Chhattisgarh News: कलेक्टर, कमिश्नर को अपना अधिकार नहीं मालूम, जिसे DPI को सस्पेंड करना चाहिए, उसे कमिश्नर कर रहे, कोर्ट से मिल जाएगा स्टे
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में कलेक्टर, कमिश्नरों को लगता है ये भी नहीं मालूम कि किसके खिलाफ वे कार्रवाई कर सकते हैं और किसे नहीं। शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण में हुई गड़बड़ियों पर कलेक्टर के प्रतिवेदन का हवाला देकर चार संभागों के कमिश्नरों ने स्कूल शिक्षा विभाग के चार अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। डीपीआई के एक सीनियर अफसर ने एनपीजी न्यूज को बताया कि कमिश्नरों को कोई पावर नहीं है...नियम विरुद्ध बीईओ को सस्पेंड किया जा रहा है। उधर, सरगुजा कमिश्नर ने अधिक फीस वसूली के मामले में बगीचा के एक प्राचार्य को कल सस्पेंड कर दिया। जबकि, लेक्चरर को कमिश्नर निलंबित नहीं कर सकते। उधर, मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि कमिश्नर संभाग में क्लास टू तक के अधिकारियों को निलंबित कर सकता है।

Chhattisgarh News: रायपुर। शिक्षकों के युक्तियुक्करण में व्यापक गड़बड़ियों के मामले में हफ्ते भर के भीतर चार ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सस्पेंड किए जा चुके हैं। और इन सभी के खिलाफ संभाग के आयुक्तों ने कार्रवाई की है। इनमें दुर्ग, मनेंद्रगढ़, जगदलपुर और जांजगीर शामिल है। ये चारों जिले दुर्ग, सरगुजा, बस्तर और बिलासपुर में आते हैं। चारों कमिश्नरों ने निलंबन आदेश में कलेक्टर के प्रतिवेदन का हवाला देते हुए कार्रवाई की है। इनमें एमसीबी जिले के मनेंद्रगढ़ बीईओ सुरेन्द्र जायसवाल, बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के रामानुजनगर बीईओ पंडित भारद्वाज तथा दुर्ग बीईओ गोविंद साव शामिल हैं।
बीईओ का निलंबन डीपीआई द्वारा
ब्लॉक शिक्षा अधिकारी का पद व्याख्याता स्तर का होता है। व्याख्याता का नियोक्ता डीपीआई होते हैं। लिहाजा, उनके खिलाफ कार्रवाई भी डीपीआई स्तर पर होना चाहिए। मगर कलेक्टरों ने बीईओ के खिलाफ अनुशंसा की और कमिश्नरों ने आंख मूंदकर उन्हें सस्पेंड कर दिया।
जबकि, होना ये था
छत्तीसगढ़ के कमिश्नरों को अधिकार नहीं मालूम को कलेक्टरों का हाल भी अलग नहीं है। सरकार ने भरोसा करते हुए इतना बड़ा दायित्व दिया है तो उन्हें अपने राइट तो पता होना चाहिए। कायदे से कलेक्टरों को अगर व्याख्याता है तो डीपीआई को और प्राचार्य है तो फिर स्कूल शिक्षा विभाग को कार्रवाई की अनुशंसा करनी चाहिए। कमिश्नर को अनुशंसा करने का कोई तुक नहीं है।
हाई कोर्ट से एक पेशी में स्टे
कलेक्टर, कमिश्नरों की इस नादानी से स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों को हाई कोर्ट में एक पेशी में स्टे मिल सकता है। आपको याद होगा कि अभनपुर के चर्चित भारमाला मुआवजा कांड में पटवारियों का निलंबन नियमानुसार न होने की वजह से हाई कोर्ट से एक पेशी में उन्हें स्टे मिल गया था। पटवारियो ंको सस्पेंड करने का अधिकार कलेक्टर को है मगर राजस्व विभाग के सचिव ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। जाहिर है, कमिश्नर द्वारा डीपीआई को ओवरलुक कर निलंबन करने के खिलाफ ये सभी अधिकारी कोर्ट के रुख करेंगे। नियमों के जानकारों का कहना है कि इन सभी को इसी प्वाइंट पर स्टे मिल जाएगा।
प्राचार्य निलंबित
जशपुर जिले के बगीचा तहसील के कुरडेग हायर सेकेंड्री स्कूल के प्रभारी प्राचार्य तरसियुस एक्का कलेक्टर की रिपोर्ट पर सरगुजा कमिश्नर द्वारा सस्पेंड कर दिए गए। एक्का व्याख्याता कैडर के हैं। उन्हें डीपीआई निलंबित कर सकते हैं।
बिलासपुर कमिश्नर खुद डीपीआई रहे
बिलासपुर कमिश्नर सुनील जैन खुद डीपीआई रहे हैं। उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग के सिस्टम से अनभिज्ञ नहीं हैं। फिर भी पता नहीं कैसे वे जांजगीर कलेक्टर के प्रतिवेदन पर बम्हीनीडीह बीईओ सस्पेंड कर दिया।
क्या कहते हैं डीपीआई के अफसर
डीपीआई ऑफिस के सीनियर अधिकारियों से इस मसले पर एनपीजी न्यूज ने बात की। अफसरों ने माना कि कमिश्नरों के पास बीईओ, व्याख्याता और प्राचार्यों को सस्पेंड करने का कोई अधिकार नहीं। कायदे से उन्हें डीपीआई को अनुशंसा भेजनी चाहिए थी। डीपीआई से उन्हें अगर सस्पेंड किया जाता तो फिर उन्हें कोर्ट से जल्दी राहत नहीं मिलती।
कमिश्नरों को पावर
हालांकि, ये खबर छपने के बाद मंत्रालय के एक बड़़े जिम्मेदार अधिकारी ने एनपीजी न्यूज को फोन कर बताया कि जिले में कलेक्टर क्लास थ्री और संभाग क्लास टू के किसी भी अधिकारी को सस्पेंड कर सकते हैं। सिर्फ पुलिस और ज्यूडिशरी को छोड़कर।