुआ है वह पद रिक्त ही पड़ा रहता है। जिन पर आज दिनांक तक भी कोई नियुक्ति नहीं हुई है।
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 3 वर्ष से अधिक प्रस्थापना के बावजूद पुनः नक्सल प्रभावित क्षेत्र में स्थानांतरण किया जा रहा है।
इन सब के बाद 14 अगस्त 25 को जारी उप पुलिस अधीक्षकों के स्थानांतरण आदेश में ऐसी विसंगतिया है जो इस पद की गरिमा और उपादेयता के प्रतिकूल है। इस आदेश में नई परंपरा की शुरुआत की गई है जिसके अनेक दूरगामी दुष्प्रभाव है जो संपूर्ण कैडर को प्रभावित कर रहा है। इस आदेश में दो भिन्न भिन्न अनुविभाग के थानों को सुमेलित करते हुए एक उप पुलिस अधीक्षक की पदस्थापना की गई है।
एक अनुविभागीय अधिकारी के पदस्थ रहते हुए उस अनुविभाग के मुख्य थाने को आवंटित कर एक नये उप पुलिस अधीक्षक की नियुक्ति कर दी गई है। यह व्यवस्था पुलिस विभाग के अनुविभाग संरचना में आवंटित थानों को प्रभावित करते हुए “विभाग-अनुविभाग” के मूल ढाँचे को विकृत करेगी। जिस से प्रशासनिक चुनौतियां सामने आयेंगी। इस से भविष्य में न्यायालय संबंधी प्रक्रिया में भी विसंगतियां देखी जाएंगी। यह व्यवस्था ऐसे अति आवश्यक प्रश्न खड़े करती है।
राज्य पुलिस सेवा का ’अधिकारी पद’ राजपत्रित अधिकारी का पद है और इसकी नियुक्ति राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा त्रि स्तरीय परीक्षा के बाद की जाती है। इस तरह योग्य अधिकारियों की योग्यता का संपूर्ण सेवा लाभ शासन को नहीं मिल रहा है। जबकि वर्तमान परिस्थिति में कई पदों से स्थानांतरण के बाद रिक्त हुए पद अभी भी रिक्त ही है। कई जिलों में उप पुलिस अधीक्षक अजाक, उप पुलिस अधीक्षक के पद रिक्त पड़े हैं या सृजित ही नहीं है। उप पुलिस अधीक्षक-यातायात एवं उप पुलिस अधीक्षक - साइबर सेल के पद अधिकांश ज़िलों में सृजित ही नहीं है।
