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Corona Kavach Policy: उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला: कोरोना कवच पालिसी धारकों क़े लिए बीमा कंपनी को दिया ये आदेश

Corona Kavach Policy: उपभोक्ता आयोग ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि कोरोना संक्रमण काल के दौरान जिन लोगों ने हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम के तहत कोरोना कवच पालिसी लिया था, संबंधित बीमा कंपनी को पालिसीधारक के स्वास्थ्य में हुए खर्च का भुगतान करना होगा।

Corona Kavach Policy: उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला: कोरोना कवच पालिसी धारकों क़े लिए बीमा कंपनी को दिया ये आदेश
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By Neha Yadav

Corona Kavach Policy: बिलासपुर। बिलासपुर उपभोक्ता आयोग ने हेल्थ इंश्योरेंस के तहत कोरोना कवच पालिसी धारकों के कोरोना संक्रमित होने और अस्पताल में इलाज के दौरान हुए खर्च का भुगतान करने का निर्देश बीमा कंपनी को दिया है। बीमा कंपनी के अफसरों की इस बात पर आयोग ने नाराजगी जताई कि पालिसी धारकों ने संक्रमित होने के बाद स्थिति खराब ना होने के बावजूद होम क्वारनटाइन होने के बजाय अस्पताल में भर्ती हुए और इलाज कराया है। आयोग ने कहा कि किस मरीज को अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना है या नहीं, यह जिम्मेदारी विशेषज्ञ चिकित्सकों की हाेती है। चिकित्सकों की सलाह के आधार पर लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं और इलाज कराते हैं।

उपभोक्ता आयोग ने अपने फैसले में बीमा कंपनी के अड़ियल रवैये को लेकर कड़ी टिप्पणी की है। आयोग ने कहा कि हेल्थ्य इंश्योरेंस के तहत जब कोई बीमा कराता है और प्रीमियम की भरकम राशि पटाता है तब उनका उद्देश्य यही होता है कि आपात स्थिति में इंश्योरेंस रक्षा कवच बनकर समाने आए और इलाज की पूरी सुविधा बिना किसी परेशानी के मिले। बीमा कंपनी के अफसरों से कहा कि इलाज में हुए खर्च का वहन करने का ही तो बीमा कंपनी दावा करती है। प्रीमियम की राशि भी इसी भरोसे के साथ पालिसी होल्डर जमा करता है। कंपनी जब अपने पालिसी होल्डर को यह भरोसा दिलाती है तो उसके भरोसे पर खरा उतरने का काम कंपनी और काम करने वाले अफसरों की है। इसमें कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। नाराज आयोग ने कड़ी टिप्पणी के साथ बीमा कंपनी के अफसरों को कोरोना संक्रमित पालिसी होल्डर्स के इलाज में हुए खर्च का भुगतान करने का निर्देश दिया है। आयोग ने बीमा कंपनी को 45 दिन की माेहलत दी है।

बीमा कंपनी के अफसरों ने कुछ इस तरह दिया जवाब

उपभोक्ता आयोग के समक्ष बीमा कंपनी के अफसरों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से जवाब पेश करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमणकाल के दौरान आवेदनकर्ताओं ने पालिसी ली थी। कोरोना संक्रमित भी हुए। इनकी स्थिति इतनी खराब नहीं थी कि अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराना पड़े। होम क्वारंटाइन रहकर भी गाइड लाइन का पालन करते हुए स्वास्थ्य लाभ ले सकते थे। कंपनी ने कहा कि पालिसी होल्डर्स ने जानबुझकर अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराया ताकि क्लेम में रूप में एक बड़ी रकम वसूल कर सके। बीमा कंपनी के जवाब को सुनकर आयोग की नाराजगी सामने आई।

आयोग ने गाइड लाइन का दिया हवाला

नाराज आयोग ने स्टार हेल्थ एंड एलाइड इंश्योरेंस कंपनी के अफसरों से कहा कि भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ने ऐसा कोई गाइड लाइन जारी नहीं किया था कि कोविड का हल्का लक्षण दिखने पर अस्पताल के बजाय होम क्वारंटाइन रहकर इलाज कराएं। संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती कराना है या फिर घर में ही रहकर इलाज कराना है,विशेषज्ञ चिकित्सक सलाह दिया करते थे।

बीमा कंपनी पर ठोंका जुर्माना, मुकदमे का भी देना होगा खर्च

नाराज उपभोक्ता आयोग ने बीमा कपंनी पर तीनों आवेदनकर्ताओं को मानसिक कष्ट पहुंचाने के आरोप में 15-15 हजार बतौर क्षतिपूर्ति और मुदकमा का पांच-पांच हजार रुपये खर्च का अलग से भुगतान करने का निर्देश दिया है।

इन्होंने दायर किया था मुकदमा

संजय छापरिया अग्रवाल कोरोना संक्रमित होने के बाद रायपुर के नारायणा अस्पताल में इलाज कराया। इलाज में दो लाख 26 हजार रुपये खर्च हुआ था। उमा छापरिया का इलाज नारायणा अस्पताल में हुआ। इलाज में 1,57,714 रुपये का खर्च हुआ। विकास मिश्रा ने कोविड-19 उपचार के लिए 1,84,913 रुपये का दावा किया था, जिसे बीमा कंपनी ने खारिज कर दिया था। बीमा कंपनी को तीनों पालिसी होल्डर्स को 45 दिनों के भीतर इलाज में हुए खर्च हुई राशि का भुगतान का निर्देश दिया है।

Neha Yadav

नेहा यादव रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे यूनिवर्सिटी से बीएससी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ग्रेजुएट करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। पिछले 6 सालों से विभिन्न मीडिया संस्थानों में रिपोर्टिंग करने के बाद NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहीं है।

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