कलेक्टर्स, एसपी से सरकार नाराज, रिमाइंडर के बाद अगर सुधार नहीं तो फिर सीएम सचिवालय दिखाएगा सख्ती
छत्तीसगढ़ सरकार आफिसों की टाईमिंग को लेकर काफी सख्त हो गई है। नया रायपुर में मंत्रालय और विभागाध्यक्ष कार्यालयों में 80 से 90 परसेंट चीजें सुधर गई है। अधिकारी, कर्मचारी टाईम पर आफिस आ रहे हैं। मगर जिलों की बदहाली अभी दूर नहीं हुई है। खुद कलेक्टर, एसपी 10 बजे नहीं पहुंच रहे। कलेकटर-एसपी साथ में जिलों का दौरा भी नहीं कर रहे। सीएम सचिवालय इसको लेकर बेहद नाराज है। जिम्मेदार सूत्रों का कहना है कि आचार संहिता समाप्ति के बाद अब कल से जिलों की वर्किंग सिस्टम की मॉनिटरिंग की जाएगी।

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक जनवरी को मंत्रालय में अफसरों की टाईमिंग और काम करने के तरीके पर तल्खी दिखाई थी, उसके बाद नया रायपुर की स्थिति में काफी सुधार आया है। ज्ञातव्य है, बैठक में मुख्यमंत्री ने यहां तक कह दिया था कि पांच दिन का हफ्ता हो गया है, उसमें भी आपलोग ढंग से काम नहीं करोगे तो फिर क्या मतलब।
मुख्यमंत्री के इतना बोलते ही सीएम सचिवालय हरकत में आया और महीने भर में ये स्थिति है कि दोपहर 12 बजे से पहले मंत्रालय नहीं पहुंचने वाले अफसर भी आजकल दस बजे हाजिर हो जाते हैं। कई अधिकारी टाईमिंग को लेकर इतने संजीदा हो गए हैं कि निर्धारित टाईम से पांच-दस मिनट पहले अपने चेम्बर में बैठ जा रहे।
दरअसल, पंक्चुएलिटी इसलिए आई कि मुख्यमंत्री सचिवालय ने अफसरों की टाईमिंग को रजिस्टर में लिखवाना प्रारंभ कर दिया। सिक्यूरिटी स्टॉफ को जीएडी से इंस्ट्रक्शन है कि चाहे जितने भी बड़े लेवल के अफसर हैं, उनकी टाईमिंग रजिस्टर में दर्ज होनी चाहिए। यही वजह है कि चीफ सिकरेट्री से लेकर सीएम सचिवालय तक के अफसरों आफिस पहुंचने का समय रजिस्टर में लिखा जा रहा है। हाजिरी की कॉपी दोपहर में सीएम सचिवालय में भेज दी जाती है।
इसका बड़ा फर्क पड़ा। 80 से 90 परसेंट अधिकारी, कर्मचारी टाईम पर आफिस आने लगे हैं। चूकि मंत्रालय के अफसर टाईम पर पहुंच जाते हैं, सो इंद्रावती भवन से लेकर नया रायपुर के दीगर आफिसों की टाईमिंग भी सुधर गई है। अफसरों या कर्मचारियों को लगता है कि कहीं मंत्रालय से बुलावा आ गया तो क्या होगा।
दिल्ली में भी ऐसा ही होता है। वहां सिकरेट्री नौ बजे आफिस पहुंच जाते हैं। और वे खुद इंटरकाम पर अफसरों को फोन लगा देते है। इसलिए नीचे के ेअफसर उनसे पहले पहुंच जाते हैं कि कहीं साहब ने फोन लगाया और वे पिक नहीं किए तो फिर खैर नहीं।
खैर राज्य बनने के 24 साल में सरकार ने इच्छाशक्ति दिखाई और नया रायपुर का सिस्टम ट्रेक पर आ गया। मगर जिलों में अभी भी वही ढर्रा बना हुआ है। जबकि, जीएडी सिकरेट्री ने खुद कलेक्टरों को मैसेज किया था कि टाईमिंग सुधारो। कई कलेक्टरों से जीएडी के अफसरों ने बात भी की थी।
रायपुर पहला जिला
छत्तीसगढ में सिर्फ रायपुर कलेक्ट्रेट में टाईमिंग ठीक हुई है। कलेक्ट्रेट में बायोमेट्रिक मशीने लगाई गई है। कह सकते हैं, बायोमेट्रिक लगाने वाला रायपुर प्रदेश का पहला जिला बन गया है। मगर बाकी जिला स्तरीय आफिसों, ब्लॉक, तहसीलों, स्कूलों में अभी पुराना सिस्टम ही चल रहा है।
सरकार नाराज
बार-बार बोलने के बाद भी टाईमिंग पर ध्यान न देने पर कलेक्टरों से सरकार काफी नाराज है। पता चला है कि कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों को सीएम सचिवालय से वार्निंग दी गई है कि सरकार के निर्देशों पर गंभीरता पूर्वक ध्यान दें।
सीएम सचिवालय ने कलेक्टर और पुलिस अधीक्षकों से कहा है कि आफिस टाईमिंग को लेकर खुद पंक्चुअल रहे और ताकीद यह भी करें कि आपका सब आर्डिनेट भी समय पर आफिस आकर काम प्रारंभ कर दें। पब्लिक के साथ मिलने का दिन तय करें तथा रेवेन्यू कोर्ट पर भी ध्यान दें। गुड गवर्नेंस के लिए यह जरूरी है कि महत्वपूर्ण केसों को टाले मत। सप्लायारों और ठेकेदारों का भुगतान भी समय पर किया जाए। इससे करप्शन से बचा जा सकेगा। कलेक्टर, एसपी साथ में जिलों का दौरा करें।
बता दें, सिकरेट्री टू सीएम ने पिछले महीने सभी कलेक्टरों और पुलिस अधीक्षकों से आफिसों का वर्किंग कल्चर सुधारने के साथ ही दोनों को साथ में दौरा करने कहा था। कलेक्टर, एसपी से यह भी कहा गया था कि दोनों अफसर हफ्ते में जनता से मिलने के लिए दो दिन तय करें और उस दिन वे दफ्तर में उपलब्ध रहे। मगर किसी भी कलेक्टर ने जिलों में अपनी उपलब्धता का दिन घोषित नहीं किया। न कलेक्टर टाईम पर आ रहे और न उनके मुलाजिम। जिलों के अन्य आफिसों, ब्लाक, तहसीलों की स्थिति यह है कि अब भी दोपहर 12 बजे के बाद ही कामधाम प्रारंभ हो पा रहा है।