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Bilaspur High Court News: डीजे पर हाई कोर्ट की सख्ती: डीजे पर डांस करते 15 साल के किशोर की मौत पर शासन से जवाब मांगा

Bilaspur High Court News: बिलासपुर हाईकोर्ट ने डीजे और साउंड सिस्टम के शोरगुल पर दोबारा सख्ती दिखाई है। बलरामपुर जिले में गणेश विसर्जन के दौरान 15 वर्षीय किशोर प्रवीण गुप्ता की मौत पर चिंता जताते हुए चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने पूछा कि पाबंदी के बावजूद डीजे इतनी तेज आवाज में क्यों बज रहा था और आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी है।

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By Radhakishan Sharma

Bilaspur High Court News: बिलासपुर हाईकोर्ट ने डीजे और साउंड सिस्टम के शोरगुल पर दोबारा सख्ती दिखाई है। बलरामपुर जिले में गणेश विसर्जन के दौरान 15 वर्षीय किशोर प्रवीण गुप्ता की मौत पर चिंता जताते हुए चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने पूछा कि पाबंदी के बावजूद डीजे इतनी तेज आवाज में क्यों बज रहा था और आखिर इसकी जिम्मेदारी किसकी है।

बलरामपुर हादसे पर अदालत की नाराजगी

गणेश प्रतिमा विसर्जन के समय कानफोड़ू डीजे पर नाचते हुए अचानक सांस रुकने से प्रवीण गुप्ता की मौत हो गई थी। हाईकोर्ट ने इस घटना पर गंभीर रुख अपनाते हुए कहा कि यदि डीजे पर रोक थी तो वहां किसकी अनुमति से डीजे बज रहा था। सुनवाई में खुलासा हुआ कि बलरामपुर में डीजे पर रोक ही नहीं लगी थी। इस पर अदालत ने कड़ी आपत्ति दर्ज की।

पुलिस कार्रवाई और कानून की कमजोरी पर सवाल

हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 बेहद हल्का है। महज 500 से 1000 रुपये का जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाता है। न तो साउंड सिस्टम जब्त होते हैं और न कोई ठोस कार्रवाई। कोर्ट ने कहा कि इस तरह की ढीली व्यवस्था से लोगों की जान की सुरक्षा संभव नहीं है।

सरकार ने स्वीकारीं खामियां

राज्य सरकार ने माना कि मौजूदा कानून में गंभीर कमियां हैं। कोर्ट के आदेश पर 27 जनवरी 2025 को एक समिति गठित की गई थी। समिति ने 13 अगस्त को अपनी रिपोर्ट सौंपी और कठोर प्रावधान जोड़ने की सिफारिश की। इसके बाद पर्यावरण संरक्षण मंडल ने भी सहमति दी और प्रस्ताव अब शासन के पास लंबित है।

स्वास्थ्य पर गंभीर असर

रायपुर के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. राकेश गुप्ता ने अदालत में हस्तक्षेप याचिका देकर बताया कि 50 डेसिबल से ऊपर की ध्वनि सीधे स्वास्थ्य पर असर डालती है। एम्स और एनआईटी रायपुर की रिपोर्ट में सामने आया कि त्योहारों के दौरान डीजे का शोर 95 से 110 डेसिबल तक दर्ज हुआ, जो निर्धारित सीमा से दोगुना है। लगातार तेज आवाज सुनने की क्षमता को नुकसान पहुँचाती है और मानसिक तनाव भी बढ़ाती है।

2000 के नियम ज्यादा कठोर

विधि विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक ध्वनि प्रदूषण (नियंत्रण एवं विनियमन) नियम, 2000 कहीं अधिक सख्त हैं। ये केंद्रीय कानून होने के कारण राज्य अधिनियम से ज्यादा प्रभावी हैं। इनमें ध्वनि सीमा तय करना और लाउडस्पीकर चलाने के लिए अनुमति लेना अनिवार्य है।

मुख्य सचिव से मांगा शपथ पत्र

हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को व्यक्तिगत शपथ पत्र प्रस्तुत करने का आदेश दिया है, जिसमें प्रस्तावित संशोधनों की वर्तमान स्थिति स्पष्ट करनी होगी। अदालत ने कहा कि जब समिति और कानून विभाग दोनों ही बदलाव की जरूरत मान रहे हैं, तो नए प्रावधान लागू करने में और देरी नहीं होनी चाहिए।

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