Begin typing your search above and press return to search.

आखिर क्या है येलो, ऑरेंज और रेड अलर्ट, मौसम विभाग कब जारी करता हैं ऐसी चेतावनी...

Clour Code For Weather: भारतीय मौसम विभाग आईएमडी प्रतिदिन मौसम संबंधी घटनाओं के पूर्वानुमान को लेकर कलर कोड में चेतावनी जारी करता है। यह चेतावनी ग्रीन येलो, ऑरेंज और रेड रंगों में होती है।...आइये जानते हैं क्या होता है कलर कोड...

आखिर क्या है येलो, ऑरेंज और रेड अलर्ट, मौसम विभाग कब जारी करता हैं ऐसी चेतावनी...
X
By Sandeep Kumar Kadukar

Clour Code For Weather रायपुर। इन दिनों देश के कई राज्यों में भीषण गर्मी का कहर जारी है। वहीं कुछ राज्यों में आंधी तूफान के साथ हल्की बारिश देखने को मिल रही है। मौसम विभाग की माने तो बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों में हल्की से माध्यम बारिश और गरज-चमक के साथ बिजली गिर सकती है। वहीं 40 से 50 किमी प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएं भी चल सकती है। भारतीय मौसम विभाग आईएमडी प्रतिदिन मौसम संबंधी घटनाओं के पूर्वानुमान को लेकर कलर कोड में चेतावनी जारी करता है। यह चेतावनी बारिश, बर्फबारी, तूफान, ओलावृष्टि, आंधी, गर्म, हवा और शीत लहर जैसी खराब मौसम की स्थिति को लेकर होती है, जिसे मौसम विभाग ग्रीन येलो, ऑरेंज और रेड रंगों में दर्शाता है।

कलर से समझे चेतावनी सिस्टम के बारे में

हरा (ऑल इज वेल)-इसका मतलब है कि कोई गंभीर मौसम की उम्मीद नहीं है और कोई सलाह जारी नहीं की गई है।

येलो अलर्ट-सचेत रहेंमौसम के अनुसार इस अलर्ट या चेतावनी का मतलब होता है कि आप अपने इलाके या रूटीन को लेकर सचेत रहें। कुछ सावधानियां बरतें। यलो अलर्ट जारी करने का मकसद वास्तव में लोगों को सतर्क करना होता है। इसके मुताबिक आपको तुरंत कोई खतरा नहीं होता, लेकिन मौसम के हाल को देखते हुए आपको जगह और अपने मूवमेंट को लेकर सावधान रहना चाहिए।

ऑरेंज अलर्ट-तैयार रहें, मौसम विभाग जब ऑरेंज अलर्ट जारी करता है, तो इसका मतलब होता है कि मौसम की मांग है कि अब आप और खराब मौसम के लिए तैयार हो जाएं। जब मौसम इस तरह की करवट लेता है, जिसका असर जनजीवन पर पड़ सकता है, तब ये अलर्ट जारी किया जाता है। खराब मौसम के लिए आपको अपनी यात्राओं, कामकाज या स्कूली बच्चों के लिए आवागमन के बारे में तैयारी रखने की ज़रूरत होती है।

रेड अलर्ट-एक्शन का वक्तहालांकि बेहद गंभीर स्थितियों में रेड अलर्ट जारी किया जाता है, इसलिए यह कम ही होता है। फिर भी, रेड अलर्ट का मतलब होता है कि जान माल की सुरक्षा का समय आ चुका है। अक्सर इस अलर्ट के बाद खतरे के ज़ोन में रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाया जाता है। मौसम के मुताबिक सुरक्षा के इंतज़ाम किए जाते हैं, जैसे गर्मी के मौसम में अगर रेड अलर्ट जारी हो तो आपको घर से बाहर नहीं निकलने और ज़रूरी इंतज़ाम करने की हिदायत होती है। इसी तरह, बारिश के मौसम में अगर ये अलर्ट जारी हो तो इसका साफ संकेत होता है बाढ़, तूफान या नुकसानदेह बारिश की चेतावनी है इसलिए ज़रूरी इंतज़ाम करें।रेड अलर्ट के समय सामान्य जनजीवन के लिए खतरे को भांपते हुए अक्सर पब्लिक ट्रांसपोर्ट, स्कूल संचालन जैसे नियमित कामकाज बंद किए जा सकते हैं।

कैसे होता है कलर कोड तय

घटना के घटित होने की संभावना के साथ-साथ उसके प्रभाव के आकलन पर आधारित होते हैं। वे विभिन्न कारकों जैसे मौसम संबंधी, हाइड्रोलॉजिकल, भूभौतिकीय जोखिम को इंगित करने वाले कारकों पर तय किए जाते हैं। रंगों के आधार पर चेतावनी या अलर्ट जारी करने के सिस्टम के चलते कई तरह की आपदाओं से पहले की तुलना में ज़्यादा बचाव संभव हो सका है। इस प्रणाली की शुरुआत 2016 में हुई थी और यूके के मौसम विभाग के बाद भारत समेत कई देशों ने इस चेतावनी प्रणाली को अपनाया।

कितनी बारिश पर कौन सा अलर्ट

बात बारिश की चेतावनी की करें तो 24 घंटे में 64 मिमी से कम बारिश के लिए ग्रीन अलर्ट होता है। अगर 64.5 मिमी से 115.5 मिमी के बीच बारिश की संभावना है तो येलो अलर्ट होगा। एक दिन में 115.6 से 204.4 मिमी के बीच बारिश के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया जाता है। इसी तरह 204.5 मिमी से ऊपर बारिश की संभावना पर रेड अलर्ट जारी किया जाता है

Sandeep Kumar Kadukar

संदीप कुमार कडुकार: रायपुर के छत्तीसगढ़ कॉलेज से बीकॉम और पंडित रवि शंकर शुक्ल यूनिवर्सिटी से MA पॉलिटिकल साइंस में पीजी करने के बाद पत्रकारिता को पेशा बनाया। मूलतः रायपुर के रहने वाले हैं। पिछले 10 सालों से विभिन्न रीजनल चैनल में काम करने के बाद पिछले सात सालों से NPG.NEWS में रिपोर्टिंग कर रहे हैं।

Read MoreRead Less

Next Story