DA News: जानिये 2 परसेंट डीए बढ़ने पर CG के साढ़े चार लाख कर्मचारियों और पेंशनरों पर कितना बढ़ता है व्यय, क्या है डीए का इतिहास, कब शुरू हुआ?
DA News: छत्तीसगढ़ के सरकारी कर्मचारी की मांग पर सहमति जताते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दो प्रतिशत महंगाई भत्ता बढ़ाने की घोषणा कर दी है। दो प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ ही केंद्र सरकार के समान ही राज्य के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता मिलने लगेगा। कहने को मात्र दो फीसदी कह रहे हैं, राज्य के खजाने पर कितना वित्तीय भार बढ़ेगा। कितने करोड़ अतिरिक्त राशि की जरुरत पड़ेगी यह जानना भी जरुरी है। आइए पढ़ते हैं कि डीए का इतिहास क्या है, क्या है डीए और सरकारी खजाने पर दो प्रतिशत की बढ़ोतरी होने से कितने करोड़ का अतिरिक्त भार पडने वाला है।

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रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने छत्तीसगढ़ के कर्मचारियों की मांगों को मानते हुए दो प्रतिशत महंगाई भत्ता डीए बढ़ाने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही अब केंद्र व राज्य सरकार के कर्मचारियों को मिलने वाला भत्ता समान हो गया है। डीए को लेकर सवाल उठता है कि किस आधार पर बढ़ाया जाता है। डीए बढ़ाने के लिए कर्मचारियों को हर बार राज्य सरकार पर इतना दबाव क्यों बढ़ाना पड़ता है और इससे सरकारी खजाने पर कितना अतिरिक्त भार पड़ता है। इन सवालों का सिलसिलेवार जवाब जानते हैं।
छत्तीसगढ़ में डीए के दायरे में साढ़े 4 लाख के करीब अधिकारी व कर्मचारी आते हैं। इसमें तीन लाख 92 हजार के करीब मौजूदा कर्मचारी और एक लाख 40 हजार पेंशनर हैं। जैसा कि राज्य सरकार ने दो प्रतिशत डीए बढ़ाने की घोषणा की है। इस लिहाज से राज्य सरकार पर हर महीने 34 करोड़ का अतिरिक्त भार बढ़ेगा। सालाना देखें तो सरकारी खजाने पर 408 करोड़ का बोझ बढ़ेगा।
ये है DA का इतिहास, भारत में इस दिन से हुआ प्रारंभ
राज्य व केंद्र में सरकार किसी दल की हो। केंद्रीय व राज्य कर्मचारियों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा डीए रहता है। डीए कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ता है। डीए नौकरीपेशा लोगों के लिए किसी पारितोषिक से कम नहीं है। इस पारितोषिक को अधिकारी कर्मचारी अपना अधिकार मानते हैं। बढ़ती महंगाई से कर्मचारियों को राहत दिलाने व इसी अनुरुप अपना जीवन स्तर बनाए रखने के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अपने कर्मचारियों को डीए दिया जाता है। डीए का निर्धारण मौजूदा समय में महंगाई के आंकड़ों से तुलना कर दिया जाता है। या यूं कहें कि महंगाई के मौजूदा दौर का आंकलन कर डीए तय किया जाता है।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुआ शुरू,तब से भोजन भत्ता कहा जाता था
महंगाई भत्ते का कॉन्सेप्ट द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शुरू किया गया था। तब इसे भोजन भत्ता के नाम से जाना जाता था। शुरुआत में डीए कर्मचारियों की वेतन संशोधन की मांगों के जवाब में दिया गया था। बाद में इसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़कर दिया जाने लगा। भारत में साल 1972 में सबसे पहले महंगाई भत्ते की शुरुआत हुई। चौथे वेतन आयोग ने वर्ष में दो बार डीए भुगतान की सिफारिश की। सिफारिश के अनुसार 1 जनवरी और 1 जुलाई को डीए का भुगतान होना तय किया गया। महंगाई भत्ते को कर्मचारियों के लिए मुआवजे के एक रूप के आधार में मुद्रास्फीति के प्रभाव को संबोधित करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें कोई भत्ते का अनुपात तय नहीं किया गया है। बल्कि यह ग्राहक मूल्य सूचकांक के अर बदलता रहता है।
क्या है महंगाई भत्ता DA
डीए नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को मूल वेतन में एक अतिरिक्त भुगतान है। यह जीवनयापन की लागत का समायोजन है जो कर्मचारियों की सुविधा के लिए मुद्रास्फीति द्वारा निर्धारित किया जाता है। यह एक कर योग्य भत्ता है जो सकल वेतन के साथ आता है। यह केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों, राज्य सरकार के कर्मचारियों व सरकारी उपक्रमों के कर्मचारियों को ही मिलता है। इसके अलावा पेंशनधारियों को भी पेंशन के साथ डीए प्राप्त होता है। निजी क्षेत्रों के कर्मचारियों को डीए का भुगतान नहीं किया जाता।
कर्मचारियों के बीच एरियर्स का भुगतान सबसे बड़ा मुद्दा
राज्य सरकार द्वारा दो प्रतिशत महंगाई भत्ता डीए की घोषणा के बाद भी कर्मचारियों के बीच सबसे बड़ा मुद्दा एरियर्स का भुगतान है। कर्मचारियों का कहना है कि महंगाई भत्ता की घोषणा सरकार तो कर रही है, पर एरियर्स राशि का भुगतान अब तक नहीं किया गा है। वर्ष 2019 से एरियर्स का भुगतान लंबित है। कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार के खजाने में धनराशि नहीं है तो हमारे पीएफ अकाउंट में एरियर्स की राशि जमा करा दे,जिसे रिटायरमेंट के बाद हम निकाल सके। सरकार ना तो एरियर्स का भुगतान कर रही है और ना ही पीएफ अकाउंट में जमा करा रही है।
