Coal Levy Scam: कोल स्कैम में जयचंद का चौंकाने वाला किरदार,सीएम हाउस तक सीधे था पहुंच, सौम्या चौरसिया के कहने पर जयचंद करता था वसूली...
Coal Levy Scam: छत्तीसगढ़ के कोल लेवी स्कैम में वसूली के खेल में जयचंद ने अहम किरदार निभाया है। जयचंद की सीधे सीएम हाउस तक पहुंच थी। सीएम से जरुरी फाइल पर जयचंद ही हस्ताक्षर कराया करता था। एसीबी की एक हजार पन्ने की चार्जशीट में इस तरह के चाैंकाने वाले आरोप लगाए गए हैं। एसीबी द्वारा स्पेशल कोर्ट में पेश चार्जशीट में सिंडिकेट का संचालन सीधे सीएम हाउस से चलने की बात कही गई है।

Coal Levy Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ के कोल लेवी स्कैम में वसूली के खेल में जयचंद ने अहम किरदार निभाया है। जयचंद की सीधे सीएम हाउस तक पहुंच थी। सीएम से जरुरी फाइल पर जयचंद ही हस्ताक्षर कराया करता था। एसीबी की एक हजार पन्ने की चार्जशीट में इस तरह के चाैंकाने वाले आरोप लगाए गए हैं। एसीबी द्वारा स्पेशल कोर्ट में पेश चार्जशीट में सिंडिकेट का संचालन सीधे सीएम हाउस से चलने की बात कही गई है।
छत्तीसगढ़ में कोल लेवी स्कैम केस में ACB ने स्पेशल कोर्ट में सौम्या चौरसिया के निज सचिव जयचंद कोसले के खिलाफ तकरीबन एक हजार पन्नों की चार्जशीट पेश किया है। पेश चार्जशीट में EOW का दावा है कि रायपुर नगर निगम के रिकॉर्ड कीपर जयचंद को वसूली के लिए सौम्या चौरसिया सीएम हाउस ले गई थी। सौम्या चौरसिया के कार्यकाल में जयचंद कोसले CM हाउस में ही पदस्थ था। सौम्या के कहने पर जयचंद पैसा वसूलने जाता था। वसूली के लिए ही उसे राज्य शासन से सीजी 02 नंबर की दो वाहन उपलब्ध कराए गए थे
ACB की चार्जशीट के अनुसार 25 जून 2019 से 31 जनवरी 2020 तक सिंडिकेट के सदस्यों ने लेनदेन का हिसाब रखने के लिए वॉट्सऐप ग्रुप बनाए । वाट्सएप चैटिंग का जिक्र करते हुए एसीबी ने बताया कि सौम्या चौरसिया ने अनिल टुटेजा को भेजे मैसेज में लिखा है, कि 'चेक करके तुरंत वापस करवा देना। जय सीधे CM के पास ले जाकर साइन करवा देगा।
एसीबी के अफसरों ने अपनी चार्जशीट में लिखा है कि मुख्यमंत्री कार्यालय व मुख्यमंत्री निवास से महत्त्वपूर्ण फाइलों का मूवमेंट, फाइलों का सुरक्षित परिवहन और मुख्यमंत्री से हस्ताक्षर करवाने जैसे संवेदनशील काम नियमित रूप से जयचंद से कराए जाते थे।
253 करोड़ से ज्यादा की वसूली, हिस्से में मिले रकम से खरीदे प्रापर्टी
ACB की जांच में पता चला है कि FIR के अनुसार, कोयला लेवी सिंडिकेट के सदस्यों पर 2020 और 2022 के बीच 540 करोड़ की उगाही करने का आरोप था। EOW-ACB की जांच में पता चला कि 253 करोड़ से ज्यादा की वसूली की गई।
जांच के दौरान यह बात भी सामने आई कि सिंडिकेट ने ट्रांसपोर्टरों और उद्योगपतियों को धमकाकर गैर-कानूनी तरीके से अवैध वसूली की है। उगाही की गई रकम का बंटवारा सिंडिकेट के सदस्यों के बीच किया गया। सिंडिकेट के सदस्यों ने अवैध उगाही से हिस्से में मिले रकम का इस्तेमाल प्रॉपर्टी खरीदने के लिए भी किया।
किसको कितनी मिली रकम
सौम्या चौरसिया- 36 करोड़, नेताओं को- 52 करोड़, छत्तीसगढ़ के विधायकों को-10 करोड़, झारखंड- 5 करोड़, बैंगलोर- 4 करोड़ व बेनामी संपत्ति (आरोपियों से मिली)- 170 करोड़।
कोल वाशरी से 100 और ट्रांसपोर्टर से 25 रुपए प्रति टन वसूली
स्पेशल कोर्ट में पेश एसीबी के चार्जशीट के अनुसार कोल ट्रांसपोर्टिंग करने वालों के अलावा कोल वाशरी संचालकों से भी अलग से कमीशन वसूला गया। कोल वाशरी संचालकों से 100 रुपए प्रति टन और कोल वाशरी से कोयला निकलने पर 25 रुपए प्रति टन अतिरिक्त ट्रांसपोर्टिंग शुल्क लिया जाता था। कोल कारोबारियों को दो बार कमीशन देना पड़ता था। एसीबी की चार्जशीट के अनुसार सिंडिकेट ने कोरबा और रायगढ़ में वसूली के लिए अलग से ऑफिस खोला था।
