धान खरीदी एवं कस्टम मिलिंग हेतु मंत्रि-मंडलीय उप समिति की बैठक 30 सितम्बर को...मंत्री दयाल बघेल की अध्यक्षता में होगी बैठक
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रायपुर। खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री दयाल बघेल की अध्यक्षता में 30 सितम्बर को आगामी खरीफ विपणन वर्ष की धान खरीदी एवं कस्टम मिलिंग की नीति की समीक्षा कर सुझाव देने हेतु गठित मंत्रि-मंडलीय उप समिति की बैठक आगमी 30 सितम्बर को आयोजित की जा रही है। बैठक दोपहर 12 बजे से मंत्रालय महानदी भवन स्थित कक्ष क्रमांक एस-2-12 में होगी।
मंत्री-मंडलीय उप समिति की बैठक में कृषि विकास एवं कृषक कल्याण मंत्री रामविचार नेताम, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा सहकारिता मंत्री केदार कश्यप, वित्त एवं वाणिज्यिकर मंत्री ओ.पी. चौधरी, बी सूत्रीय कार्यान्वयन मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री टंक राम वर्मा सदस्य के रूप शामिल होंगे।
भोरमदेव मंदिर का हो रहा केमिकल ट्रीटमेंट एवं सुदृढ़ीकरण
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मंशानुरूप छत्तीसगढ़ के प्रमुख धार्मिक, पुरातात्विक, पर्यटन स्थल को सहेजने और संवारने का विशेष प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले में स्थापित 11वीं शताब्दी के भोरमदेव मंदिर का केमिकल ट्रीटमेंट वाटर रूफिंग कार्य किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भोरमदेव मंदिर के सुदृढ़ीकरण के लिए 65.51 लाख रुपए स्वीकृति दी गई है। पुरात्तव एवं संस्कृति विभाग के विशेषज्ञों एवं कुशल कामगारों द्वारा मंदिर का सुदृढ़ीकरण एवं अन्य तकनीकी कार्य प्रारंभ किया गया है।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा बीते दिनों अपने निवास कार्यालय में संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग तथा कबीरधाम जिले के गणमान्य नागरिकों एवं पुजारी के साथ भोरमदेव मंदिर के जीर्णाेद्धार, श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं को बढ़ाने और मंदिर परिसर के विकास के विभिन्न प्रस्तावों पर चर्चा की गई। उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने बरसात के दिनों में भोरमदेव मंदिर में पानी रिसाव की समस्या को दूर करने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए थे।
भोरमदेव महोत्सव से पहले वर्तमान में चल रहे निर्माण कार्य और ट्रीटमेंट को पूरा करने के निर्देश दिए है। उन्होंने श्रद्धालुओं के लिए शेड का निर्माण, चौकीदार क्वाटर को मंदिर के पास से अन्यत्र शिफ्ट करने तथा मंदिर के पीछे वीआईपी गेस्ट रूम बनाने, दीवार को हटाकर ग्रील और गेट लगाने के साथ ही जीर्णाेद्धार के दौरान भैरव मंदिर, चामुंडा माता मंदिर और हनुमान मंदिर आदि के प्राचीन स्वरूप को यथावत रखने के निर्देश दिए थे।