CG-‘द लिल लोकल’ एक्जीबिशन में बेल मेटल, बांस आर्ट, माटीकला उत्पाद और पेंट आर्ट को देखने उमड़ी भीड़...
The Little Local: एक्जीबिशन में बेल मेटल, बांस आर्ट, माटीकला के उत्पाद और पेंट आर्ट स्टाल में भारी भीड़ उमड़ी। लोगों ने इन कालाओं को परखा और पारंपरिक कलाओं के उत्पाद की जमकर खरीददारी भी की।
The Little Local रायपुर। राजधानी रायपुर के लभांडी स्थित रिबाउंस में आयोजित दो दिवसीय द लिल लोकल एक्जीबिशन में धमतरी जिले के पारंपरिक और संस्कृति पर आधारित स्टाल को काफी प्रतिसाद मिला, धमतरी जिले के कलेक्टर नम्रता गांधी के मार्ग दर्शन में धमतरी के शिल्पकार शामिल हुए। एक्जीबिशन में बेल मेटल, बांस आर्ट, माटीकला के उत्पाद और पेंट आर्ट स्टाल में भारी भीड़ उमड़ी। लोगों ने इन कालाओं को परखा और पारंपरिक कलाओं के उत्पाद की जमकर खरीददारी भी की। गौरतलब है कि इस एक्जीबिशन में स्व-सहायता समूहों, स्थानीय शिल्प कलाकारों सहित धमतरी जिले के शिल्पकारों ने भी एक्जीबिशन में हिस्सा लिया। धमतरी जिले के स्व-सहायता समूहों व शिल्पकारों द्वारा पारंपरिक हस्तकला, शिल्प कला एवं ग्रामीण संस्कृति पर आधारित प्रदर्शनी लगाई गई थी।
उल्लेखनीय है कि बच्चों में रचनात्मकता और सिखने की ललक को बढ़ावा देने के लिए द लिल लोकल एक्जीबिशन का आयोजन किया गया है। यहां एक ही बैनर के नीचे बच्चे अपने अभिभावकों के साथ एक स्वस्थ माहौल में पारंपरिक कला के अलग-अलग प्रकारों को समझ पा रहे हैं।
द लिल लोकल में धमतरी जिले के 6 प्रतिभागियों ने भाग लिया। जिसमें कुरूद विकासखंड के ग्राम कुरूद से टेकराम साहू ने बेल मेटल और पेंट आर्ट, ग्राम नारी से पुरुषोत्तम साहू एवं श्रीमती द्रौपदी साहू ने हैण्डलूम फेबरिक, युगल किशोर कुम्भकार ने इलेक्ट्रानिक चाक मोल्ड, माटीकला उत्पाद और ग्राम भैसामुड़ा से धनमत बाई मरकाम एवं सुखन ठाकुर ने पत्तियों से निर्मित बैग का विक्रय सह प्रदर्शनी में भाग लिया।
एक्जीबिशन में धमतरी के स्टाल पर लोगों की विशेष रुचि दिखी, लोगों ने बेल मेटल, बांस आर्ट, इलेक्ट्रानिक चाक मोल्ड, माटीकला उत्पाद और पेंट आर्ट को देखा और उसके बारे में स्टाल में जानकारी ली। धमतरी जिले के स्टाल्स में लगाए गए तरह-तरह के आर्ट एवं पारंपरिक सजावटी कलाकृतियों ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया।
उल्लेखनीय है धमतरी कलेक्टर नम्रता गांधी जिले के कलाकारों, शिल्पकारों को बढ़ावा देने के लिए लगातार उन्हें प्रोत्साहित कर रहीं हैं, विशेषकर जनजातीय समूहों को मंच दिलाने एवं उनकी कला को मुख्यधारा में पहचान दिलाने के लिए जिला प्रशासन इस तरह के मंचों तक उन्हें पहुंचा रहा है।