Begin typing your search above and press return to search.

DNA ने खोला राज: छत्तीसगढ़ के इस अस्पताल में वाकई हो गया बच्चाें का अदला-बदली

छत्तीसगढ़ के एक सरकारी अस्पताल में वाकई बच्चा अदला-बदली हो गया था। शबाना को अस्पताल प्रबंधन ने साधना का बच्चा दे दिया था। मुश्किल ये कि एक परिवार बच्चा देने के पक्ष में नहीं था। प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद डीएनए टेस्ट कराया गया। डीएनए ने यह राज खोल दिया है। डीएनए टेस्ट में इस बात की पुष्टि हो गई है कि अस्पताल प्रबंधन की गंभीर चूक और लापरवाही के चलते वाकई बच्चा बदल गया था। बच्चों को अब अपनी-अपनी मां का गोद मिल गया है।

DNA ने खोला राज: छत्तीसगढ़ के इस अस्पताल में वाकई हो गया बच्चाें का अदला-बदली
X
By Radhakishan Sharma

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला अस्पताल प्रबंधन ने गजब की लापरवाही बरती। डिलीवर के बाद दो मां को उनके बच्चे नहीं मिले। अस्पताल स्टाफ की लापरवाही के चलते बच्चा बदल गया। इसे लेकर विवाद की स्थिति बन गई थी। अदला-बदली का मामला सामने आने के बाद बच्चों और माता-पिता का डीएनए टेस्ट कराया गया था। शनिवार को डीएनए टेस्ट का रिपोर्ट आया। रिपोर्ट आने के बाद अस्पताल प्रबंधन व पुलिस के अफसरों की मौजूदगी में बच्चों को उनकी मां को सुपुर्द कर दिया है।

23 जनवरी को जिला चिकित्सालय दुर्ग में केलाबाड़ी निवासी शबाना और कातुल बोर्ड दुर्ग निवासी साधना की डिलीवरी हुई थी। दोनों को ऑपरेशन से लड़का हुआ था। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही से बच्चों की अदला-बदली हो गई। शबाना ने एक फरवरी को इसकी शिकायत अस्पताल प्रबंधन से की थी। इसके बाद प्रशासन ने दोनों नवजात सहित माता-पिता को मिलाकर छह लोगों का डीएनए टेस्ट कराया था।

जिला अस्पताल की लापरवाही के कारण दो परिवारों की जिंदगी में उथल-पुथल मच गया था। जिला अस्पताल में एक ही दिन कुछ समय के अंतराल में जन्मे दो बच्चे अस्पताल कर्मचारियों की लापरवाही से बदल गए। इसका खुलासा एक हफ्ते बाद हुआ। मामले की जांच के लिए कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी ने जांच टीम बनाने के साथ ही दोनों बच्चे के डीएनए टेस्ट कराने का निर्देश दिया थ।

0 यह था मामला

23 जनवरी को दुर्ग निवासी शबाना कुरैशी पति अल्ताफ कुरैशी और कातुल बोर्ड दुर्ग निवासी साधना सिंह पति शैलेंद्र सिंह की डिलीवरी हुई। दोनों को बेटा पैदा हुआ। एक बच्चे का जन्म दोपहर 1.25 बजे और दूसरे बच्चे का जन्म 9 मिनट बाद 1.34 बजे हुआ। पहचान के लिए दोनों बच्चों के हाथ में उनकी मां के नाम का टैग पहनाया गया। इसी प्रक्रिया के तहत दोनों नवजातों की जन्म के बाद उनकी माताओं के साथ फोटो भी ली गई। इसके बाद नर्स ने बच्चों को उनकी माताओं को सौंप दिया। बच्चों को माताओं को सौंपते समय चूक हो गई। साधना के बच्चे को शबाना को और शबाना के बच्चे को साधना को सौंप दिया गया। फिर दोनों का डिस्चार्ज हो गया। इस तरह हिंदू का बच्चा मुस्लिम के घर और मुस्लिम का बच्चा हिंदू के घर जा पहुंचा।

0 टांका खुलवाने अस्पताल गई तब हुआ खुलासा

एक हफ्ते बाद जब शबाना टांका खुलवाने अस्पताल गई तब अचानक बच्चे के हाथ में लगे टैग पर नजर पड़ी। जिसमें साधना लिखा हुआ था। तब पता चला कि हमारे पास जो बच्चा है वह साधना का बच्चा है। उसके बाद अस्पताल में दिखाया तो ड्यूटी के दौरान उपस्थित डॉक्टर ने उस दिन की फोटो को चेक किया। तब साफ हुआ कि बच्चे बादल गए हैं। बच्चे में तिल का निशान था। तिल के निशान को देखकर भी कन्फर्म हो गया कि बच्चा उनका नहीं साधना का है।

Next Story